प्रशासन की रिपोर्ट से झील संरक्षण समिति संतुष्ट नहीं

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अजमेर के आनासागर के भराव क्षेत्र से अवैध कब्जे हटाने की प्रशासन के पास कोई प्रभावी योजना नहीं। प्रशासन की रिपोर्ट से झील संरक्षण समिति संतुष्ट नहीं।

एस0 पी0 मित्तल

आना सागर के भराव क्षेत्र में हुए अवैध कब्जों को हटाने की अजमेर प्रशासन के पास कोई प्रभावी योजना नहीं है। प्रशासन ने हाईकोर्ट द्वारा गठित झील संरक्षण समिति को अवैध कब्जों की रिपोर्ट तो सौंप दी है, लेकिन ऐसे कब्जों को हटाने की प्रक्रिया नहीं बताई है। रिपोर्ट में अवैध कब्जों की संख्या भी बताई है, लेकिन कार्यवाही पर प्रशासन चुप है। अवैध कब्जों को लेकर प्रशासन की गोलमोल रिपोर्ट से झील संरक्षण समिति भी संतुष्ट नहीं है। इसलिए समिति ने एक बार पत्र लिखकर कब्जों को हटाने की जानकारी मांगी है। असल में प्रशासन की रिपोर्ट पर ही समिति को हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट देनी है। हाईकोर्ट में समिति से सबसे पहला सवाल यही पूछा जाएगा कि जब अवैध कब्जे चिह्नित हो गए हैं, तब हटाए क्यों नहीं जा रहे हैं? चूंकि झीलों के संरक्षण को लेकर हाईकोर्ट सख्त है, इसलिए समिति भी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। अजमेर के आनासागर के कब्जों के खिलाफ तो इस समय जोरदार माहौल है। शहरवासी भी चाहते हैं कि बीचों बीच बनी इस झील का फैलाव और हो। कब्जे हटाने में मीडिया भी प्रशासन को पूरा सहयोग कर रहा है। पहले चरण में 2013 के बाद हुए कब्जों को हटाया जाना चाहिए। राज्य सरकार ने जनवरी 2014 में आनासागर के भराव क्षेत्र को नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया था, लेकिन नगर निगम और अजमेर विकास प्राधिकरण के कार्मिकों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर पक्के निर्माण हो गए।

आज भराव क्षेत्र में समारोह स्थल, होटल, रेस्टोरेंट, शराब की दुकान, कपड़े के शोरूम धड़ल्ले से चल रहे हैं। इसे खुला भ्रष्टाचार ही कहा जाएगा कि फूड लाइसेंस निरस्त होने के बाद भी आनासागर के किनारे बड़े बड़े रेस्टोरेंट चल रहे हैं। यदि हाईकोर्ट में प्रभावी सुनवाई हो तो सबसे पहले वे अधिकारी सस्पेंड होंगे जिनकी मेहरबानी से रेस्टोरेंट और होटल अवैध तरीके से चल रहे हैं। स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत आनासागर के भराव क्षेत्र में ही सेवन वंडर बनाए गए हैं, लेकिन सबसे बड़ा वंडर तो आनासागर में बगैर फूड लाइसेंस के रेस्टोरेंटों का चलना है। यदि 2013 के बाद वाले कब्जे भी हटा दिए जाए तो आनासागर को बचाया जा सकता है। इस मामले में अब हाईकोर्ट को ही सख्त कार्यवाही करवानी होगी। प्रशासनिक तंत्र तो कार्यवाही को टालने में ही रुचि दिखा रहा है। झील संरक्षण समिति के निर्देशों की पालना भी नहीं की जा रही है।

हाईकोर्ट से स्टे भी नहीं मिला:-


29 नवंबर को राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ में न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह के समक्ष आनासागर में हुए कब्जों को लेकर सुनवाई हुई। प्रशासन द्वारा कब्जे चिह्नित किए जाने के बाद कुछ लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर प्रशासन की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह ने याचिकाकर्ताओं से जानना चाहा कि 2014 में जब नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित हुआ था तब याचिका दायर क्यों नहीं की। दस साल बाद हाईकोर्ट आने पर भी सवाल किए गए। अदालत ने प्रशासन की कार्यवाही पर रोक तो नहीं लगाई लेकिन संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए हैं। अब इस मामले में दो सप्ताह बाद सुनवाई होगी। याचिका में एक मंदिर का उल्लेख भी किया गया है।