शिवपाल के जाल में फंसा NDA

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शिवपाल के जाल में फंसा NDA
शिवपाल के जाल में फंसा NDA

सपा में और बढ़ सकता है शिवपाल यादव का कद. घोसी उपचुनाव की जीत के बाद सपा में राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल का कद बढ़ने की उम्मीद. मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव की तरह ही घोसी उपचुनाव में शिवपाल यादव ने अपने आप को किया साबित. सपा को आगे ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं शिवपाल यादव. दूसरी जीत मिलने पर शिवपाल ने अखिलेश के नेतृत्व को सराहा. घोसी उप चुनाव में सपा को 2022 के मुकाबले मिले ज्यादा वोट. शिवपाल ने उसी तरह से घोसी में काम किया जिस तरह सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के समय किया करते थे. शिवपाल के जाल में फंसा NDA

सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह की शानदार जीत के पीछे चाचा शिवपाल यादव का मैनेजमेंट रहा. जब प्रदेश में सपा की कमान मुलायम सिंह यादव के पास थी, तब संगठन का काम शिवपाल यादव ही देखा करते थे. इस चुनाव में फिर वही पुराने अंदाज में शिवपाल दिखे और भाजपा को चारों खाने चित कर दिया. उत्तर प्रदेश की बहुचर्चित विधासनभा सीट घोसी पर सपा के सुधाकर सिंह ने धमाकेदार जीत दर्ज की है. सुधाकर सिंह ने भाजपा के उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को 43 हजार से अधिक मतों से पराजित किया है. जीत का फासला यह बताता है कि यह जीत उत्तर प्रदेश की राजनीति में क्या मायने रखती है, जहां भाजपा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार है. इस जीत को लगातार बरक़रार रखना है तो चाचा शिवपाल को सम्मान के साथ आगे ही रखना होगा.

शिवपाल के जाल में फंसा NDA


शिवपाल ने PDA फार्मूले का मिथक तोड़ा. सुधाकर ठाकुर जाति के हैं. इस हिसाब से वे समाजवादी पार्टी के PDA वाले फ़ार्मूले में फ़िट नहीं बैठते हैं. PDA मतलब पिछड़े, दलित और मुस्लिम. वोटों के समीकरण के हिसाब से भी देखें तो ठाकुर बिरादरी के मुश्किल से 15 हज़ार वोट हैं. फिर भी शिवपाल ने अपने अनुभव पर दांव लगाया. इसके बाद उन्होंने चुनावी रणनीति से लेकर बूथ मैनेजमेंट की कमान संभाल ली. इस बार प्रचार के लिए समाजवादी पार्टी के सहयोगी दल नहीं आए. न तो आरएलडी नेता जयंत चौधरी ने प्रचार किया और न ही आज़ाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर ने. शिवपाल ने वही सब किया जो वे मुलायम सिंह यादव के जमाने में किया करते थे. एक-एक बूथ पर उन्होंने अपने भरोसे के नेताओं की ड्यूटी लगा दी. उन्होंने इस तरह से चक्रव्यूह रचा कि भाजपा उसमें फंस ही गई. शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी के नेताओं से कह दिया था कि किसी भी तरह से घोसी में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण न हो. जबकि यहां 85 हज़ार मुस्लिम वोटर हैं. क़रीब पंद्रह दिनों तक शिवपाल यादव और उनकी टीम घोसी में डटी रही. बड़ी बड़ी चुनावी रैलियों के बदले उन्होंने डोर टू डोर प्रचार पर फ़ोकस किया.

शिवपाल सिंह यादव ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा ‘कोई इन्हें बताए कि ये ‘इंडिया दैट इज भारत’ है, जहां का का हर भारतीय भारत माता की संतान है और एक सम्मानित नागरिक है. भारत में ‘पाकिस्तान’ खोजने वाले इस देश की सम्प्रभुता को चुनौती दे रहे हैं.’ उन्होंने यह बात कहते हुए भाजपा नेता पर देश की सम्प्रभुता को नुकसान पहुंचान का आरोप लगाया है.

भाजपा के सहयोगी दलों अपना दल, निषाद पार्टी और सुहेलदेव समाज पार्टी के पिछड़ा कार्ड खेलने की कोशिशों पर शिवपाल ने पानी फेर दिया. ओम प्रकाश राजभर लगातार उन पर ज़ुबानी हमले करते रहे. पर शिवपाल का फ़ोकस बूथ मैनेजमेंट पर ही रहा.उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती दलित वोटरों को अपने पाले में करना था. इस मामले में भी वे कामयाब रहे. मायावती ने तो अपने वोटरों को चुनाव से दूर रहने और NOTA पर वोट डालने के लिए कहा था. पर शिवपाल ने चमत्कार कर दिया.

चाचा शिवपाल यादव के घर कार्यालय में बधाई देने वालों का लगी भीड़ चाचा सभी मिल कह रहे हैं यह आपकी जीत है यह INDIA की जीत है.

भाजपा के मंत्री संजय निषाद से पाकिस्तान वाले एरिए को लेकर सवाल किया गया तो श्री यादव ने साफ तौर पर कहा कि जहां पर सपा का वोट बाहुल्य है. फिलहाल मंत्री संजय निषाद के इस विवादित बयान पर सपा नेता शिवपाल सिंह ने कड़ा ऐतराज जताया है. उनका कहना है कि ‘भारत में ‘पाकिस्तान’ खोजने वाले इस देश की सम्प्रभुता को चुनौती दे रहे हैं.यह एक प्रकार से चुनाव आयोग और योगी सरकार पर भी सवाल है.

चाचा शिवपाल मुलायम जमाने के फॉर्म में दिख रहे हैं. उन्होंने वो मिथक भी तोड़ दिया कि दलित कभी यादव के लिए वोट नहीं कर सकते हैं. शिवपाल यादव ने दलितों की अलग अलग जातियों के लिए अपनी पार्टी के उसी जाति के नेता को लगा दिया. जब यूपी में समाजवादी पार्टी की कमान मुलायम सिंह यादव के पास थी, तब संगठन का काम शिवपाल यादव ही देखा करते थे. अब पार्टी अखिलेश यादव के पास है पर इस बार चुनाव की कमान शिवपाल यादव के पास रही. अखिलेश ने तो बस एक ही चुनावी रैली की. राम गोपाल यादव ने भी प्रचार किया. घोसी उप चुनाव में शिवपाल यादव ने किसी बड़े मुस्लिम चेहरे को प्रचार में नहीं उतारा. बीजेपी के राष्ट्रवाद के मुक़ाबले उन्होंने चुनाव के लोकल मुद्दे पर बनाए रखा. शिवपाल ने दारा सिंह चौहान को बाहरी और सुधाकर सिंह को लोकल बता कर मास्टर स्ट्रोक चल दिया. चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश की जोड़ी ने बीजेपी को चारों खाने चित कर दिया.

सपा अध्यक्ष अखिलेश ने घोसी को जिताने की जिम्मेदारी चाचा शिवपाल को सौंपी थी. चाचा ने इसे बखूबी निभाया. जिस तरह से उन्होंने मैनपुरी लोकसभा सीट के उपचुनाव में बहू डिंपल यादव को जिताने के लिए गली-गली घूमकर पसीना बहाया था उसी तरह घोसी उपचुनाव में सुधाकर सिंह के लिए घर-घर जाकर जनसंपर्क किया. शिवपाल बिलकुल उसी तर्ज पर घोसी में काम किया जिस तरह अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के समय सपा के लिए करते थे.घाेसी उपचुनाव जीतने के बाद अब सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव पार्टी में और मजबूत होंगे. मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के बाद यह दूसरा मौका है जब शिवपाल ने भतीजे व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का भरोसा और मजबूत किया है. शिवपाल यादव घोसी में अपने पुराने अंदाज में डटे रहे और उन्होंने प्रत्येक बूथ पर ऐसी किलेबंदी की जिसे सत्ताधारी दल भाजपा की फौज भी भेद नहीं पाई. उपचुनाव में सपा को 2022 के मुकाबले वोट भी अधिक मिले हैं.

चाचा शिवपाल यादव के घर कार्यालय में बधाई देने वालों का लगी भीड़ चाचा सभी मिल कह रहे हैं यह आपकी जीत है यह INDIA की जीत है.

जिला पंचायत उपचुनाव में भी समाजवादी पार्टी ने जीत का परचम फहराया

प्रदेश में जिला पंचायत उपचुनावों में भी सपा की बम्पर जीत। लखनऊ, मिर्जापुर, जालौन और बरेली में सपा प्रत्याशियों ने जीत हासिल की. मिर्जापुर में राजगढ़ जिला पंचायत सदस्य सीट पर सपा प्रत्याशी सील कुमारी ने अपना दल भाजपा समर्थित आरती देवी को हराया. लखनऊ की जिला पंचायत सीट पर सपा प्रत्याशी रेशमा रावत ने भाजपा प्रत्याशी संगीता रावत को 2,236 वोटों से हराया. जालौन में पहाड़गांव सीट पर सपा प्रत्याशी रंजना देवी ने भाजपा प्रत्याशी शांति देवी को हराया. बरेली में वार्ड 16 में सपा प्रत्याशी जसविंदर कौर ने भाजपा की शिल्पी चौधरी को हराया. शिवपाल के जाल में फंसा NDA