आज का हिन्दू पंचांग

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⛅ दिनांक 20 अगस्त 2020
⛅ दिन – गुरुवार
⛅ विक्रम संवत – 2077 (गुजरात – 2076)
⛅ शक संवत – 1942
⛅ अयन – दक्षिणायन
⛅ ऋतु – वर्षा
⛅ मास – भाद्रपद
⛅ पक्ष – शुक्ल
⛅ तिथि – द्वितीया 21 अगस्त रात्रि 02:13 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅ नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी रात्रि 11:51 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
⛅ योग – शिव शाम 05:42 तक तत्पश्चात सिद्ध
⛅ राहुकाल – दोपहर 02:05 से शाम 03:41 तक
⛅ सूर्योदय – 06:19
⛅ सूर्यास्त – 19:04
(सूर्योदय और सूर्यास्त के समय हर जिले के लिए अलग अलग हो सकता हैं)
⛅ दिशाशूल – दक्षिण दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण – चन्द्र-दर्शन
? विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
~ हिन्दू पंचांग ~

सौ गुना फलदायी “शिवा चतुर्थी”
➡ 22 अगस्त, शनिवार को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है ।
भविष्य पुराण के अनुसार ‘भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का नाम ‘शिवा’ है | इस दिन किये गये स्नान, दान, उपवास, जप आदि सत्कर्म सौ गुना हो जाते हैं |
इस दिन जो स्री अपने सास-ससुर को गुड़ के तथा नमकीन पुए खिलाती है वह सौभाग्यवती होती है | पति की कामना करनेवाली कन्या को विशेषरूप से यह व्रत करना चाहिए |
~ हिन्दू पंचांग ~
यदि धन के इस उतार-चढ़ाव को आप नियंत्रित करना चाहते हैं तो अपने घर की उत्तर दिशा में एक पारद शिवलिंग अवश्य रखें. उस दिशा में हरा रंग करवाना बिल्कुल ना भूलें.
गणेश-कलंक चतुर्थी ( ‘ॐ गं गणपतये नम:’ मंत्र का जप करने और गुड़मिश्रित जल से गणेशजी को स्नान कराने एवं दूर्वा व सिंदूर की आहुति देने से विघ्न-निवारण होता है तथा मेधाशक्ति बढ़ती है | )
~ हिन्दू पंचांग ~
अगर आपके पास पैसे आते हैं और खर्च हो जाते हैं तो किसी चांदी की डिब्बी में काली हल्दी, नागकेशर व सिंदूर को साथ में रखकर किसी मां लक्ष्मी मंदिर में जाकर लक्ष्मी जी के चरणों से स्पर्श करवाएं। इसके बाद उसे घर लाकर धन रखने के स्थान पर रखें। यह उपाय शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को करें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से धन का अपव्यय रुकता है और धन संचय होने लगता है।
गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन कलंक निवारण के उपाय
➡ इस वर्ष 22 अगस्त, शनिवार को (चन्द्रास्त : रात्रि 09.49)
भारतीय शास्त्रों में गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन निषेध माना गया है इस दिन चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति को एक साल में मिथ्या कलंक लगता है। भगवान श्री कृष्ण को भी चंद्र दर्शन का मिथ्या कलंक लगने के प्रमाण हमारे शास्त्रों में विस्तार से वर्णित है।
भाद्रशुक्लचतुथ्र्यायो ज्ञानतोऽज्ञानतोऽपिवा।
अभिशापीभवेच्चन्द्रदर्शनाद्भृशदु:खभाग्॥
अर्थातः जो जानबूझ कर अथवा अनजाने में ही भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चंद्रमा का दर्शन करेगा, वह अभिशप्त होगा। उसे बहुत दुःख उठाना पडेगा।
गणेश पुराण के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्रमा देख लेने पर कलंक अवश्य लगता है। ऐसा गणेश जी का वचन है।
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन न करें यदि भूल से चंद्र दर्शन हो जाये तो उसके निवारण के निमित्त श्रीमद्‌भागवत के १०वें स्कंध, ५६-५७वें अध्याय में उल्लेखित स्यमंतक मणि की चोरी कि कथा का श्रवण करना लाभकारक है। जिससेे चंद्रमा के दर्शन से होने वाले मिथ्या कलंक का ज्यादा खतरा नहीं होगा।
चंद्र-दर्शन दोष निवारण हेतु मंत्र
यदि अनिच्छा से चंद्र-दर्शन हो जाये तो व्यक्ति को निम्न मंत्र से पवित्र किया हुआ जल ग्रहण करना चाहिये। मंत्र का २१, ५४ या १०८ बार जप करें । ऐसा करने से वह तत्काल शुद्ध हो निष्कलंक बना रहता है। मंत्र निम्न है।
सिंहः प्रसेनमवधीत्‌ , सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः ॥
अर्थात: सुंदर सलोने कुमार! इस मणि के लिये सिंह ने प्रसेन को मारा है और जाम्बवान ने उस सिंह का संहार किया है, अतः तुम रोओ मत। अब इस स्यमंतक मणि पर तुम्हारा ही अधिकार है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, अध्यायः ७८)
चौथ के चन्द्रदर्शन से कलंक लगता है | इस मंत्र-प्रयोग अथवा स्यमन्तक मणि कथा के वचन या श्रवण से उसका प्रभाव कम हो जाता है |