कहीं कांग्रेस से हाथ जोड़ न ले जनता..!

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कहीं कांग्रेस से हाथ जोड़ न ले जनता..!
कहीं कांग्रेस से हाथ जोड़ न ले जनता..!

भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस का नया प्रयोग। हाथ जोड़ो अभियान में कांग्रेस से हाथ न जोड़ ले जनता….!

कुमार राकेश


कांग्रेस के नए-नए प्रयोग में कही जनता ही कांग्रेस पार्टी से हाथ न जोड़ दे। यह सवाल कांग्रेस के हाथ से हाथ जोड़ों अभियान के सामने आने से उठा है। कांग्रेस के राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अभी समाप्त भी नहीं हो पाई कि कांग्रेस ने अगले अभियान की दस्तक देकर आम जनमानस को चौंका दिया। भारत जोड़ो यात्रा का असर तो आगामी लोकसभा चुनाव में सामने आ ही जाएगा, किंतु हाथ से हाथ जोड़ो अभियान कितना सार्थक होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा।


संस्कारों वाली पार्टी कांग्रेस– कांग्रेस के नए अभियान हाथ से हाथ जोड़ो के बाबत जब प्रदेश कांग्रेस के एक प्रवक्ता से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि कांग्रेस संस्कारों वाली पार्टी है। राहुल गांधी के भारत जोड़ों अभियान की भारी सफलता के बाद अब पार्टी जनता से जुडऩे के लिए जनताा के दरवाजे पर जाकर हाथ जोडक़र समर्थन मांगेगी। इन अभियानों के माध्यम से पार्टी पुराने जनाधार को वापस लाने की कवायद है।

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पुराने जनाधार को वापस लाने के लिए कांग्रेस आला कमान कोई कोर कसर बाकी नहीं रखना चाहता है। इसके लिए कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व आए दिन नए-नए प्रयोग कर रहा हैं। कांग्रेस पार्टी की आम जनता के बीच पहृुंचने के लिए वर्तमान समय में राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा चल रही है। भारत जोड़ो यात्रा अभी पूरी भी नहीं हो पाई कि तीन दिन पहले ही कांग्रेस ने एक नया अभियान हाथ से हाथ जोडऩे का कार्यक्रम घोषित कर दिया। हकीकत तो यह है कि पार्टी के नेता भी अभी इस कार्यक्रम के स्वरूप को समझ नहीं पाए। एक नेता ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस संस्कारों वाली पार्टी है, अब कार्यकर्ता लोगों के दरवाजे पर जाकर हाथ जोडक़र समर्थन देने की मांग करेगीे।

भाजपा सरकार ने ही देश में नफरत का माहौल पैदा किया है और आज न किसान का सम्मान है और न युवा का सम्मान किया जा रहा। न छोटे दुकानदार का सम्मान है। देश की पूरी अर्थव्यवस्था 4 से 5 लोगों के हाथ में दी हुई है और यही वजह है कि आज देश में बेरोजगारी चरम पर है। युवाओं में निराशा है, किसान परेशान हैं और उद्योग समाप्त हो रहे हैं। —-राहुल गांधी

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देश की सबसे बड़ी पार्टी माने जाने वाली कांग्रेस पार्टी वर्तमान समय में हाशिये पर है। पार्टी अपने खोए हुए जनाधार को वापस लाने की कसमकस में लगी हुई है। 70 साल तक देश की सत्ता पर काबिज रहने वाली कांग्रेस पार्टी आपसी गुटबाजी और पुराने कांग्रेसियों की उपेक्षा से ऐसे मुकाम पर पहुंच गई कि अब जनता उसे पूरी तरह से नकार दिया है। इन अभियानों के माध्यम से पार्टी से दूर हुए कार्यकर्ताओं और जनमानस से जुडऩा चाह रही है। अब कांग्रेस पार्टी को पुराने वर्चस्व को वापस लाने के लिए अन्य दलों के नेताओ का सहारा लेने के लिए विवश होना पड़ रहा है। कांग्रेस आला कमान जनाधार को वापस लाने की कवायदों में आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए हाथ से हाथ जोडऩे के कार्यक्रम की घोषणा कर जनता को लुभाने के लिए एक नया खेला है। कहीं ऐसा न हो कि कांग्रेसी हाथ से हाथ जोड़ते ही रहे और जनता ही पार्टी से हाथ जोड़ ले

राहुल गांधी तो 2024 के लिए मैदान तैयार कर ही रहे हैं, लेकिन उससे पहले कांग्रेस के सामने 2023 में अपने राज्यों का कुनबा बढ़ाने से पहले राजस्थान और छत्तीसगढ़ के गढ़ों को बचाने की चुनौती है। राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच का शीत युद्ध किसी से छिपा नहीं रह गया है। कांग्रेस की कर्नाटक और मध्य प्रदेश में भी संभावनाएं हैं।