जेल अफसरों को बचा रहा मुख्यालय

154
सुरक्षा के बजाए जेल मुख्यालय में फाइल ढो रहे वार्डर.!
सुरक्षा के बजाए जेल मुख्यालय में फाइल ढो रहे वार्डर.!

लखनऊ जेल अफसरों को बचा रहा जेल मुख्यालय व शासन…! एक दर्जन से अधिक गंभीर घटनाएं होने के बाद भी नहीं हुई कोई कार्रवाई। अवैध मुलाकात, माफियाओं की मदद करने समेत अन्य आरोपों में तीन वरिष्ठ अधीक्षक किए निलंबित। जेल अफसरों को बचा रहा मुख्यालय

आर.के.यादव

लखनऊ। जेलों में अनाधिकृत मुलाकात, अवैध वसूली, माफियाओं की मदद करने के आरोप में शासन ने तीन वरिष्ठ जेल अधीक्षकों को निलंबित कर दिया, किंतु राजधानी लखनऊ जेल में दर्जनों की संख्या में गंभीर घटनाएं होने के बाद किसी भी जेल अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इतना जरूर है कि सनसाइन सिटी मामले की जांच करने वाले तत्कालीन डीआईजी जेल को हटाकर दूसरे डीआईजी से जांच कराई गई। इसके बाद भी इस मामले में किसी भी अधिकारी के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।


टॉप टेन दो अपराधी इस जेल में- प्रदेश को टॉप टेन अपराधियों की सूची में शामिल दो खूंखार अपराधी वर्तमान समय में राजधानी की जिला जेल निरुद्ध है। बेताया गया हे कि खुंखार अपराधी संजीव जीवा और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का बेटा उमर अंसारी इसी जेल में हैं। इसके अलावा इस जेल में कई असरदार बंदी भी निरुद्ध है। इसमें पशुधन घोटाले के कई आरोपी समेत विभाग के एक सेवानिवृत्त अधिकारी की पत्नी भी जेल में बंद है।


प्रदेश की जेलों में सवार्धिक लंबे समय (करीब साढ़े तीन साल) से राजधानी की जिला जेल में वरिष्ठï अधीक्षक जमे हुए हैं। इनके कार्यकाल के दौरान कैदियों की फरारी, विदेशी कैदी की गलत रिहाई और बंगलादेशी बंदियों की ढाका से फंडिंग का मामला जैसी तमाम घटनाएं हो चुकी हैं। इन घटनाओं के सुर्खियो में रहने के बाद भी शासन ने कोई कार्रवाई ही नहीं की। सूत्रों का कहना है कि जेल में तैनात होने के कुछ ही दिनों बाद ही आदर्श कारागार से जिला जेल में रंगाई-पोताई के लिए बाहर निकाले गए दो कैदी सुरक्षाकर्मियों का चकमा देकर फरार हो गए। इन फरार कैदियों का अभी तक कोई सुराग ही नहीं लगा। इसके साथ ही जेल में दो राइटरों की भिडंत के बाद मिली सूचना पर जब जेल प्रशासन के अधिकारियों ने गल्ला गोदाम की तलाशी कराई तो वहां से उन्हें करीब 35 लाख रुपए की नगदी बरामद हुई। यही नहीं लखनऊ जेल में बंद बंगलादेश बंदियों की ढाका से वाया कोलकात होते हुए होने वाली फंडिंग के मामले की एटीएस ने की। इसी दौरान जेल प्रशासन के अधिकारियों ने एक विदेश कैदी समेत तीन बंदियों की गलत रिहाई कर दी। पिछले दिनों जेल में बंदियों के हमले से घायल हुए एक बंदीरक्षक की उपचार के दौरान मौत हो गई।


इसके अलावा बीते दिनों राजधानी की जिला जेल से साइन सिटी की पावर ऑफ आटर्नी के जेल से बाहर जाने के मामले को न्यायालय ने गंभीरता से लिया। न्यायालय ने मामले की जांच कराकर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। विभाग के मुखिया ने मामले की जांच जेल मुख्यालय और लखनऊ परिक्षेत्र के तत्कालीन डीआईजी शैलेंद्र मैत्रये को जांच सौंपी। सूत्रों का कहना है कि जांच में उन्होंने कई अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए कार्रवाई की संस्तुति की। जांच में रिपोर्ट के बाद बवाल हो गया। जेल अफसरों ने जांच अन्य अधिकारी से कराए जाने की मांग की। मामले की जांच एक अन्य डीआईजी को सौंपी गई। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। तमाम घटनाओं के बाद भी शासन में बैठे अफसरों ने कोई कार्रवाई नहीं की गई।उधर डीआईजी जेल मुख्यालय एके सिंह ने इसे शासन का मामला बताते हुए कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया। जेल अफसरों को बचा रहा मुख्यालय