राम मंदिर के लिए गोरक्षपीठ का समर्पण-योगी

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श्री गोरक्षनाथ मन्दिर, गोरखपुर में राष्ट्र संत ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की 7वीं पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा।प्रधानमंत्री के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में भारतीय संस्कृति का डंका दुनिया में बज रहा।महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज के आदर्शाें, विराट व्यक्तित्व व कृतित्व से प्रेरणा मिलती है।श्रद्धांजलि का हेतु अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के साथ-साथ उनके विराट व्यक्तित्व से प्रेरणा और प्रकाश प्राप्त करना होता।

समय के अनुसार गोरक्षपीठ ने रचनात्मक कार्याें को आगे बढ़ाने का कार्य किया, ब्रह्मलीन महाराज दिग्विजयनाथ जी ने इसकी नींव रखी, ब्रह्मलीन महाराज अवेद्यनाथ जी ने उस नींव पर एक भव्य भवन के निर्माण की कार्यवाही को आगे बढ़ाया।गोरक्षपीठ द्वारा भारत के हित में तथा भारत की आने वाली पीढ़ी को ध्यान में रखकर सदैव कार्य किया जा रहा।

कोरोना महामारी के दौरान आयुर्वेद से सम्बन्धित आयुष काढ़ा और व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले नुस्खों को आयुष कवच के रूप में दुनिया ने अपनी मान्यता दी।अपने पूर्वजों, गुरुजनों एवं राष्ट्रनायकों के प्रति श्रद्धा का भाव ही हमें ज्ञानवान बनाता।


लखनऊ।
मुख्यमंत्री आज श्री गोरक्षनाथ मन्दिर, गोरखपुर में राष्ट्र संत ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की 7वीं पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने महन्त अवेद्यनाथ जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनके आदर्शाें, विराट व्यक्तित्व व कृतित्व से प्रेरणा मिलती है।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में भारतीय संस्कृति का डंका दुनिया में बज रहा है। यूनेस्को ने कुम्भ को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता प्रदान की है। योग एवं आयुर्वेद को भी वैश्विक मान्यता प्राप्त हुई है। आज संयुक्त राज्य संघ द्वारा 21 जून को प्रतिवर्ष विश्व योग दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।


सनातन हिन्दू धर्म में यह पक्ष पितरों को समर्पित होता है। यह श्राद्ध का पक्ष भी माना जाता है। इसी पक्ष में गोरक्षपीठ के आचार्य द्वय ने अपने भौतिक शरीर को छोड़ा था। आचार्य द्वय ने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से न केवल गोरक्षपीठ अथवा गोरखपुर या फिर पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए बल्कि सम्पूर्ण हिन्दू समाज और सनातन धर्म के लिए मूल्यों और आदर्शाें की स्थापना की थी।गोरक्षपीठ के आचार्याें के मूल्यों एवं आदर्शाें को स्मरण करने के लिए प्रतिवर्ष गोरक्षपीठ के द्वारा श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाता है। विभिन्न सामाजिक संगठनों के द्वारा पूज्य संतों के सान्निध्य में श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। श्रद्धांजलि का हेतु अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के साथ-साथ उनके विराट व्यक्तित्व से प्रेरणा और प्रकाश प्राप्त करना होता है।


योगी ने कहा कि समय के अनुसार गोरक्षपीठ ने रचनात्मक कार्याें को आगे बढ़ाने का कार्य किया। ब्रह्मलीन महाराज दिग्विजयनाथ जी ने इसकी नींव रखी थी। ब्रह्मलीन महाराज अवेद्यनाथ जी ने उस नींव पर एक भव्य भवन के निर्माण की कार्यवाही को आगे बढ़ाया था। गोरक्षपीठ के द्वारा हर एक क्षेत्र में कार्य हुआ है। गोरक्षपीठ के अन्दर एवं नाथ सम्प्रदाय के अखिल भारतीय संगठन योगी महासभा का, षठ दर्शन सम्प्रदाय से जुड़े सनातन धर्म की उपासना विधियों से सम्बन्धित कार्य हुआ है।अपने मान बिन्दुओं की पुनस्र्थापना एवं संरक्षण हेतु निरन्तर अहर्निश प्रयास किया जा रहा है। साथ ही, अपनी पौराणिक और ऐतिहासिक पहचान को अक्षुण्ण बनाए रखते हुए समाज के प्रत्येक तबके को नवीनतम ज्ञान से ओत-प्रोत किये जाने हेतु कार्यवाही की गई है। इसके लिए सरकार के साथ-साथ समाज को भी आगे आना पड़ेगा। साथ ही,सन्तों को भी आगे बढ़कर नेतृत्व देना होगा।


मुख्यमंत्री ने कहा कि वे विगत 25 से 30 वर्षों के गोरक्षपीठ के हरेक कार्य से जुड़े हुए हैं। उनको गोरक्षपीठ का नेतृत्व करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि गोरक्षपीठ ने अपने को एक उपासना विधि तक सीमित नहीं रखा है। गोरक्षपीठ द्वारा भारत के हित में तथा भारत की आने वाली पीढ़ी को ध्यान में रखकर सदैव कार्य किया जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए गोरक्षपीठ द्वारा बड़े-बड़े संस्थान की स्थापना की गयी है। यह प्रयास निरन्तर आगे भी जारी रहेगा। गोरक्षपीठ द्वारा 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना, 1945-46 में महिला शिक्षा के लिए स्कूल व काॅलेज की स्थापना, 1956 में महाराणा प्रताप पाॅलीटेक्निक काॅलेज की स्थापना की गयी थी। साथ ही, संस्कृत के उच्च अध्ययन केन्द्र के रूप में गुरु गोरक्षनाथ विद्यापीठ की स्थापना की गयी है। आज भारतीय प्राचीन आरोग्य की पद्धति आयुर्वेद से सम्बन्धित आयुर्वेद हाॅस्पिटल एवं आयुर्वेद काॅलेज की स्थापना के लिए कदम बढ़ाना इसमें शामिल हैं।

अयोध्‍या के श्रीराम मंदिर को लेकर गोरक्षपीठ के समर्पण को हर व्यक्ति जानता है। जब मैं अयोध्या में होता हूं, तो लगता ही नहीं कि गोरखपुर में नहीं हूं। 1947 में देश आजाद हुआ और 1949 में जन्मभूमि पर श्रीरामलला का प्रकटीकरण हो जाता है। उस दौरान वहां के मूर्धन्य संतों को गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ का संरक्षण प्राप्त रहा है। परमहंसजी ने महंत दिग्विजयनाथ की ही प्रेरणा से श्रीरामलला के मुकदमें को आगे बढ़ाया। महंत दिग्विजयनाथ के अभियान को ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ विस्तारित करते रहे। गोरक्षपीठ और संतों के नेतृत्व में अयोध्या के लिए क्या-क्या संघर्ष नहीं करना पड़ा। किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि इसमें मुझे क्या मिलेगा, वास्तव में जब चारों ओर से एक आवाज निकलती है, तो संकल्प साकार होता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में बन रहे मंदिर, अयोध्या धाम के विकास व यहां आयोजित होने वाले दीपोत्सव का भावनात्मक उल्लेख करते हुए कहा कि अब अयोध्या सप्तपुरियों में पहली पुरी बन गई है। वहां के दीपोत्सव में एक-एक संत की भावना परिलक्षित होती है, जो संत अब भौतिक शरीर में नहीं हैं, वह भी सूक्ष्म शरीर से इसे देखकर प्रसन्न होते हैं।


भारत के संस्कार में आयुष का महत्व बसा है। हमें अपने शास्त्र के मर्म को भी समझना व अपनाना होगा। कोरोना महामारी के दौरान आयुर्वेद से सम्बन्धित आयुष काढ़ा एवं तमाम नुस्खे जो व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, को आयुष कवच के रूप में दुनिया ने भी अपनी मान्यता दी है। तुलसी, हल्दी के आयुर्वेदिक महत्व को अमेरिका सहित विश्व के अन्य देशांे ने उत्सुकता पूर्वक अपनाया है। योग हमारी हजारों वर्षों की विरासत है। गोरखपुर में गोरक्षपीठ भी मूलतः एक योगपीठ ही है। भगवद गीता में कहा गया है कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए श्रद्धा होनी चाहिए। ‘श्रद्धावान लभते ज्ञानम्’ अर्थात बिना श्रद्धा के ज्ञान नहीं प्राप्त हो सकता। अपने पूर्वजों, गुरुजनों एवं राष्ट्रनायकों के प्रति श्रद्धा का भाव ही हमें ज्ञानवान बनाता है। पुस्तकीय ज्ञान से व्यक्ति कभी आगे नहीं बढ़ सकता। व्यावहारिक धरातल पर उतारकर अंगीकार कर उसे चरितार्थ करना होगा। जब तक आचार-विचार में समन्वय नहीं होगा, तब तक जीवन का कल्याण नहीं होगा। जीवन में सफलाता का मार्ग प्रशस्त नहीं होगा।


मुख्यमंत्री ने कहा कि महापुरुषों, संतों, योगियों के आदर्श, उनके व्यक्तित्व हम सबको प्रेरणा देते हैं। एक दिन में कोई भी निर्माण नहीं होता। इसके लिए वर्ष एवं युग लग जाते हैं। धैर्य के साथ उसका इन्तजार कर, अपने दायित्वों के साथ जुड़कर कार्य करने से कार्यक्रम में तेजी से सफलता मिलती है। अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम में देश-दुनिया में उत्साह का माहौल बना। अयोध्या सप्त पुरियों में पहली पुरी बनी।राष्ट्रनायकों के प्रति भी सम्मान का भाव होना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को सफल नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह जी ने प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में कश्मीर से धारा 370 को हटाया। यह धारा देश की एकता एवं अखण्डता के लिए खतरनाक एवं शूल के समान थी। इस शूल को उखाड़ फेंक कर सदियों से व्याप्त आतंकवाद को समाप्त किया जा रहा है।इस अवसर पर विभिन्न आश्रमों के साधु-सन्त, महन्त एवं जनप्रतिनिधिगण उपस्थित थे।