दलितों के लिए कब्रगाह बना उत्तर प्रदेश, योगी की पुलिस ढा रही जुल्म।चौबेपुर थाना के पनऊपुरवा गांव में पंचायत चुनाव की रंजिश में सोमवार की रात फरसे से काटकर दलित बुजुर्ग की नृशंस हत्या कानून व्यवस्था पर सवाल।
लखनऊ। आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने चौबेपुर थाना के पनऊपुरवा गांव में पंचायत चुनाव की रंजिश में सोमवार की रात फरसे से काटकर हुई दलित बुजुर्ग की नृशंस हत्या को लेकर कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि योगी राज में पुलिस अपराधियों से भी बदतर व्यवहार कर रही है। इस मामले में भी दो दारोगा सहित दो सिपाही आरोपित हैं। प्रथम दृष्टया दोषी मिलने के बाद भी इन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया, जिसके कारण मुकदमा दर्ज होते ही ये फरार हो गए हैं। अन्य आरोपितों की भी अब तक गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। इससे वहां दलित समाज के लोगों के मन में भय व्याप्त है। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि योगी राज में यूपी दलितों की कब्रगाह बन चुका है।
आप के प्रदेश प्रवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने गुरुवार को जारी बयान में बताया कि पार्टी के स्थानीय पदाधिकारियों को मामले की पूरी जानकारी जुटाने के लिए कहा गया है। प्रकरण में जल्द ही आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं की गई तो पार्टी आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेगी। उन्होंने बताया कि सूचना मिली है कि सोमवार को प्रधानी चुनाव की रंजिश में दलित बुजुर्ग आनंद कुरील पर दबंगों ने फरसे से हमला कर दिया था। घटना में आनंद की मौत हो गई। मामले में दो दारोगा गोपीकृष्ण और रोशन शेर बहादुर, प्रधान मनीष समेत नौ लोग नामजद, दो अज्ञात सिपाहियों और चार अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था। ये सभी आरोपित फरार हैं। वह भी तब जबकि एसपी आउटर अष्टभुजा प्रसाद सिंह ने मंगलवार को प्रथम दृष्टया बीट दारोगा गोपीकृष्ण और रोशन शेर बहादुर के साथ सिपाही शिवरतन व आशीष कुमार को दोषी मानते हुए लाइन हाजिर कर दिया था। पूरे प्रकरण की जांच सीओ को सौंपी थी। जब आरोपित पुलिस अफसर हैं तब जांच पुलिस को देने का कोई औचित्य नहीं है। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए। हमारी मांग है कि मृतक के परिवार को एक करोड़ का मुआवजा देने के साथ एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी दी जाए।