प्रदेश में अपराध,अराजकता और आतंक का राज-अखिलेश

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अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर तीखे तेवर में कहा है कि उत्तर प्रदेश में अपराध, अराजकता और आतंक का राज है। भाजपा राज में बच्चियों और महिलाओं का उत्पीड़न चरम पर है। बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं का नारा सिर्फ छलावा साबित हुआ है क्योंकि जब घर-बाहर बेटी सुरक्षित ही नहीं है तो वह कहां और कैसे पढ़ेगी? भाजपा सरकार पुलिस-प्रशासन पर लगाम लगाने में पूर्णतया विफल हैं।

    जनपद खीरी में 13 साल की एक मासूम बच्ची के साथ हुई दरिंदगी दिल दहला देने वाली है। उसकी दुष्कर्म के बाद हत्या की गईं। उसकी जीभ कटी थी और आंखें बाहर निकल आई थी। शामली के जलालाबाद क्षेत्र में एक 11 वर्षीय बालक का अपहरण और गला दबाकर हत्या कर दी गई। उसके शरीर में दो जगह दांत से काटने के निशान थे। कानपुर में महिला की हत्या की गई। ललितपुर में युवक की गोली मारकर हत्या की दी गई।

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा सिर्फ  छलावा साबित हुआ है क्योंकि जब घर-बाहर बेटी सुरक्षित ही नहीं है तो वह कहां और कैसे पढ़ेगी? भाजपा सरकार पुलिस-प्रशासन पर लगाम लगाने में पूरी तरह विफल है।

अखिलेश ने कहा कि लखीमपुर खीरी में 13 साल की एक मासूम बच्ची के साथ हुई दरिंदगी दिल दहला देने वाली है। उसकी दुष्कर्म के बाद हत्या की गई। शामली के जलालाबाद क्षेत्र में एक 11 वर्षीय बालक का अपहरण और गला दबाकर हत्या कर दी गई। कानपुर में महिला की हत्या की गई। ललितपुर में युवक की गोली मारकर हत्या की दी गई।

    स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर वाराणसी में घर में घुस कर एक युवक की हत्या हुई। बलिया में एक बुजुर्ग की जान ली गई। गोण्डा के मनकापुर के ग्राम बल्लीपुर पासी पुरवा में युवक की हत्या कर दी गई। अपनी बहन के साथ छेड़छाड़ के विरोध पर दंबगों ने उसे चाकू से गोद डाला। अयोध्या में पति पत्नी पर हमला हुआ। प्रतापगढ़ में भरी पंचायत में पिता-पुत्र की हत्या सŸाा संरक्षित तत्वों ने की।

  आजमगढ़ में लगातार चार हत्याएं हो गई। बासगांव के दलित प्रधान की घर से बुलाकर हत्या कर दी गई। विरोध प्रदर्शन कर रही भीड़ में खड़े एक बालक की वाहन की चपेट में आने से मौत हो गई। इससे पूर्व एक पिता-पुत्र की हत्या हो गई थी। इन घटनाओं से स्पष्ट है कि भाजपा सरकार में अपराधियों को किसी का खौफ नहीं रह गया है। एक तरह से यह सरकार ही अपराधियों को प्रश्रय देने वाली बन गई है।

   उत्तर प्रदेश में अपराधी बेलगाम हैं। उनका खौफ अब तो खाकी पर भी दिखाई पड़ने लगा है। कई जगह अपराधियों के हमलों में पुलिस के जवान हताहत हुए हैं। मासूमों के साथ दरिंदगी के मामलों में बढ़त से प्रशासनतंत्र को भी सोचना होगा कि आखिर बेटियों की सुरक्षा की बातें सिर्फ दिखावा क्यों बन गई हैं और अपराधियों को कानून का डर क्यों नहीं रह गया है? जहां तक भाजपा सरकार का सवाल है उसकी चिंता में नागरिकों, बेटियों और महिलाओं की सुरक्षा नहीं है, जबकि कानून व्यवस्था और भयमुक्त वातावरण बनाए रखना संवैधानिक दायित्व है।