राज्य में रिकॉर्ड मात्रा में हो रहा खाद्यान्न उत्पादन-योगी

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19 फरवरी को ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी
19 फरवरी को ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी

मुख्यमंत्री उ0प्र0 कृषि अनुसंधान परिषद के 33वें स्थापना दिवस पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘सतत कृषि के लिए अभिनव दृष्टिकोण’ में वर्चुअल माध्यम से सम्मिलित हुए।राज्य में रिकॉर्ड मात्रा में खाद्यान्न का उत्पादन हो रहा है और किसानों से सीधे खाद्यान्न का क्रय किया जा रहा।विगत 05 वर्षाें से प्रदेश में वैज्ञानिक तरीके से कृषि कार्यों को आगे बढ़ाया जा रहा।प्रधानमंत्री ने गौ आधारित प्राकृतिक खेती को अपनाने का मंत्र दिया।प्रदेश में विगत 05 वर्षाें में 21 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सिंचाई की सुविधा प्रदान की गयी।विगत 05 वर्षाें में राज्य सरकार ने बन्द पड़ी चीनी मिलों पुनः संचालित करने का कार्य किया।राज्य सरकार द्वारा विगत 05 वर्षाें में किसानों को 01 लाख 75 हजार करोड़ रु0से अधिक के गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया।गंगा नदी के दोनों तटों के 05 कि0मी0 के आस-पास के क्षेत्र पर प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकारें आपसी सहयोग करेंगी।प्रदेश सरकार ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने का कार्यक्रम बनाया।राज्य सरकार मण्डल स्तर पर टेस्टिंग लैब की स्थापना कर रही, जिससे बीज और उत्पादन के प्रमाणीकरण की कार्यवाही को आगे बढ़ाया जाएगा।

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार), लखनऊ के 33वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘सतत कृषि के लिए अभिनव दृष्टिकोण’ में वर्चुअल माध्यम से सम्मिलित हुए।कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 33 वर्ष की शानदार यात्रा किसी भी संस्थान की उपलब्धियों के मूल्यांकन का एक अवसर होता है। प्रदेश देश का सबसे बड़ा आबादी वाला राज्य है। प्रदेश में देश की 17 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। जबकि देश की कृषि भूमि का प्रदेश में सिर्फ 12 प्रतिशत है। इसके बावजूद देश की 20 प्रतिशत खाद्यान्न की आपूर्ति उत्तर प्रदेश करता है। प्रदेश की उपजाऊ भूमि, प्रचुर जल संसाधन की उपलब्धता सभी का ध्यान आकर्षित करते हैं। प्रदेश में अभूतपूर्व क्षमता विद्यमान है, जिसके माध्यम से हमें अभी बहुत कुछ सामने लेकर आना है। सभी सम्भावनाओं को ध्यान में रखकर उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा आयोजित ‘सतत कृषि के अभिनव दृष्टिकोण’ से सम्बन्धित यह संगोष्ठी अत्यन्त महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। उन्होंने स्थापना दिवस पर इस प्रासंगिक विषय पर संगोष्ठी के आयोजन के लिए उपकार के अध्यक्ष कैप्टन विकास गुप्ता एवं महानिदेशक डॉ0 संजय सिंह के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।


योगी सरकार ने वर्ष 2017 में राज्य के अन्नदाता किसानों के हितों को ध्यान में रखकर फसली ऋण माफी के एक बड़े कार्यक्रम को आगे बढ़ाया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2018 में किसानों को लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ मिले इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की, जिसका लाभ प्रदेश के किसानों को मिल रहा है। राज्य में रिकॉर्ड मात्रा में खाद्यान्न का उत्पादन हो रहा है और किसानों से सीधे खाद्यान्न का क्रय किया जा रहा है। विगत 05 वर्षाें से प्रदेश में वैज्ञानिक तरीके से कृषि कार्यों को आगे बढ़ाया जा रहा है। कृषि विभाग द्वारा कृषि विविधीकरण से सम्बन्धित विभिन्न कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया जा रहा है। उपकार जैसी संस्थाओं के माध्यम से नई तकनीक, नये बीज, 04 कृषि विश्वविद्यालय एवं 89 कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा किसान कल्याण कार्यक्रमों को धरातल पर उतारने का कार्य किया जा रहा है। कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों ने किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। प्रदेश सरकार ने विगत 05 वर्षाें में 21 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सिंचाई की सुविधा प्रदान की है। राज्य सरकार ने प्रदेश में दशकों से लम्बित सिंचाई परियोजनाओं-बाण सागर परियोजना, अर्जुन सागर परियोजना, सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना को पूरा कर अन्नदाता किसानों के जीवन में परिवर्तन लाने का कार्य किया है। वर्ष 2017 से पहले प्रदेश का चीनी उद्योग पूरी तरह बन्दी की ओर अग्रसर था। विगत 05 वर्षाें में राज्य सरकार ने बन्द पड़ी चीनी मिलों पुनः संचालित करने का कार्य किया है। सदी की सबसे बड़ी महामारी कोरोना के दौरान भी प्रदेश में 120 चीनी मिलों का सफलतापूर्वक संचालन किया गया। राज्य सरकार द्वारा विगत 05 वर्षाें में किसानों को 01 लाख 75 हजार करोड़ रुपये से अधिक के गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हमारे समक्ष कम लागत में विषमुक्त खेती करने की चुनौती है। प्रधानमंत्री जी ने इस चुनौती के निराकरण के लिए गौ आधारित प्राकृतिक खेती को अपनाने का मंत्र दिया है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केन्द्रीय बजट में प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश से 2022 में कहा था कि क्या गंगा नदी के तटवर्ती क्षेत्रों में गौ आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे सकते हैं। औद्यानिक फसल एवं सब्जियों की खेती को क्या इस रूप में आगे बढ़ा सकते हैं। उस समय प्रदेश सरकार द्वारा गंगा यात्रा निकाली गयी थी। गंगा यात्रा ने अनेक स्थानों पर गंगा नर्सरी, गंगा उपवन, गंगा पार्क एवं उद्यान इत्यादि कार्याें की स्थापना में सफलता प्राप्त की। गंगा नदी के दोनों तटों के 05 कि0मी0 के आस-पास के क्षेत्र पर प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकारें आपस में सहयोग करेंगी। प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने के लिए बुन्देलखण्ड क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने का कार्यक्रम बनाया है। प्राकृतिक खेती कम लागत में विषमुक्त खेती को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इस महत्वपूर्ण माध्यम को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे प्राकृतिक खेती के अभियान से जुड़ें। प्राकृतिक खेती किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ाने और विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति का माध्यम है। साथ ही, इस खेती द्वारा गौवंश की रक्षा करने में भी हमें सफलता प्राप्त होगी। राज्य सरकार मण्डल स्तर पर टेस्टिंग लैब की स्थापना कर रही है, जिससे बीज और उत्पादन के प्रमाणीकरण की कार्यवाही को आगे बढ़ाया जाएगा। नमामि गंगे परियोजना की सफलता में कृषि विभाग का भी महत्वपूर्ण योगदान है। अन्नदाता किसानों की आमदनी को बढ़ाने, कम लागत में अच्छा उत्पादन तथा खेती को विष मुक्त बनाने के लिए प्रदेश के सभी किसानों को प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा। इससे उत्तर प्रदेश को एक जैविक प्रदेश के रूप में स्थापित करने में सफलता प्राप्त होगी।कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही एवं कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह ओलख ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया।