भारत का अंतरिक्ष में सूर्य नमस्कार

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भारत का अंतरिक्ष में सूर्य नमस्कार
भारत का अंतरिक्ष में सूर्य नमस्कार

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान – 3 की चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद आज एक बार फिर अंतरिक्ष में इतिहास रच दिया है। आज भारत का पहला सूर्य मिशन अदित्य L-1 पांच महीने की यात्रा करके अपनी मंजिल पर पहुंच गया है। चांद पर उतरने के बाद भारत ने एक और इतिहास रच दिया है। सूर्य मिशन पर निकले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के आदित्य एल-1 ने अपनी मंजिल लैवग्रेज प्वाइंट-1 (एल-1) पर पहुंच कर एक कीर्तिमान हासिल किया है। इसी के साथ आदित्य-एल-1 अंतिम कक्षा में भी स्थापित हो गया। यहां आदित्य दो वर्षों तक सूर्य का अध्ययन करेगा और महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाएगा। भारत के इस सूर्य अध्ययन अभियान को इसरो ने 2 सितंबर को लॉन्च किया था। आदित्य L-1 का 126 दिन का सफर, 16 दिन में 4 बार ऑर्बिट बढ़ाई। अंतरिक्ष में भारत का सूर्य नमस्कार।चंद्रयान-3 के बाद भारत ने रचा एक और इतिहास, लैग्रेंज प्वाइंट-1 पर पहुंचा आदित्य एल-1 । भारत का अंतरिक्ष में सूर्य नमस्कार

आदित्य L-1 पृथ्वी की निचली कक्षा में L-I पॉइंट की कक्षा में घूमेगा एल-1 प्वाइंट के आसपास के 15 लाखकम कूज फेज क्षेत्र को हेलो ऑर्बिट के रूप में जाना जाता है, जो सूर्य पृथ्वी प्रणाली के बीच मौजूद पांच स्थानों में से एक है, जहां दोनों पिंडों का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के बीच साम्यता है। मोटे तौर पर ये वे स्थान है, जहां दोनों पिंडों की गुरुत्व शक्ति एक दूसरे के प्रति संतुलन बनाती है। पृथ्वी और सूर्य के बीच इन पांच स्थानों पर स्थिरता मिलती है, जिससे यहां मौजूद वस्तु पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में नहीं फंसती है। एल-1 बिंदु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। यह पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का केवल 1 फीसदी है। दोनों पिंडों की कुल दूरी 14.96 करोड़ किलोमीटर है। इसरो के एक वैज्ञानिक के अनुसार हेलो ऑर्बिट सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के घूमने के साथ-साथ घूमेगा।

आदित्य पर सात पेलोड हैं तैनात

गौरतलब हो कि सात वैज्ञानिक पेलोड आदित्य पर तैनात किए गए हैं। इनमें बीईएलसी (विजिबल एमिशन लाइन कोरोनोग्राफ), सूइट (सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप पृथ्वी की कक्षा से), सोलेक्सस (सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर), हेल-1 ओएस (हाई-एनर्जी एल ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर) शामिल हैं, जो सीधे तौर पर सूर्य को ट्रैक करेंगे। वहीं, तीन इन-सीटू ( मौके पर) मापने वाले उपकरण है। जिनमें आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेट (एएसपीईएक्स), प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पीएपीए), और एडवांस थ्री डाइमेंशनल हाई रिजोल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर (एटीएचआरडीएम) शामिल हैं।

भारत का अंतरिक्ष में सूर्य नमस्कार

नासा ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा को सराहा


एएनआइ के अनुसार आदित्य को सफलतापूर्वक हालो आर्बिट में स्थापित करने के बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के विज्ञानी ने इसरो की सराहना करते हुए इसे उल्लेखनीय अंतरिक्ष यात्रा करार दिया। नासा के विज्ञानी अमिताभ घोष ने कहा, भारत अब अधिकांश अंतरिक्ष क्षेत्रों में है। इस मिशन के बाद ‘गगनयान’ की भी तैयारियां हो रही हैं। पिछले 20 वर्षों में उल्लेखनीय कामयाबी हासिल की है। आदित्य- एल1 की सफलता के बाद कहा जा सकता है कि यह बेहद रोमांचक और उल्लेखनीय सफर रहा है।

आदित्य-एल-1 सिर्फ भारत का नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए है। सोमनाथ ने कहा सूर्य को समझना दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, आदित्य-एल1 हालो आर्बिट की ओर बढ़ रहा था, लेकिन हमें इसे सही जगह पर स्थापित करने के लिए इसे 31 मीटर प्रति सेकंड का वेग देना पड़ा। इस प्रक्रिया के दौरान थोड़े समय के लिए नियंत्रण इंजनों से फायरिंग की गई। उन्होंने कहा, इसरो विज्ञानियों ने जो हासिल किया है वह हमारे माप और वेग की आवश्यकता की बहुत सही भविष्यवाणी पर आधारित सटीक प्लेसमेंट है। इसरो प्रमुख ने कहा कि उनकी टीम अगले कुछ घंटों तक इस पर नजर रखेगी ताकि यह न भटके। अगर यह थोड़ा भी भटकता है, तो हमें थोड़ा सुधार करना पड़ सकता है।

आदित्य की सफलता को उत्सकुता से देख रही दुनिया

चाँद के बाद इसरो द्वारा शुरू किए गए सौर अभियान पर पूरी दुनिया की उत्सुक नजर है, क्योंकि इसके सात पेलोड सौर घटनाओं का व्यापक अध्ययन करेंगे। यह पेलोड सौर अध्ययन के लिए वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को संग्रहणीय डाटा मुहैया कराएंगे, जिससे संसार भर के सभी वैज्ञानिक सूर्य के कणों और चुंबकीय क्षेत्रों के साथ विकिरण का अध्ययन सहजता से कर सकेंगे। अंतरिक्ष यान में एक कोरोनोग्राफ है, जो वैज्ञानिकों को सूर्य की सतह के बहुत करीब देखने और नासा व यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला (एसओएचओ) मिशन के डाटा को पूरक डाटा मुहैया कराएगा। क्योंकि आदित्य एल-1 अपनी स्थिति में स्थित एकमात्र वेधशाला है।

18 सितंबर से शुरू कर दिया था काम

आदित्य एल-1 को अंतरिक्ष में सफर करते हुए 126 दिन पूरे हो गए। अपनी यात्रा शुरू करने के 16 दिन बाद यानी 18 सितंबर से आदित्य ने वैज्ञानिक डाटा एकत्र करते हुए सूर्य की इमेजिंग आशा के अनुरूप प्रारम्भ कर दिया था। अब तक एल-1 से वैज्ञानिकों को सौर ज्वालाओं के फुल सोलर डिस्क और हाई-एनर्जी एक्स-रे इमेज प्राप्त हो चुके हैं। एएसपीईएक्स एवं पीएपीए के सोलर विंड स्पेक्ट्रोमीटर सहित चार उपकरण फिलहाल सक्रिय हैं और अच्छी तरह से काम कर रहे हैं। हेलो आर्बिट में पहुंचने के बाद सूईट पेलोड सबसे पहले सक्रिय हुआ है।

प्रधानमंत्री मोदी ने जताई ख़ुशी, वैज्ञानिकों का बढ़ाया हौसला

प्रधानमंत्री मोदी ने भी इसरो की इस सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए X पर पोस्ट कर इसरो के वैज्ञानिकों की सराहना कर उनका हौसला बढ़ाते हुए लिखा कि एक और मील का पत्थर भारत ने हासिल कर लिया है। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल-1 अपने गंतव्य तक पहुंच गई। सबसे जटिल अंतरिक्ष मिशनों में 11 पॉइंट की कक्षा से एक को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के निरंतर लगन और समर्पण को दर्शाता है। हमारे वैज्ञानिकों की यह असाधारण उपलब्धि अदभुत सराहना योग्य है। मानवता के लाभ के लिए हम निरंतर विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे। भारत का अंतरिक्ष में सूर्य नमस्कार