कांग्रेस के मजबूत हाथ साइकिल पर सवार

144

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की कमान संभालने के बाद प्रियंका गांधी जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने में जुटी हैं, लेकिन पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं को रोक नहीं पा रही हैं. सूबे में गैर-बीजेपी नेताओं का राजनीतिक ठिकाना और पहली पसंद समाजवादी पार्टी बनती जा रही है. पिछले एक महीने में करीब एक दर्जन से ज्यादा बड़े नेता कांग्रेस का हाथ छोड़कर अखिलेश यादव की साइकिल पर सवार हो चुके हैं, जिसके चलते प्रियंका गांधी के ‘मिशन यूपी’ को गहरा झटका लगा है. 

हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री व बदायू से पूर्व सांसद सलीम शेरवानी, उन्नाव की पूर्व सांसद अन्नू टंडन, मिर्जापुर के पूर्व सांसद बाल कुमार पटेल, सीतापुर की पूर्व सांसद कैसर जहां, अलीगढ़ के पूर्व सांसद विजेन्द्र सिंह, पूर्व मंत्री चौधरी लियाकत, पूर्व विधायक राम सिंह पटेल, पूर्व विधायक जासमीन अंसारी, अंकित परिहार और सोनभद्र के रमेश राही जैसे नेताओं ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है. इन सारे नेताओं को अखिलेश यादव ने खुद उन्हें पार्टी में शामिल कराया है. 

कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल होने वाले नेताओं को लेकर यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने aajtak.in से कहा कि पार्टी का साथ वही नेता छोड़कर गए हैं, जो सिर्फ चुनाव लड़ने के मकसद से कांग्रेस में आए थे. कांग्रेस के पुराने और वफादार नेता पार्टी के साथ मजबूती से खड़े हुए हैं और मेहनत कर रहे हैं. कांग्रेस पिछले तीस साल में पहली बार जमीन पर संगठन को ग्राम स्तर पर खड़ा किया गया है और हर एक मुद्दे पर हमारी पार्टी ने मुखर होकर संघर्ष किया है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं पर 8 हजार केस दर्ज किए गए हैं. कांग्रेस को सूबे में सिर्फ चुनाव लड़ने वाले नेता की नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर संघर्ष करने वाले नेताओं की जरूरत हैं. 

सपा ही बीजेपी का विकल्प है

समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री और प्रवक्ता अताउर रहमान ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सियासी तस्वीर साफ है कि बीजेपी का विकल्प सिर्फ सपा है. यही वजह है कि कांग्रेस ही नहीं बल्कि बसपा के भी बड़े नेता सपा में शामिल हो रहे हैं. सपा को मजबूत करने वाले हर नेता के लिए अखिलेश यादव ने पार्टी के दरवाजे खोल दिए हैं और लगातार जॉइनिंग हो रही है. 2022 की सीधी लड़ाई योगी बनाम अखिलेश की होगी. मायावती बीजेपी की बी-टीम बन चुकी हैं. ऐसे में सपा ही यूपी के लिए मजबूत विकल्प है और सूबे के लोग अखिलेश यादव के विकास कार्यों को देख चुके हैं. 

सपा का नया मुस्लिम चेहरा
सलीम शेरवानी बदायूं से पांच बार सांसद रहे हैं और केंद्रीय स्वास्थ्य और विदेश राज्यमंत्री पद पर भी रह चुके हैं. शेरवानी ने अपना राजनीतिक सफर कांग्रेस से शुरू किया था, लेकिन 90 के दशक में सपा में शामिल हो गए थे. इसके बाद 2009 में सपा छोड़कर कांग्रेस में आए और तीन चुनाव लड़े और अब फिर अखिलेश की साइकिल को मजबूत करने में जुट गए हैं. सपा में वापसी करने के लिए अखिलेश के साथ उनकी नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं. अखिलेश की हर प्रेस कॉन्फ्रेंस में बगल में वो बैठे दिखते हैं, जिसके चलते माना जा रहा है कि सपा उन्हें मुस्लिम चेहरे के तौर पर आगे बढ़ा रही है. 

दरअसल, सपा का मुस्लिम चेहरा रहे आजम खान जेल में हैं और उनकी छवि कट्टर मुस्लिम नेता के तौर पर रही है. बीजेपी सूबे में जिस तरह से हिंदुत्व कार्ड खुलकर खेल रही है और अपना राजनीतिक आधार मजबूत किया है. इसके चलते सपा हार्डकोर मुस्लिम राजनीति को अब खुलकर खेलने से बच रही है. वहीं, सलीम शेरवानी की साफ सुथरी छवि के साथ-साथ हार्डकोर मुस्लिम नेता की इमेज नहीं रही है. यही वजह है कि अखिलेश इन दिनों सलीम शेरवानी के जरिए मुस्लिम मतों को साधने का दांव चल रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस लगातार मुस्लिम पर डोरे डाल रही है. 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीब रहीं अन्नू टंडन भी अब अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है. बालकुमार पटेल कुर्मी समदुाय से आते हैं, सितंबर में यूपी कांग्रेस संपर्क समिति में नामित किया गया था. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब डेढ़ साल का समय रह गया है और उससे पहले कांग्रेस छोड़ कर जिस तरह से नेता दूसरी पार्टियों में जा रहे हैं, उसके चलते पार्टी के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है.