किसानों की तबाही का जश्न मना रही भाजपा सरकार -अखिलेश

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  समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार किसानों की तबाही का जश्न मना रही है। भाजपा सरकार ने छह वर्षों में किसानों को फूटी कौड़ी का लाभ नहीं पहुंचाया। उसकी न तो आय दुगनी हुई, नहीं लागत का ड्योढ़ा मूल्य मिला।

एमएसपी देना तो दूर की बात भाजपा सरकार ने किसानों के पास जो जमा पूंजी है उसे भी लूटने का इंतजाम कर लिया है। किसानों के सिर पर  खेती जमीन-जायदाद जाने का खतरा भी मंडरा रहा है।
विडम्बना तो यह है कि प्रदेश में भाजपा की डबल इंजन सरकार के समय तो यह कहावत चरितार्थ हो रही है कि बड़े मिया तो बड़े मियां छोटे मियां सुभान अल्लाह।

राज्य की भाजपा सरकार का घमण्ड तो अब हद से ऊपर हो गया है। राज्य में कहीं कोई सुनवाई नहीं है। धान की लूट सरे आम हो रही है। धान खरीदी में धांधली से तंग होकर एक और किसान आत्महत्या का प्रयास प्रशासन के निर्मम रवैये को साबित करता है।

भाजपा सरकार में सिंचाई व बिजली की सुविधा लगभग न के बराबर है। इसके बावजूद डीजल खरीद कर भी पंपों से सिंचाई कर खेती करने में भी किसान पीछे नहीं रहते हैं। इसके लिए कर्ज लेकर अथवा बाहरी स्थानों से कमा कर परिजनों के द्वारा भेजी गयी गाढ़ी कमाई भी खेती में लगायी जाती है। उस पर स्थिति यह आ जाती है कि गायों/बैलों का झुंड पहुंचकर न सिर्फ फसल को खा जाते हैं, बल्कि उसमें लौटते हुए रौंद भी देते हैं। ऐसे में खेती में लगी पूंजी भी नहीं वापस होती है।

     गन्ना समर्थन मूल्य तो बढ़ाया नहीं गया ऊपर से मिलो में करोड़ों रूपये का बकाया हो गया है। अयोध्या में मसौधा और रौजागांव चीनी मिलों पर किसानों का 50.38 करोड़ रूपया बकाया है। गोण्डा की बजाज चीनी मिल पर किसानों का पिछले वर्ष का 146 करोड़ रूपए बकाया है।.

प्रदेश में अभी भी आठ हजार करोड़ रूपये से ज्यादा गन्ना किसानों का मिलो पर बकाया है। 14 दिनों में बकाया भुगतान ब्याज सहित देने का दावा करने वाली भाजपा सरकार को भुगतान करने में क्यों देरी हो रही है, इसका जवाब देना चाहिए?

      भाजपा सरकार किसानों के प्रति असंवेदनशील होकर घोर उपेक्षा का व्यवहार कर रही है। मंहगाई की मार ने अलग से किसान की कमर तोड़ दी है। इतने पर भी दावा कि भाजपा किसानों की हितैषी है। भाजपा का यह झूठ सीधे अन्नदाता का अपमान है। किसान अपना भविष्य बचाने को जान दे रहा है।

भाजपा काले कृषि कानून थोपना चाहती है। जनता भी अब किसानों की मांगों के समर्थन में खड़ी हो गयी है।किसान क्रांति के समर्थन में समाजवादी पार्टी बराबर प्रदर्शन-धरना के कार्यक्रम कर रही है। किसान यात्रा, किसान घेरा के माध्यम से किसानों से सम्पर्क कर उनकी समस्याओं पर चर्चा हुई और समाजवादी सरकार के कामों की जानकारी भी साझा की गई।

बहुराष्ट्रीय कंपनी पेप्सिको ने गुजरात के 9 गरीब किसानों पर उसके द्वारा रजिस्टर्ड आलू बीज से आलू की अवैध खेती करने के लिए 5 करोड़ रूपये मुआवजे का दावा ठोंका था और व्यापारिक मामलों को देखने वाली गुजरात की कोर्ट पेप्सिको के साथ खड़ी हो गई थी।

इसी प्रकार एक मामला छत्तीसगढ़ का है, जहां मजिसा एग्रो-प्रोडक्ट नामक कंपनी ने इस प्रदेश के सात जिलों के 5000 किसानों से 1500 एकड़ से अधिक के रकबे पर काले चावल की फसल की खरीदी का समझौता किया था, लेकिन उत्पादन के बाद इस कंपनी ने या तो फसल नहीं खरीदी या फिर चेक ही बाउंस हो गए। आज तक किसानों को उनके नुकसान के 22 करोड़ रूपये नहीं मिले हैं। ये दो अनुभव अब देश के पैमाने पर किसानों के आम अनुभवों का हिस्सा बनने जा रहे हैं, किसानों की तबाही की नई कहानियों के साथ है।

भाजपा सरकार ने इन शांतिपूर्ण कार्यक्रमों को भी दमन से डराने धमकाने की कोशिश की। भाजपा भूले नहीं कि लोकतांत्रिक मर्यादाओं के उल्लंघन के नतीजे अच्छे नहीं होते हैं। अब किसान और नौजवान मिलकर शोषण और दमनकारी भाजपा को करारा जवाब देने को तैयार है।