यूपीएससी पर मडरा रहा खतरा-लौटनराम निषाद

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लेटरल इण्ट्री द्वारा बना दिये गये 89 आईएएस, यूपीएससी पर मडरा रहा खतरा।सेन्सस – 2021 में सभी वर्गों की होनी चाहिए जातिवार जनगणना।

विकासशील इंसान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चौ.लौटनराम निषाद ने यहां जारी अपने बयान में केन्द्र की भाजपा सरकार पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को निष्प्रभावी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बिना प्रतियोगी परीक्षा में शामिल किये केन्द्र सरकार ने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा 89 लोगों को आईएएस लेटरल इण्ट्री द्वारा बना दिया गया।सीधे दर्जनों संयुक्त सचिव व डायरेक्टर केन्द्रीय मंत्रालयों व विभागों में लेटरल इंट्री द्वारा बना दिया गया।निजीकरण द्वारा आरक्षण को निष्प्रभावी किया जा रहा है।


उन्होंने बताया कि यूपीएससी ने सिविल सेवा मुख्य परीक्षा- 2019 के लिये 4 जनवरी को रिजर्व सूची के तहत 89 उम्मीदवारों की लिस्ट को जारी किया है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डी०ओ०पी०टी०) की मांग के अनुसार 89 अतिरिक्त उम्मीदवारों की नियुक्ति की अनुशंसा की गयी है। जो यू०पी०एस०सी० के सम्मान व निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह है। संघ नियंत्रित भाजपा सरकार यू०पी०एस०सी० को निष्प्रभावी करने के षड़यंत्र में जुटी हुयी है। उन्होंने बताया कि यूपीएससी ने सिविल सेवा प्रधान परीक्षा के परिणामों की घोषणा विगत-4 अगस्त, 2020 को करते हुए 927 रिक्तियों के लिए 829 उम्मीदवारों की नियुक्ति 4 रिजर्व की अनुशंसा करते हुए डी०ओ०पी०टी० को सूची दिया था। यूपीएससी द्वारा 4 जनवरी को जारी नोटिस के अनुसार सूची में सम्मिलित किये गये 89 उम्मीदवारों में से 83 सामान्य वर्ग के, 14 ओ०बी०सी० के एवं 1-1 एस०सी० व ईडब्लूएस श्रेणी के हैं। उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा अनुच्छेद-15 (4) व 16 (4) की व्यवस्था को निष्प्रभावी करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा सरकार संविधान के विरूद्ध काम कर रही है।

भाजपा व संघ जाति व धर्म के नाम पर नफरत की राजनीति करती है।पहले यादव बनाम गैर यादव के मध्य खूब नफरत की राजनीति किया व राजनीतिक लाभ उठाया।अभी 4 दिन पहले जो यूपीएससी का 2020 का परिणाम घोषित किया गया है,उसमे 25 यादव प्रतियोगी आइएएस चयनित हुए हैं,आखिर ये किसकी कृपा से हुए हैं?यादव समाज में योग्यता व प्रतिस्पर्धा की भावना है,को इनकी सफलता का राज है।

निषाद ने केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय एवं इसके अधीन महापंजीयक भारत सरकार एवं जनगणना आयुक्त से सेन्सस – 2021 की जातिवार जनगणना कराने की मांग करते हुए कहा कि यह कैसी विडम्बना है कि केन्द्र सरकार किन्नरों की जनगणना कराती है लेकिन ओ०बी०सी० की जनगणना कराने से पीछे हट जाती है। 2011 की जनगणना में ओ०बी०सी० की जनगणना कराने का कांग्रेस नीत सरकार ने संसद के अन्दर वायदा किया था। लेकिन जब जनगणना प्रक्रिया शुरू हुयी तो जनगणना परिपत्र से ओ०बी०सी० का कालम हटा दिया गया।

15 जून, 2016 को भारत सरकार ने एससी, एसटी, धार्मिक अल्पसंख्यक (मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, यहूदी, रेसलर आदि) के साथ-साथ दिव्यांग व ट्रांस जेण्डर / थर्ड जेण्डर या किन्नर की जनसंख्या घोषित कर दी गयी। लेकिन ओ०बी०सी० की जनसंख्या को उजागर नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जब किन्नरों की जनगणना हो सकती है तो अगड़ो व पिछड़ों की क्यों नहीं? भाजपा सरकार गाय को आधार कार्ड देने एवं कछुआ, डालफिन, भालू, शेर आदि की जनगणना कराती है तो ओ०बी०सी० की क्यों नहीं?

तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 2018 में जनगणना विभाग के अधिकारियों की बैठक में ओ०बी०सी० की जनगणना कराने का वायदा किये थे लेकिन सेन्सस-2021 में भी ओ०बी०सी० की जनगणना संदिग्ध दिखायी दे रही है। कारण कि संघ नियंत्रित भाजपा सरकार ओबीसी की जातिगत कराने को कठिन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है।इससे पिछड़ी जाति का बताने वाले प्रधानमंत्री व भाजपा का पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर हो गया है।


निषाद ने बताया कि विकासशील इंसान पार्टी 403 सीटों पर तैयार करेगी और 169 सीटे जहां निषाद, कश्यप, बिन्द मतदाता 40 हजार से 1.20 लाख हैं वहां विशेष तैयारी कर चुनाव लड़ेगी। भाजपा ने 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति के आरक्षण का राजपत्र व शासनादेश जारी कर दिया तो वी.आई.पी. भाजपा के साथ मिलकर मिशन-2022 का चुनाव लड़ेगी।