गुंडागर्दी के आरोप में आईएएस और आईपीएस का निलंबन

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गुंडागर्दी के आरोप में आईएएस और आईपीएस का निलंबन
गुंडागर्दी के आरोप में आईएएस और आईपीएस का निलंबन

आईएएस गिरधर और आईपीएस सुशील कुमार विश्नोई के निलंबन से युवा अधिकारी सबक लें। राजस्थान के प्रशासनिक इतिहास में पहला अवसर होगा जब गुंडागर्दी करने के आरोप में इतने बड़े अफसरों का निलंबन हुआ। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को शाबाशी मिलनी चाहिए। आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ की प्रभावी भूमिका रही। मामले को दबाने के आरोप में अजमेर पुलिस पर भी गाज गिर सकती है। गुंडागर्दी के आरोप में आईएएस और आईपीएस का निलंबन

एस.पी.मित्तल

राजस्थान। राजस्थान के प्रशासनिक इतिहास में यह पहला अवसर होगा जब गुंडागर्दी करने के आरोप में आईएएस गिरधर और आईपीएस सुशील कुमार विश्नोई को निलंबित किया गया है। इन दोनों अधिकारियों पर आरोप है कि 11 जून की रात 2 बजे अजमेर के निकट गेगल हाईवे पर स्थित मकराना राज होटल पर गुंडागर्दी की। दोनों अधिकारियों के गुंडों के साथ खड़े होने वाले सीसीटीवी फुटेज भी वायरल हुए हैं। प्रशासनिक सेवा में आईएएस और आईपीएस के पद सबसे बड़े माने जाते हैं। यदि इस स्तर के अधिकारी होटल पर सरेआम गुंडागर्दी करेंगे तो फिर क्या संदेश जाएगा…?

इन दोनों अधिकारियों की हरकतों से इनकी चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठते हैं। यदि इन दोनों अधिकारियों ने अपनी मेहनत से परीक्षा में सफलता पाई होती तो रात 2 बजे इस तरह अपराध में शामिल नहीं होते। 11 जून को दोनों अधिकारी ड्यूटी पर नहीं थे। गिरधर अजमेर विकास प्राधिकरण के पद पर तथा सुशील कुमार विश्नोई नवगठित जिले गंगापुर सिटी के विशेष अधिकारी हैं। बिश्नोई अजमेर के एएसपी पद से स्थानांतरित होकर ही गंगापुर सिटी गए थे। स्थानांतरण पर ही कुछ लोगों ने अजमेर शहर की एक होटल में विदाई पार्टी की थी। इस पार्टी में आईएएस गिरधर भी शामिल हुए, रात 12 बजे तक चली पार्टी के बाद इधर-उधर घूमते हुए दोनों अधिकारी अपने दोस्तों के साथ 2 बजे गेगल की होटल पर पहुंचे और फिर होटल कर्मियों के साथ मारपीट की।

हो सकता है कि इस मारपीट में अधिकारियों को भी होटल कर्मियों से थप्पड़ खाने पड़े हो। थप्पड़ खाने की बात को तब बल मिलता है, जब थोड़ी ही देर बाद गेगल पुलिस मौके पर आई और होटल कर्मियों को एक कमरे में बंद कर बुरी तरह पीटा । होटल कर्मियों की पिटाई के समय भी दोनों अधिकारी मौके पर ही मौजूद थे। जब दोनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है, तब यह सवाल उठता है कि क्या इन अधिकारियों का यह कृत्य उचित है….?

इस घटना से प्रशासनिक क्षेत्र के युवा अधिकारियों को सबक लेना चाहिए। सरकारी नौकरी आम जनता की सेवा करने के लिए होती है, लेकिन चयनित अधिकारी रात 2 बजे गुंडागर्दी करेंगे तो फिर आम जनता का क्या होगा? यह माना कि आईएएस और आईपीएस बनने के बाद बहुत पावर मिल जाती है, लेकिन इस पावर का इस्तेमाल लोगों की भलाई के लिए होना चाहिए। निलंबित आईपीएस और आईएएस 2019 बैच के हैं, यानी मात्र 4 वर्ष पुराने। यदि 4 साल की सेवा वाले अधिकारी सड़कों पर गुंडागर्दी करेंगे तो प्रशासनिक तंत्र का क्या होगा…?

मुख्यमंत्रीअशोक गहलोत को शाबाशी:-


आईएएस गिरधर और आईपीएस सुशील विश्नोई के निलंबन से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सहमति भी ली गई । जानकार सूत्रों के अनुसार दोनों अधिकारियों के कृत्य को सीएम गहलोत ने समाज विरोधी तो माना ही, साथ ही सरकार की छवि खराब करने वाला बताया। सीएम को इस बात का अफसोस रहा कि जिन अधिकारियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई उन्होंने ही सरकार की छवि खराब करने वाला कार्य किया। सरकार ने हाल ही में आईएएस गिरधर को अजमेर जैसे महानगर के विकास प्राधिकरण का आयुक्त नियुक्त किया था और सुशील विश्नोई को नए जिले की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन यह दोनों ही अधिकारी रात 2 बजे सड़कों पर झगड़ते नजर आए। इस मामले में अजमेर की राजनीति में दखल रखने वाले आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर की भी प्रभावी भूमिका रही। होटल मकराना राज के मालिक महेंद्र सिंह ने राजपूत समाज के प्रतिनिधियों के साथ राठौड़ से मुलाकात की। राठौड़ ने ही सीएम गहलोत से संवाद कर कार्यवाही करवाई।

अब राजपूत प्रतिनिधि भी राठौड़ का आभार जता रहे हैं। दोनों बड़े अधिकारियों के निलंबन के बाद राठौड़ अजमेर की राजनीति में दबदबा और बढ़ेगा। वही सीएम गहलोत को भी शाबाशी मिलनी चाहिए कि उन्होंने सभी दबाव को हटाते हुए आईएएस और आईपीएस का निलंबन करवाया है। सूत्रों के अनुसार एक अधिकारी का ससुराल पक्ष राजस्थान में शराब का बड़ा कारोबारी रहा है, इसलिए निलंबन को रोकने के बहुत प्रयास हुए, लेकिन सीएम गहलोत ने कोई दबाव स्वीकार नहीं किया। सूत्रों के अनुसार 14 जून को जयपुर लौटने पर सीएम ने पूरे प्रकरण की विस्तृत जानकारी ली हो सकता है कि अब अजमेर पुलिस पर भी कार्रवाई हो, क्योंकि 11 जून की रात घटना को दबाने के लिए 12 जून को दिन भर प्रयास किया गया। होटल के मालिक महेंद्र सिंह का कहना है कि उन्होंने पुलिस अधीक्षक से भी गुहार लगाई थी, लेकिन मदद नहीं मिली। सूत्रों की मानें तो अजमेर पुलिस ने घटना की जानकारी पुलिस मुख्यालय भिजवाने में भी विलंब किया। 13 जून को राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित होने के बाद रेंज पुलिस भी सक्रिय हुई। सवाल अकेले गेगल पुलिस का नहीं है, जब पुलिस अधीक्षक स्तर पर सीधे कार्रवाई हो रही हो, तब थाने का क्या करेगा? पुलिस के अधिकारियों ने मामले को दबाने का प्रयास किया। उनके विरुद्ध भी कार्यवाही होनी ही चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी गुंडागर्दी पर रोक लगे। गुंडागर्दी के आरोप में आईएएस और आईपीएस का निलंबन