11जुलाई को नई जनसंख्या नीति लाएगी योगी सरकार

137

 ‘‘जनसंख्या विस्फोट’’ राज्य के विकास के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है। उन्होंने आगे कहा था कि, ‘‘अगर असम भारत के पांच शीर्ष राज्यों में से एक बनना चाहता है तो हमें अपने जनसंख्या विस्फोट को प्रबंधित करना होगा। इस बात पर सभी सहमत हुए।’’

11 जुलाई देश में प्रतिवर्ष विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है, और विडंबना यह है कि आज देश जनसंख्या विस्फोट से बुरी तरह झुलस चुका है और उसके दुष्परिणाम हर जगह दिख रहे है।साथ ही साथ वंचित विकास नही हो पा रहा है तथा बेरोज़गारी समस्या बढ़ती जा रही है ।
समय आ चुका है कि जनसंख्या नियंत्रण पर एक ठोस नीति बने और जनसंख्या सिर्फ बढ़ने से ही रोकना उद्देश्य न होकर, उसे घटाना भी प्राथमिकता हो।इस नीति निर्धारण में सबसे ज्यादा रोड़ा अटकेगा , कट्टरता और धर्मान्धता के कारण। सिर्फ भारत मे धर्म की दलील दी जाती है, अन्य किसी देश मे नही।

जनसंख्या विस्फोट आधुनिक भारत की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है और अब जनसंख्या नियंत्रण के लिए जल्द ही योगी सरकार एक बड़ा कदम उठाने वाली है। 11 जुलाई को विश्वसंख्या दिवस है और उसी दिन सीएम योगी आदित्यनाथ नई जनसंख्या नीति घोषित करेंगे। देश में सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नीति 2021-2030 का मुख्य उद्देश्य जनसंख्या स्थिरिकरण है। इसके अलावा नई जनसंख्या नीति के जरिए राज्य में नवजात मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर कम करने की भी कोशिश की जाएगी। नई जनसंख्या नीति के तहत किशोरों और बुजुर्गों का सही देखभाल और पोषण का भी ध्यान रखा जाएगा।

खुद प्रधानमंत्री मोदी भी कई बार जनसंख्या विस्फोट को समस्या बता चुके हैं। साल 2019 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने लाल किले से जनसंख्या नियंत्रण को राष्ट्रभक्ति बताया था।


आसाम के मुख्य मंत्री ने जनसंख्या कंट्रोल पर नीति बनाई है और उनका विरोध शुरू भी हो गया है । उनकी नीति में दो बच्चों से ज्यादा बच्चों वालो को सरकारी सुविधाओं से वंचित करने का प्रावधान है ।लेकिन यह पर्याप्त नही है। लोग सरकारी सुविधाएं नकार देंगे, लेकिन परिवार नियोजन नही अपनाएंगे । ऐसा वहां के कट्टर धार्मिक समूहों ने कहा भी है।


उचित यह होगा कि सरकारी सुविधाओ से वंचित रखने के साथ साथ “वोट देने के अधिकार” ” व चुनाव लड़ने के अधिकार” से भी वंचित किया जाए, तभी कुछ असर दिख सकता है ।क्योंकि वोट देना मौलिक अधिकार नही होता है, इस लिए ऐसा किया जा सकता है।न्यायालय भी इसे निरस्त करने में हिचकिचाएगा।इसका प्रारम्भ पहले प्रदेश सरकारों को प्रयोग के रूप में लागू करना चाहिए । तदोप्रान्त राष्ट्रीय स्तर पर ठोस नीति बने और उसे कठोरता से लागू किया जाये । तभी देश इस जनसंख्या विस्फोट से बचा जा सकता है और देश का समयानुसार उचित विकास हो सकता है ।