शव में तब्दील हुए शव वाहन

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शव में तब्दील हुए शव वाहन
शव में तब्दील हुए शव वाहन

शव में तब्दील हो गए अंतिम निवास के शव वाहन, नोएडा अथॉरिटी….

नोएडा। कोविड महामारी की विभीषिका अभी हमारे जेहन में जिंदा है। हम चाहकर भी उस भयानक दृश्य को आसानी से भूल नहीं पाएंगे। वह बेहद खौफनाक मंजर था, जब शवों को श्मशान भूमि तक लाने के साधन कम पड़ गए थे। वहां पहुंचने के बाद शवों के अंतिम संस्कार के लिए काफी इंतजार करना पड़ता था। इस कठिन समय में एक कंपनी ने नोएडा प्राधिकरण को दो शव वाहन भेंट किए, जिससे शवों को अंतिम निवास तक लाने में कुछ सहूलियत हो जाए। अथॉरिटी ने उस वाहन को अंतिम निवास को सौंप भी दिया। लेकिन, तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी आरटीओ से रजिस्ट्रेशन न होने के कारण वाहन अंतिम निवास में ‘शव’ की तरह ही पड़े हैं। हमारी टीम ने जब इसकी पड़ताल शुरू की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। शव में तब्दील हुए शव वाहन

अपने शहर में भी था डरावना मंजर

साल 2020 में आई दूसरे चरण की कोविड महामारी के दौरान पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ था। हर कोई अपने परिजनों, दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों के लिए दवाएं और आक्सीजन सिलेंडर के लिए मारा-मारा फिर रहा था। रातों की नींद और दिन का चैन, सब लुट गया था। अपना शहर भी इस महामारी से अछूता नहीं था। यहां भी बेहद डरावना माहौल था।

सीएसआर पहल के तहत डिक्शन ने दिए थे दो शव वाहन

जीवन का एकमात्र सच, जिसे मौत कहते हैं, उसे टालना किसी के लिए भी संभव नहीं है। लेकिन, मौत के बाद शवों को दुर्दशा से बचाना मानवता के साथ धर्म भी है। शायद इसी सोच के तहत ‘डिक्शन’ कंपनी ने फोर्स कंपनी की दो ट्रेवलर शव वाहन नोएडा अथॉरिटी को भेंट किए। यह वाहन सीएसआर पहल के तहत दिए गए थे। नोएडा प्राधिकरण ने दोनों वाहन सेक्टर 94 स्थित अंतिम निवास को सौंप दिए। इसके बाद डिक्शन कंपनी और नोएडा अथॉरिटी ने यह सोच लिया कि उनकी जिम्मेदारी पूरी हो गई।

अपने ही भरोसे को भूल गया प्राधिकरण

आपको जानकर ताज्जुब होगा कि शवों को ढोने के लिए दिए गए वाहन अंतिम निवास में बेजान से एक जगह खड़े हैं। उनका इस्तेमाल अब तक नहीं हुआ है। बात यहीं खत्म नहीं हुई। जिस समय अथॉरिटी ने दोनों शव वाहन नोएडा लोक मंच को दिए, तब यह भरोसा दिया था कि इनका खर्च प्राधिकरण उठाएगा। लेकिन, आरोप है कि दो महीने बाद ही अथॉरिटी अपने दिए भरोसे को भूल गई।

अनुरोध पर गौर नहीं करते हैं अथॉरिटी के अफसर

नोएडा लोक मंच के महासचिव महेश सक्सेना ने हमारी टीम को बताया कि करीब तीन साल पहले नोएडा अथॉरिटी की तरफ से दिए गए दो शव वाहन सेक्टर 94 के अंतिम निवास में यूं ही खड़े हैं। उनका अब तक इस्तेमाल नहीं हुआ है। इसका कारण दोनों वाहनों का आरटीओ से रजिस्ट्रेशन न होना है। महेश सक्सेना का कहना है कि शुरुआत में नोएडा प्राधिकरण के परिवहन विभाग ने शव वाहन के रखरखाव और परिचालन का खर्चा दिया था, लेकिन कुछ महीनों बाद ही बंद कर दिया। संस्था ने अपने खर्चे पर उसे चलाने का प्रयास किया, लेकिन दोनों वाहनों के रजिस्ट्रेशन न होने के कारण वे सड़कों पर नहीं उतर सके। उन्होंने बताया कि संस्था की तरफ से कई बार अथॉरिटी के आला अफसरों को पत्र भेजकर दोनों वाहनों के पंजीकरण का अनुरोध किया गया, लेकिन अफसर अब तक खामोश हैं।

कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं अधिकारी

इस मामले में हमारी टीम ने नोएडा अथॉरिटी के अफसरों से बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन अधिकारी इस मसले कुछ भी बोलने से कतराते रहे। यह प्राधिकरण की उदासीनता और संवेदनहीनता ही है कि लगभग 40 लाख रुपये खर्च कर लाए गए वाहन अंतिम निवास में ‘शवों’ की तरह ही पड़े हैं। शायद उन्हें भी अपने ‘उद्धार’ का इंतजार है। शव में तब्दील हुए शव वाहन