कांग्रेस से गुलाम हुए आज़ाद….!

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कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के पार्टी से इस्तीफा के बाद राहुल गांधी ने कहा जो डर गये वो आजाद हैं।

राजू यादव

वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने आज कांग्रेस छोड़ दी। उन्होंने पार्टी के सारे पदों और सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। इसे उन्होंने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा। 3 पन्नों के इस्तीफे में उन्होंने लिखा- दुर्भाग्य से पार्टी में जब राहुल गांधी की एंट्री हुई और जनवरी 2013 में जब आपने उनको पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया, तब उन्होंने पार्टी के सलाहकार तंत्र को पूरी तरह से तबाह कर दिया।

कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी को अलविदा कह दिया है। हाल ही में उन्होंने जम्मू-कश्मीर में पार्टी के अहम पद से भी इस्तीफा दिया था। खास बात है कि 2020 में ही उन्होंने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था, जिसमें संगठन स्तर पर बड़े बदलाव की मांग की गई थी। उस दौरान कांग्रेस की भीतर ही G-23 समूह चर्चा में आया था, जिसमें आनंद शर्मा, मनीष तिवारी समेत कई नेता शामिल थे।

इसी बीच राहुल गांधी ने गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है…’जो डर गए, वो आजाद’ हैं।बता दे आजाद यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि – राहुल की एंट्री के बाद सभी सीनियर और अनुभवी नेताओं को साइडलाइन कर दिया गया और गैरअनुभवी सनकी लोगों का ग्रुप खड़ा कर दिया। यही पार्टी चलाने लगा। आजाद पिछले कई दिनों से हाईकमान के फैसलों से खफा थे। इसी महीने 16 अगस्त को कांग्रेस ने आजाद को जम्मू-कश्मीर प्रदेश कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाया था। अध्यक्ष बनाए जाने के 2 घंटे बाद ही आजाद ने पद से इस्तीफा दे दिया था। तब गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि ये मेरा डिमोशन है।

गुलाम नबी आजाद ने पत्र में लिखा है कि ‘पार्टी की कमजोरियों पर ध्यान दिलाने के लिए पत्र लिखने वाले 23 नेताओं को अपशब्द कहे गए, उन्हें अपमानित किया गया, नीचा दिखाया गया। कांग्रेस में हालात अब ऐसी स्थिति पर पहुंच गए है, जहां से वापस नहीं आया जा सकता। पार्टी के साथ बड़े पैमाने पर धोखे के लिए नेतृत्व पूरी तरह से जिम्मेदार। एआईसीसी के चुने हुए पदाधिकारियों को एआईसीसी का संचालन करने वाले छोटे समूह द्वारा तैयार की गई सूचियों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया।

73 साल के आजाद अपनी सियासत के आखिरी पड़ाव पर फिर प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालना चाह रहे थे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी बजाय 47 साल के विकार रसूल वानी को ये जिम्मेदारी दे दी। वानी गुलाम नबी आजाद के बेहद करीबी हैं। वे बानिहाल से विधायक रह चुके हैं। आजाद को यह फैसला पसंद नहीं आया। कहा जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व आजाद के करीबी नेताओं को तोड़ रहा है और आजाद इससे खफा हैं।

भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि जब माझी खुद ही कश्ती डुबोए तो उसे कौन बचाए। जिन लोगों को कांग्रेस का नेतृत्व मिला हुआ है, जब उन्हे ही वरिष्ठ नेताओं की कद्र नहीं है तो कोई भी जमीर वाला नेता पार्टी में कैसे टिकेगा। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हुसैन ने कहा कि गुलाम नबी आजाद जी का नाम जरूर आजाद है, लेकिन उन्हे असली आज़ादी आज मिली है।

आज के लोकतंत्र में जिस भी पार्टी में परिवार का दखल बढ़ा है वह पार्टी लगातार विघटन की ओर बढ़ती गई है फिर चाहे वह चाहे क्षेत्रीय पार्टी हो या फिर राष्ट्रीय पार्टी। उत्तर प्रदेश में एक क्षेत्रीय दल का अंत लगभग परिवार की अंतः कला ही परिवार को नेस्तनाबूद कर रहा है। वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय पार्टी कि महामहिम अपने पुत्र प्रेम में पार्टी को पूरी तरह विलुप्त कर दे रही है। जैसा कि सत्तादल कहता था कि देश को कांग्रेस मुक्त कर देंगे सत्ता दल की रणनीति इतनी कामगार की उसकी विरोधी कांग्रेस खुद अपने आप को देश से मुक्त कर रही है। जिस तरह सोनिया गांधी ने एक रणनीति के तहत देश के कद्दावर नेता स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी को पुत्र मोह के चक्कर में राष्ट्रपति पद से नवाजा था। जब से प्रणब दा ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी तब से ही कांग्रेस बहुत तेजी से विघटन या देश से मुक्त होने की ओर अग्रसर हुई है। प्रणब दा को राष्ट्रपति बनाकर राष्ट्रीय पार्टी ने पुत्र के रास्ते को साफ़ किया था ,रास्ता ऐसा साफ़ हुआ की आज वह खुद साफ होती जा रही है । इसका जिम्मेदार कौन है यह मैं आप पर छोड़ता हूं।

यह पहली बार नहीं है, जब गुलाम नबी आजाद सोनिया गांधी की गुड लिस्ट से बाहर हैं। 2008 में जम्मू-कश्मीर मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद भी उनका कांग्रेस हाईकमान से खटपट हुई थी। हालांकि, 2009 में आध्र प्रदेश कांग्रेस विवाद सुलझाने के बाद एक बार फिर वे गुड लिस्ट में शामिल हुए और केंद्र में मंत्री बने। सूत्रों के मुताबिक, इस बार कांग्रेस हाईकमान से उनका समझौता नहीं हो पाया, इस वजह से उन्होंने इस्तीफा ही दे दिया।

कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए सुनील जाखड़ ने कहा कि ये कांग्रेस को अपनी कमजोरियों को देखने का समय है। क्योंकि कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता कांग्रेस छोड़ कर गए.? इस पर विचार करने के बजाय कांग्रेस एक ही बात कर रही है कि उन्होंने धोखा दिया है। मैंने जो-जो बातें कही थी उन सब पर गुलाम नबी आज़ाद साहब ने मुहर लगा दी है। गुलाम नबी आज़ाद का इस्तीफा अंत की शुरूआत है। ये सिलसिला चलता चला जाएगा। कांग्रेस का अंत अभी और गति पकड़ेगा।

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