एकेटीयू के कुलपति के खिलाफ आयोग सख्त

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एकेटीयू के कुलपति विनय कुमार पाठक के खिलाफ राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग हुआ सख्त आयोग ने शासन और राजभवन से पूछा है कि ऐसा कौन सी पावर हैं जिसके जिसके तहत एकेटीयू के कुलपति विनय कुमार पाठक राजभवन की बात नहीं मान रहे हैं।‌ लगातार चार सालों से दलित उत्पीड़न किए जा रहे हैं।‌ दलित कर्मी को बहाली के बाद भी फोन के माध्यम से माननीय आयोग से जांच वापस लेने जांच वापस लेने के लिए लगातार दबाव बना रहे थे।‌ महामहिम के आदेश के बाद भी दलित कर्मियों को नहीं विनियमित किया और ना ही उनका बकाया भुगतान किया जा रहा है।‌ दलित कर्मी की पत्नी ने कुलपति विनय पाठक पर गंभीर आरोप लगाए हैं जिसके प्रमाण उनके पास हैं जिसमें फोन रिकॉर्डिंग भी शामिल है जिसके माध्यम से जांच वापस के लिए दबाव बनाया जा रहा था।‌

आयोग ने प्रमुख सचिव को भेजे पत्र मे तत्काल कर्मी को परिणामिक लाभ एवं विनिमितिकरण करने के लिए लिखा है।‌ दलित कर्मी को विश्वविद्यालय के द्वारा चार सालों से भुगतान आज तक रोके रखा गया है।‌ आयोग ने आयोग ने प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा एवं राज्यपाल के विशेष कार्याधिकारी को लिखित रूप से पत्र भेजा है।‌ दलित कर्मी के उत्पीड़न मे लिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही और जाँच मे सहयोग नहीं करने पर भी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के आदेश दिया है, साथ ही बकाया भुगतान जो महामहिम राज्यपाल के आदेश के बाद भी नही दिया गया उसका भुगतान करते हुए विनिमित किया जाये।‌ इस प्रकरण की एक उच्च स्तरीय जांच बैठाने के लिए लिखा है।‌ पूरे प्रकरण में कुलपति विनय पाठक पर ही सभी गंभीर आरोप लगाये गए है उनके द्वारा अपने प्रत्यावेदन मे कहा गया है कि बहुत ही शर्म की बात है कि इतने कुलपति इतने उच्च पद पर विराज कुलपति एक छोटे से कर्मचारी के पीछे पड़े हैं।‌ इस प्रकरण में कुलपति विनय पाठक की संलिप्तता देखी जा रही है।‌ माननीय आयोग 21 दिनों के अंदर जवाब मांगा गया है जिसके बाद पत्रावली दिल्ली जांच के लिए भेज दी जाएगी।‌