भारतीय महिलाएं विकास का एक अनिवार्य घटक बन रही हैं-डॉ. जितेंद्र सिंह

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भारतीय महिलाएं धीरे-धीरे भागीदारी से नेतृत्व की भूमिका में विकसित हो रही हैं और प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा परिकल्पित राष्ट्र के समावेशी विकास का एक अनिवार्य घटक बन रही हैं। मंत्री महोदय बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की, सह-अध्यक्ष और न्यासी सुश्री मेलिंडा फ्रेंच गेट्स की उपस्थिति में नई दिल्ली में “वीमेन लीडिंग चेंज इन हेल्थ एंड साइंस इन इंडिया” नामक एक सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे। डॉ. जितेंद्र सिंह ने महिला सशक्तिकरण और महिला नेतृत्व की पहल के लिए लगभग 6 करोड़ 50 लाख अमरीकी डालर देने के लिए गेट्स फाउंडेशन की सराहना की। सुश्री मेलिंडा फ्रेंच गेट्स ने कहा कि महिलाओं के लिए बनाई जाने वाली नीतियां स्‍वयं महिलाओं द्वारा ही बनाई जानी चाहिए साथ ही उन्होंने निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी अधिक भागीदारी का आह्वान किया।

दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार),  प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि भारतीय महिलाएं धीरे-धीरे भागीदारी से नेतृत्व की भूमिका में विकसित हो रही हैं और अब वे प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा परिकल्पित राष्ट्र के समावेशी विकास का एक आवश्यक घटक हैं। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की सह-अध्यक्ष और न्यासी (ट्रस्टी) सुश्री मेलिंडा फ्रेंच गेट्स की उपस्थिति में आज नई दिल्ली में “वीमेन लीडिंग चेंज इन हेल्थ एंड साइंस इन इंडिया” शीर्षक से एक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि महिला नेतृत्व अब एक नए भारत की विकास गाथा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि परियोजनाएं, कार्यक्रम और नीतियां अब महिला-केंद्रित से महिला- नेतृत्व की ओर बढ़ रही हैं, या हम कह सकते हैं कि महिलाओं की भागीदारी के युग से महिला नेतृत्व के युग की ओर बढ़ रहे हैं।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नारी शक्ति का आगमन हो चुका है लेकिन अब आवश्यकता  मानसिकता में बदलाव की है। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि अब महिलाओं के नेतृत्व में हो रहे बदलाव का लाभ उठाया जाए, क्योंकि वे सरकारी पहलों की निष्क्रिय लाभार्थी रहने के  बजाय तेजी से नीतियों की आरंभकर्ता बन रही हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री के हाल के वक्तव्य का उल्लेख किया कि यदि महिलाओं के रूप में  50 प्रतिशत आबादी घर में बंद है तो भारत सफलता हासिल नहीं कर सकता है। उन्होंने मोदी जी को यह कहते हुए उद्धृत किया, “वित्तीय समावेशन से लेकर सामाजिक सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा से लेकर आवास, शिक्षा से लेकर उद्यमिता तक, हमारी नारी शक्ति को भारत की विकास यात्रा में सबसे आगे रखने के लिए कई प्रयास किए गए हैं और ये प्रयास आने वाले समय में और भी अधिक जोश के साथ जारी रहेंगे।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सहयोग से जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बाईरैक – बीआईआरएसी) द्वारा कार्यान्वित ग्रैंड चैलेंजेस इंडिया में   जुलाई, 2022 तक लगभग 4 करोड़ अमरीकी डालर देने और अगले पांच वर्षों में 25 मिलियन अमरीकी डालर दिए जाने की अतिरिक्त प्रतिबद्धता के लिए गेट्स फाउंडेशन की सदिच्छा की सराहना की। मंत्री महोदय ने कहा, “भारत में स्वास्थ्य और विज्ञान में परिवर्तन लाने में अग्रणी  महिलाएं “लीडिंग चेंज: वीमेन इन हेल्थ एंड साइंस इन इंडिया” जैसे सम्मेलन भारत में नेतृत्व के व्यवहार और अनुभव के तरीके में उभरते हुए बदलावों को प्रदर्शित करने के अच्छे अवसर हैं साथ ही यह भी  कैसे महिलाओं को सही सलाह और समर्थन के साथ नेतृत्व की भूमिकाओं में बढ़ावा दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ये मंच निश्चित रूप से समानता और अधिक लिंग-समावेशी संस्कृति और नीतियों की दिशा में गति पैदा करने में मदद करेंगे।

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डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि महिला वैज्ञानिकों ने विज्ञान आधारित स्टार्ट-अप्स, विज्ञान प्रौद्योगिकी इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम), सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), अंतरिक्ष, परमाणु विज्ञान, ड्रोन और नैनो-प्रौद्योगिकी में स्‍वयं के लिए एक जगह बनाई है। उन्‍होंने बताया कि महिला वैज्ञानिकों के नेतृत्व में गगनयान सहित कई बड़ी वैज्ञानिक परियोजनाएं चल रही हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की दो महिला वैज्ञानिकों के नेतृत्व में दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 की उल्लेखनीय सफलता स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यवसाय, चिकित्सा, खेल और कृषि जैसे क्षेत्रों में काम करने वाली सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डीबीटी और बाईरैक (बीआईआरएसी) ने देश भर में महिला शोधकर्ताओं और उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए कई समर्पित योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू किया है। स्टार्ट-अप इंडिया पहल के तहत शुरू किए गए सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम (एसटीईपी) का उद्देश्य महिलाओं को रोजगार देने वाले कौशल प्रदान करना और महिलाओं को स्वरोजगार / उद्यमी बनने में सक्षम बनाने वाली दक्षता और कौशल प्रदान करना है।

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में महिलाओं और बालिकाओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है तथा एनडीए सरकार ने पुरुषों के साथ महिलाओं को भी एक समान अवसर प्रदान किए हैं। उन्होंने कहा कि जब महिलाओं को आत्मसम्मान, निर्णय लेने के लिए समान अवसर, अवसरों तक पहुंच और सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करने की क्षमता दी जाती है तो महिलाएं नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए और बेहतर ढंग से तैयार होती हैं। डॉ. पवार ने रेखांकित किया कि मोदी सरकार हर प्रकार से महिला कार्यबल को पुरुष कार्यबल के बराबर लाने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है।

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की सह-अध्यक्ष और न्यासी (ट्रस्टी) सुश्री मेलिंडा

सुश्री मेलिंडा फ्रेंच गेट्स ने कहा कि महिलाओं के लिए बनाई जाने वाली नीतियां महिलाओं द्वारा स्वयं ही बनाई जानी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि अंतिम सफलता के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिलाओं की भूमिका अधिक होनी चाहिए। सुश्री गेट्स को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि पिछले दो वर्षों में भारत सरकार ने देश में  लैंगिक रूप से समानता लाने के लिए आमूल – चूल परिवर्तनकारी दृष्टिकोण के माध्यम से कदम उठाए हैं। उन्होंने कोविड-19 के दौरान भारत सरकार की प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण योजना के उभरने की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि लगभग 20 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष नकद लाभ प्राप्त हुआ, जिससे उनका सशक्तिकरण और अधिक सामाजिक लाभ हुआ है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) में सचिव और बाइरैक के अध्यक्ष डॉ. राजेश एस. गोखले, ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने हमेशा महिला नेताओं को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शीर्ष पर रखने के लिए सकारात्मक प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि डीबीटी में महिला उद्यमी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और उनमें से 30 प्रतिशत बाइरैक द्वारा समर्थित हैं। डीबीटी की वरिष्ठ सलाहकार और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बाईरैक – बीआईआरएसी) की प्रबंध निदेशक डॉ अलका शर्मा ने कहा कि भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में महिलाओं की भूमिका को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है 10 लाख । उन्होंने याद किया कि भारत की सभी महिला मान्यता प्राप्त 10 लाख सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा  कार्यकर्ताओं) को ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं तक सीधी पहुंच प्रदान करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका और देश में कोरोनोवायरस महामारी पर लगाम लगाने के उनके शानदार प्रयास के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक के ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड 2022 से सम्मानित किया गया था।

वुमनलिफ्ट हेल्थ की कार्यकारी निदेशक सुश्री एमी बैट्सन ने कहा कि जब भारत और दुनिया जलवायु संकट, कोविड-19 अथवा भविष्य की स्वास्थ्य चुनौतियों जैसी अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रही है, तब तो उन चुनौतियों का समाधान करने में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी ही। उन्होंने कहा कि तकनीकी समाधानों में निवेश पर्याप्त नहीं है, लेकिन परिवर्तन करने में सक्षम नेताओं, विशेष रूप से महिला परिवर्तन नेताओं को तैयार करने के प्रयास किए जाने चाहिए। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और उसके लोक उपक्रम (पीएसयू) जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बाईरैक– बीआईआरएसी) द्वारा  वीमेनलिफ्ट हेल्थ एंड ग्रैंड चैलेंजेज इंडिया के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य महत्व को उजागर करना और बढ़ावा देने के साथ–साथ स्वास्थ्य और विज्ञान में महिलाओं के नेतृत्व और भारत और वैश्विक स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र में नेतृत्व की स्थिति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को मजबूत करने के लिए प्राप्य मार्गों और लक्ष्यों की पहचान करना है।

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