रंग बदलने वाली राजनीति में क्या

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रंग बदलने वाली राजनीति में क्या कभी माया ने अपनी माया से नहीं बदला रंग।

विनोद यादव

कब कौन बदल जायेगा?यह कोई कह नहीं पायेगा,हर पल लोग रंग बदल देते हैं और यह तो राजनीति हैं ,हर पल लोग बात बदल देते हैं चाहें तो राजनीति हो या प्रेम या रिस्ते खैर जानवरों से बुरा इंसान का हाल है,कोई कहीं,कोई कहीं कर रहा बवाल है।मानवता गई गड्ढे में,किससे करना सवाल है?पैसे पर बिक रहे हैं लोग,यही बाजार का हाल है।उनकी भी बाजारें गर्म रहती हैं जो मतदाताओं के नाम पर अपनी जाति के नाम पर टिकट का खरीद परोख्त करतें हैं आज के दौर में जब युवाओं को दो करोड़ रोजगार देने का वायदा करके प्रधानमंत्री ने रंग बदल लिया सवाल किससे करें और आरोप किस पर मढे़।राजनीति में गिरगिट की तरह रंग बदलने की कला बाखूबी आनी भी चाहिए यदि रंग बदलने की कला आपने नहीं सीखी तो आप राजनीति में धोवी पछाड़ दाव नहीं लगा सकते। पूर्व मुख्यमंत्री बसपा सुप्रीमो मायावती ने सिर्फ एक नेता को निशाने पर लिया यह चिंताजनक हैं ।

लोकतंत्र का चमत्कार कहा जाय या लोगों का उपकार 1993 में काशीराम साहब ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया ,1995 में बसपा सुप्रीमो मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी। शायद वह शोषित समाज की पहली मुख्यमंत्री भी थीं। 1997 और 2002 में भारतीय जनता पार्टी के बाहरी समर्थन से मुख्यमंत्री रहीं ,और दूसरी बार भाजपा के समर्थन वापस लेने से एक वर्ष तक मुख्यमंत्री रहीं 26 अगस्त 2003 तक ,फिर भी मायावती जी ने कभी गिरगिट की तरह रंग नहीं बदला बदला तो अन्य क्षेत्रीय पार्टीयों ने अखिलेश यादव ने शायद ओम प्रकाश राजभर ने भी कभी रंग नहीं बदला न कभी बीजेपी ने न कांग्रेस ने सारा का सारा दोष उन्हीं पर लगाने में आसान रहता हैं जो कभी आप के साथ थें और ओ आज अखिलेश यादव के साथ हैं।

क्या बसपा सुप्रीमो के सामने खुद के घटते रसूख की चिंता नहीं बसपा का यह वोट प्रतिशत पूरे देश में 1996 के लोकसभा चुनाव से तेजी से बढ़ा (1.61 से सीधे 4.2)। 2009 में यह सबसे अधिक 06.17 प्रतिशत था, लेकिन इसके बाद से गिरना शुरू हुआ। इसी तरह से उ.प्र. विधानसभा चुनाव में 2007 में सबसे अधिक 30.17 प्रतिशत वोट मिले थे। 2022 से तुलना करें तो यह वोट प्रतिशत 17.29 प्रतिशत तक गिर चुका है। और अब बात हो रहीं हैं गिरगिट की तरह रंग बदलने की। रंग बदलने की इस दुनिया में अपना भी रंग होगा ,हम उन्हीं का समर्थन करेंगे जो आंतरिक संग होगा।आज गिरगिट भी इन नेताओं को देखकर शर्म महसूस कर रहें होगें कि हमसे ज्यादा तो रंग आज कल सफेदपोश बदल रहें हैं।