कृषि विषयों पर होगी कार्यशाला

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कृषि विषयों पर होगी कार्यशाला
कृषि विषयों पर होगी कार्यशाला

अजय सिंह

लखनऊ। उ.प्र.कृषि अनुसंधान परिषद, लखनऊ इंटरनेशनल क्राप रिसर्च इंस्टीट्यूट फार सेमी एरिड एण्ड ट्रापिक्स (ICRISAT), हैदराबाद, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में 25 अप्रैल, 2023 को प्रातः 9ः45 बजे से भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में एक दिवसीय कार्यशाला “Strategies to Boost Farmer’s Income Through intervention of CGIAR Technologies” का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य देश में स्थित (CGIAR) Consultative Group on International Agriculture Research संस्थानों के दृष्टिकोण से उत्तर प्रदेश के कृषि क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाएगी, जो भावी कृषि-नीति निर्माण में सहायक होगी।कृषि क्षेत्र के महत्वपूर्ण विषयों पर आयोजित होगी कार्यशाला।


उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद गोमती नगर में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान परिषद के महानिदेशक डॉ0 संजय सिंह ने बताया कि कार्यशाला में मा. मंत्री, कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान, उ.प्र.; मा. मंत्री, मत्स्य, उ.प्र.; मा. मंत्री, उद्यान, उ.प्र.; मा. मंत्री, पशुपालन, उ.प्र.; मा. राज्य मंत्री, कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान को आमंत्रित किया गया है। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में डा. पंजाब सिंह, पूर्व महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व सचिव कृषि अनुसंधान व शिक्षा विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली, मा. मुख्यमंत्री, उ.प्र. के आर्थिक सलाहकार डा. के. वी. राजू; कृषि उत्पादन आयुक्त, उ.प्र. श्री मनोज कुमार सिंह; अपर मुख्य सचिव, कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान, उ.प्र. डा. देवेश चतुर्वेदी; कुलपति, रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय विश्वविद्यालय, झांसी डा. ए. के. सिंह; उपमहानिदेशक (अनुसंधान), ईक्रीसेट, हैदराबाद डा. अरविंद कुमार, अपर मुख्य सचिव, पशुपालन एवं मत्स्य, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, उ.प्र. के साथ एफपीओ के राज्य सलाहकार भी द्वारा प्रतिभाग किया जायेगा।


श्री सिंह ने बताया कि कार्यशाला में कृषि क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण बिंदुओं (फसलवार/विशिष्ट तकनीकी हस्तक्षेप), उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नीतिगत हस्तक्षेप के रूप में अपेक्षित सीजीआईएआर संगठनों की अपेक्षाएं, संस्थानों की गतिविधियों से उत्तर प्रदेश का कृषि क्षेत्र किस प्रकार का लाभ प्राप्त कर सकता है के संबंध में गहन विचार-विमर्श उपरांत कृषि एवं तत्संबंधी क्षेत्रों हेतु नीति निर्धारित की जायेगी। उपकार के समन्वय से कृषि विश्वविद्यालयों के साथ योजना बनाकर कृषि विज्ञान केन्द्रों व एफ.पी.ओ. के माध्यम से इसका कार्यान्वयन कराया जायेगा जिससे प्रदेश के कृषक लाभांवित हो सकंेगे। इस प्रकार का अनूठा प्रयास उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के माध्यम से देश में प्रथम बार किया जा रहा है।


श्री सिंह ने बताया कि कार्यशाला के तकनीकी सत्र में उत्तर प्रदेश तथा अन्य प्रदेशों के कृषि विश्वविद्यालयों के 6 कुलपति; सी.जी.आई.ए.आर. के 12 संस्थानों (IRRI, CIMMYT, ICRISAT, IWMI, CID, ICRAF, ILRI, IFPRI, ICARDA, ICTA, Biodiversity International, WFC) 17 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों के निदेशक अथवा उनके प्रतिनिधियों तथा कृषि एवं संबंधित विभागों के निदेशकों द्वारा भाग लेते हुये उपलब्धियों का प्रस्तुतीकाण किया जायेगा। कार्यशाला में डा. टेमीना, सी.जी.आई.ए.आर., बोर्ड मेम्बर; डा. समरेन्दु मोहन्ती, रीजनल डायरेक्टर एशिया, डा. यू.एस. सिंह, एशिया एण्ड अफ्रीका एडवाईजर फार रिसर्च एण्ड पार्टनरशिप, डा. हबीबर रहमान, साऊथ एशिया रिप्रजेनटेटिव, डा. चन्द्रशेखर बिरादर, कंट्री डायरेक्टर द्वारा प्रतिभाग किया जायेगा।


महानिदेशक ने बताया कि उपकार द्वारा प्रदेश में किसानों को गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराने हेतु संस्थानों में उपलब्ध आधारीय बीज को प्राप्त किया जायेगा। कृषि विज्ञान केन्द्रों व एफ.पी.ओ. के माध्यम से बीज उत्पादन कर प्रासेड सीड बीज विकास निगम द्वारा बाई बैक किया जायेगा। इस कड़ी में भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर से दलहनी फसलों के बीज हेतु एमओयू कर कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इसी प्रकार भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी से भी गुणवत्तायुक्त बीजों को उत्पादित कर कृषकों को उपलब्ध कराने हेतु एमओयू किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि गन्ने की गुणवत्तायुक्त बड का उत्पादन कर कृषकों को उपलब्ध कराने हेतु भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के सहयोग से कार्य शुरू कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर के सहयोग से कृषि विज्ञान केन्द्र व एफपीओ पर गुणवत्तायुक्त गन्ने का बड उत्पादन करते हुये किसानों को सुगमता से उपलब्ध कराई जा सकेगी। कृषि विषयों पर होगी कार्यशाला