योगी ने प्रदेश के 50 लाख 10 हजार अंशधारक कृषकों को दिया अंश प्रमाण-पत्र

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राजू यादव

उत्तर प्रदेश सरकार लगभग 10 चीनी मिलों को केन्द्र में रखकर उनके पुनरोद्धार की कार्यवाही करने जा रही।आगामी समय में यह आशंका नहीं होगी कि चीनी मिल बन्द हो जाएगी, आने वाला समय गन्ना किसानों का होगा।गन्ना किसानों को नये बीज और नयी तकनीक को अपनाने की दिशा में अग्रसर होना होगा, अधिक उत्पादन के लिए टिश्यू कल्चर, ड्रिप इरिगेशन को अपनाना होगा।प्राकृतिक कृषि अपनाने से खेती की लागत भी कम होगी, प्रति एकड़ 300 से 500 कुन्तल गन्ना उत्पादन की क्षमता भी विकसित होगी।मुख्यमंत्री ने 11 गन्ना किसानों को अंश प्रमाण पत्र प्रदान किये।मुख्यमंत्री ने 11 गन्ना किसानों से संवाद किया, गन्ना किसानों ने ऑनलाइन पर्ची व्यवस्था, घटतौली को समाप्त करने के प्रयासों, गन्ना मूल्य का समयबद्ध भुगतान, गन्ना आपूर्ति की तकनीक आधारित पारदर्शी व्यवस्था आदि के लिए मुख्यमंत्री की सराहना की।


लखनऊ। राज्य सरकार गन्ना किसानों को प्राथमिकता देते हुए कार्य कर रही है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अन्नदाता किसान हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता है। गन्ना विभाग द्वारा किये गये सुधारों का लाभ गन्ना किसानों को प्राप्त हो रहा है। उन्होंने निर्देश दिये कि नये सत्र से पहले सम्पूर्ण बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान गन्ना किसानों को कराया जाए। सहकारी गन्ना विकास समितियों एवं सहकारी चीनी मिल समितियों के 50 लाख 10 हजार अंशधारक कृषक सदस्यों को अंश प्रमाण-पत्र वितरण कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम सहकारिता आन्दोलन को पुनर्जीवित करने की दिशा में किया गया प्रयास है। यह कार्यक्रम गन्ना सहकारी समितियों को पुनर्जीवित करने और गन्ना किसानों को अंशधारक बनाने का है। यह आयोजन किसान को उस व्यवस्था में अधिकार देने के लिए है, जिससे वह जुड़ा हुआ है। समिति का अंशधारक बनने के बाद चीनी मिल को लाभ होने की स्थिति में किसानों को बोनस भी मिलना चाहिए। इससे किसान कह सकेगा कि चीनी मिल उसकी है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सहकारिता आन्दोलन को आगे बढ़ाने के लिए सहकारिता मंत्रालय का गठन किया है। जनता के परिश्रम का लाभ व्यक्ति ही नहीं समुदाय और समाज को प्राप्त हो, यह सहकारिता आन्दोलन का उद्देश्य है। यह पूरे समाज को जोड़ने का अभियान है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों के लिए स्वॉयल हेल्थ कार्ड, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, कृषि लागत का डेढ़ गुना एम0एस0पी0 देने की कार्यवाही की।वर्ष 2017 में आने के बाद हमारी सरकार ने पहला फैसला 86 लाख लघु एवं सीमान्त किसानों के फसली ऋण माफ करने का लिया। किसानों की उपज की खरीद के लिए प्रोक्योरमेंट की प्रभावी व्यवस्था बनाकर रिकॉर्ड मात्रा में धान और गेहूं की खरीद की गयी। फसलों के विविधीकरण के लिए कार्यक्रम संचालित किये गये। खाण्डसारी उद्योग को लाइसेंस देने के साथ ही, चीनी मिलों के पुनरोद्धार करने की कार्यवाही की गयी। रमाला में नयी चीनी मिल लगवायी गयी। मुण्डेरवा में नयी चीनी मिल लगायी गयी। साथ ही, डिस्टलरी, कोजेन प्लाण्ट लगाने की कार्यवाही आगे बढ़ रही है। भारत सरकार ने डीजल और पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल ब्लेण्ड करने का निर्णय लिया है। आने वाले समय में एक भी चीनी मिल घाटे में नहीं होगी, कोई भी चीनी मिल बन्द नहीं होगी। इससे किसानों को ही लाभ होगा।


प्रदेश में बॉयो फ्यूल के इण्टीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स की व्यवस्था बनायी जा रही है। अब किसानों को गेहूं, धान आदि की पराली जलाने की जरूरत नहीं होगी। इनका इस्तेमाल बॉयो फ्यूल बनाने में किया जाएगा। इससे सस्ता ईंधन प्राप्त होगा। पेट्रोल, डीजल पर निर्भरता कम होगी। ईंधन के स्रोत अरब मुल्क नहीं, हमारे अन्नदाता किसान होंगे। इससे किसानों को लाभ होगा। देश व प्रदेश को इसके लिए तैयार करना होगा। सहकारी समितियों को भी इसके लिए अपने आपको तैयार करना होगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि भ्रष्टाचार पर प्रहार के लिए तकनीक को अपनाया जाना चाहिए। गन्ना विभाग ने तकनीक के माध्यम से गन्ना किसानों को लाभान्वित किया है। हमारी सरकार से पूर्व गन्ना क्षेत्र में माफिया और बिचौलिया सक्रिय थे। वर्तमान समय में तकनीक के माध्यम से ऐसी व्यवस्था विकसित की गयी है कि गन्ना पर्ची स्मार्ट फोन के माध्यम से प्राप्त होती है।

हमारी सरकार से पूर्व गन्ना क्षेत्र में माफिया और बिचौलिया सक्रिय, वर्तमान समय में तकनीक के माध्यम से ऐसी व्यवस्था विकसित की गयी है कि गन्ना पर्ची स्मार्ट फोन के माध्यम से प्राप्त होती है।जिस प्रकार ई-पर्ची के उपयोग से गन्ना माफिया एवं बिचौलियों को समाप्त किया गया है, वैसे ही तकनीक का प्रयोग कर घटतौली को पूरी तरह समाप्त किया जाए।वर्ष 2007 से वर्ष 2017 के बीच गन्ना किसानों को हुए गन्ना मूल्य भुगतान के डेढ़ गुना गन्ना मूल्य भुगतान वर्तमान राज्य सरकार के विगत 05 वर्षाें में किया गया।विगत 05 वर्षाें में किसानों को 01 लाख 77 हजार करोड़ रु0 गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया।चीनी मिल मालिक द्वारा चीनी मिल के संचालन से प्राप्त धनराशि को किसी अन्य उद्यम में लगाने पर, उसका डायवर्जन गन्ना किसान के बकाया गन्ना मूल्य भुगतान हेतु किया जा सके, इस सम्बन्ध में कानून बनाया गया।


मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल के चुनौतीपूर्ण समय में संक्रमण से बचाव के लिए आवश्यक सावधानी एवं सतर्कता बरतते हुए तकनीक के माध्यम से ही प्रदेश की सभी चीनी मिलों का संचालन कराया गया। उस दौरान गन्ना माफिया ने चीनी मिलों के संचालन का विरोध किया, जबकि गन्ना किसानों ने स्वागत किया। उन्होंने निर्देशित किया कि जिस प्रकार ई-पर्ची के उपयोग से गन्ना माफिया एवं बिचौलियों को समाप्त किया गया है, वैसे ही तकनीक का प्रयोग कर घटतौली को पूरी तरह समाप्त किया जाए। इसके लिए सी0सी0टी0वी0 का उपयोग करने पर विचार किया जाए।वर्ष 2007 से वर्ष 2017 के बीच गन्ना किसानों को हुए गन्ना मूल्य भुगतान के डेढ़ गुना गन्ना मूल्य भुगतान वर्तमान राज्य सरकार के विगत 05 वर्षाें में किया गया है। विगत 05 वर्षाें में किसानों को 01 लाख 77 हजार करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया है। इस वर्ष 82 प्रतिशत गन्ना मूल्य का भुगतान किया जा चुका है। अवशेष भुगतान के लिए प्रभावी कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने कहा कि चीनी मिल मालिक द्वारा चीनी मिल के संचालन से प्राप्त धनराशि को किसी अन्य उद्यम में लगाने पर, उसका डायवर्जन गन्ना किसान के बकाया गन्ना मूल्य भुगतान हेतु किया जा सके, इस सम्बन्ध में कानून बनाया गया है। प्रदेश में चीनी मिलों के पुनरोद्धार की कार्यवाही आगे बढ़ायी जा रही है। नयी चीनी मिलों तथा जर्जर चीनी मिलों की क्षमता विस्तार के लिए कार्य किया जा रहा है। भारत सरकार ने नये-नये उद्यम लगाने का कार्यक्रम प्रारम्भ किया है। वर्तमान में चीनी मिल के चीनी, शीरा, बगास आदि सभी का उपयोग हो रहा है। यह चीनी मिल की आमदनी बढ़ाने में सहायक है।


उत्तर प्रदेश सरकार लगभग 10 चीनी मिलों को केन्द्र में रखकर उनके पुनरोद्धार की कार्यवाही करने जा रही है। यह कार्यक्रम आगामी एक-दो वर्षाें में आगे बढ़ेगा। इसके बाद चरणबद्ध ढंग से प्रत्येक चीनी मिल की क्षमता विस्तार, जर्जर चीनी मिलों के स्थान पर नयी चीनी मिलों की स्थापना तथा पी0पी0पी0 मोड पर भी कुछ कार्यक्रम संचालित किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि आगामी समय में यह आशंका नहीं होगी कि चीनी मिल बन्द हो जाएगी। आने वाला समय गन्ना किसानों का होगा।गन्ना किसानों को नये बीज और नयी तकनीक को अपनाने की दिशा में अग्रसर होना होगा। वर्तमान में प्रदेश में 150 से 175 कुन्तल प्रति एकड़ गन्ना का उत्पादन होता है। राज्य की धरती में 300 से 500 कुन्तल प्रति एकड़ गन्ना उत्पादन की क्षमता है। राज्य में सिंचाई की क्षमता में विगत 05 वर्षाें में लगभग 21 लाख हेक्टेयर की अतिरिक्त वृद्धि हुई है। आगामी 05 वर्षाें में कृषि लागत कम हो इसके लिए ट्यूबवेल को सोलर पैनल से जोड़ने की कार्यवाही की जा रही है। इससे बिजली का खर्च लगभग समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अधिक उत्पादन के लिए गन्ना किसानों को टिश्यू कल्चर, ड्रिप इरिगेशन को अपनाना होगा। प्राकृतिक कृषि को अपनाने से खेती की लागत भी कम होगी। साथ ही, प्रति एकड़ 300 से 500 कुन्तल गन्ना उत्पादन की क्षमता भी विकसित होगी।

सहकारी गन्ना विकास समितियों एवं सहकारी चीनी मिल समितियों के 50 लाख 10 हजार अंशधारक कृषक सदस्यों को अंश प्रमाण-पत्र वितरण कार्यक्रम।यह कार्यक्रम सहकारिता आन्दोलन को पुनर्जीवित करने की दिशा में किया गया प्रयास, यह आयोजन किसान को उस व्यवस्था में अधिकार देने के लिए, जिससे वह जुड़ा हुआ हैवर्तमान राज्य सरकार गन्ना किसानों को प्राथमिकता देते हुए कार्य कर रही, गन्ना विभाग द्वारा किये गये सुधारों का लाभ गन्ना किसानों को प्राप्त हो रहा।नये सत्र से पहले सम्पूर्ण बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान गन्ना किसानों को कराया जाए।प्रधानमंत्री ने सहकारिता आन्दोलन को आगे बढ़ाने के लिए सहकारिता मंत्रालय का गठन किया, जनता के परिश्रम का लाभ व्यक्ति ही नहीं समुदाय और समाज को प्राप्त हो, यह सहकारिता आन्दोलन का उद्देश्य।भारत सरकार ने डीजल और पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल ब्लेण्ड करने का निर्णय लिया, आने वाले समय में एक भी चीनी मिल घाटे में नहीं होगी, कोई भी चीनी मिल बन्द नहीं होगी, इससे किसानों को ही लाभ होगा।प्रदेश में बॉयो फ्यूल के इण्टीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स की व्यवस्था बनायी जा रही है, अब किसानों को गेहूं, धान आदि की पराली जलाने की जरूरत नहीं होगी।पराली का इस्तेमाल बॉयो फ्यूल बनाने में किया जाएगा, इससे सस्ता ईंधन प्राप्त होगा, पेट्रोल, डीजल पर निर्भरता कम होगी, ईंधन के स्रोत अरब मुल्क नहीं, हमारे अन्नदाता किसान होंगे, इससे किसानों को लाभ होगा।


मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर 11 गन्ना किसानों-जनपद मुजफ्फरनगर के सुरेन्द्र सिंह, जनपद बुलन्दशहर की ममतेश सिंह, जनपद मेरठ के अमित कुमार, जनपद अमरोहा के गजेन्द्र सिंह, जनपद बरेली के दलजीत सिंह, जनपद हरदोई के अनिल कुमार सिंह, जनपद सीतापुर के अजय कुमार, जनपद अयोध्या के रमेश चन्द्र, जनपद गोण्डा के अर्जुन वर्मा, जनपद बस्ती के अनूप कुमार पाण्डेय, जनपद कुशीनगर के राज कुमार सिंह को अंश प्रमाण पत्र प्रदान किये।कार्यक्रम के दौरान 11 गन्ना किसानों-जनपद सहारनपुर के पद्म सिंह, जनपद बुलन्दशहर के ममतेश सिंह, जनपद मेरठ के वेद व्रत आर्य, जनपद सम्भल के आशुतोष प्रताप सिंह, जनपद बरेली के शिवेन्द्र नाथ चौबे, जनपद हरदोई के संजय सिंह, जनपद लखीमपुर खीरी के परमवीर सिंह, जनपद अम्बेडकरनगर के शैलेन्द्र कुमार सिंह, जनपद गोण्डा के रितेश प्रताप सिंह, जनपद बस्ती के डॉ0 अरविन्द कुमार सिंह, जनपद कुशीनगर के सुप्रियमय मालवीय से संवाद किया। गन्ना किसानों ने अंश प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया। गन्ना किसानों ने प्रदेश सरकार द्वारा ऑनलाइन पर्ची व्यवस्था, घटतौली को समाप्त करने के प्रयासों, गन्ना मूल्य का समयबद्ध भुगतान, गन्ना आपूर्ति की तकनीक आधारित पारदर्शी व्यवस्था आदि के लिए मुख्यमंत्री की सराहना भी की।

प्रदेश की कानून-व्यवस्था में सुधार हेतु मुख्यमंत्री के कार्याें की चर्चा देश ही नहीं, पूरी दुनिया में- गन्ना विकास एवं चीनी मिलें मंत्री


गन्ना विकास एवं चीनी मिलें मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि प्रदेश की कानून-व्यवस्था में सुधार हेतु मुख्यमंत्री के कार्याें की चर्चा देश ही नहीं, पूरी दुनिया में है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में गन्ना किसानों को लगभग 1.80 लाख करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया है। पूरे देश में उत्तर प्रदेश अकेला राज्य है, जहां इतने बड़े पैमाने पर गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया है। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक के प्रयोग से समिति की बैलेंस शीट अंशधारक के मोबाइल पर उपलब्ध होगी। चीनी मिलों के लाभ में होने पर समिति के अंश धारकों को भी बोनस प्राप्त होगा। कार्यक्रम के अन्त में गन्ना विकास एवं चीनी मिलें राज्य मंत्री संजय सिंह गंगवार ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।


अपर मुख्य सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास संजय आर0 भूसरेड्डी ने कहा कि गन्ना किसानों द्वारा चीनी मिलों को गन्ना आपूर्ति में आने वाली समस्याओं के समाधान, गन्ना किसानों के हितों की रक्षा के लिए सहकारी गन्ना समितियों के गठन की व्यवस्था है। वर्ष 1934 में मेरठ में पहली सहकारी गन्ना विकास समिति का पंजीकरण कोऑपरेटिव सोसाइटी अधिनियम-1912 के तहत किया गया। प्रदेश में वर्ष 1903 में जनपद देवरिया के प्रतापपुर में सबसे पहले चीनी मिल की स्थापना हुई। प्रदेश में 09 परिक्षेत्र से 50 लाख 10 हजार किसान सतत चीनी मिलों को गन्ना आपूर्ति करते आ रहे हैं। इन गन्ना किसानों को अंश प्रमाण पत्र प्रदान किये जा रहे हैं। इसके लिए गन्ना किसानों का पूरा मैनुअल एवं डिजिटल लेखा-जोखा तैयार किया गया है। आवश्यकता पड़ने पर गन्ना किसान इन प्रमाण पत्रों की डिजिटल कॉपी भी स्मार्ट गन्ना किसान ऐप से प्राप्त कर सकते हैं। [/Responsivevoice]