घोंघाबसन्त सम्मेलन

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घोंघाबसन्त सम्मेलन
घोंघाबसन्त सम्मेलन

‘घोंघाबसन्त सम्मेलन’ धूमधाम से सम्पन्न,एहसान कुरैशी ने धूम मचा दी।

लखनऊ। लखनऊ में इस वर्ष पुनः उस रोचक आयोजन ने गत दिवस रवीन्द्रालय में धूम मचाई, जो अपनी विलक्षणताओं के कारण पिछले तिरसठ वर्षो से एक खास आकर्षण का रूप लिए हुए है और लोग वर्ष भर इस आयोजन की प्रतीक्षा करते हैं।

विश्व का सबसे पुराना हास्य-आयोजन

‘घोंघाबसंत सम्मेलन’ विश्व का सबसे पुराना एवं अनूठा हास्य-आयोजन है, जो अखिल भारतीय सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं समाजसेवी संस्था ‘रंगभारती’ द्वारा प्रतिवर्ष एक अप्रैल को रवीन्द्रालय प्रेक्षागृह, लखनऊ में हास्य-उत्सव के रूप में सम्पन्न होता है। ‘घोंघाबसन्त सम्मेलन’ इस वर्ष भी पूरे उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ। हंसी के धमाकों में लोगों ने हास्य-उत्सव का जमकर आनन्द लिया। समारोह में मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक थे, जिन्होंने अपने सम्बोधन में इस बात की प्रशंसा की कि श्याम कुमार जी के नेतृत्व में ‘रंगभारती’ ने अनेक नई-नई शुरुआतें कीं, जिनमें से एक प्रयोग ‘घोंघाबसन्त सम्मेलन’ है। वर्ष १९६१ में इसे देश के पहले हास्य कविसम्मेलन के रूप में शुरू किया गया था। ‘घोंघाबंसत सम्मेलन’ नामक यह हास्य-उत्सव विगत तिरसठ वर्षों से आयोजित हो रहा है तथा इसे विश्व का सबसे पुराना हास्य-आयोजन माना जाता है। देशभर में इस आयोजन की बहुत ख्याति है। आयोजन में श्री ब्रजेश पाठक की पत्नी श्रीमती नम्रता पाठक भी मौजूद थीं। विशिष्ट अतिथि के रूप में महंत देव्यागिरि, सुधीर हलवासिया, महापौर सुषमा खर्कवाल आदि उपस्थित थे।

उद्देश्य

‘रंगभारती’ की स्थापना १९६१ में हुई थी तथा उसी वर्ष ‘रंगभारती’ ने ‘घोंघाबसंत सम्मेलन’ के रूप में देश का पहला हास्य कविसम्मेलन इलाहाबाद(प्रयागराज) के सुविख्यात परीभवन में आयोजित किया था, जो बाद में रवीन्द्रालय का निर्माण होने पर लखनऊ में सम्पन्न होने लगा। देश के अन्य विभिन्न नगरों में भी ‘रंगभारती’ हास्य-उत्सव के आयोजन करती आ रही है, जिसके अन्तर्गत बड़े-बड़े हास्य कविसम्मेलन सम्पन्न होते हैं। इन ‘हास्य-उत्सवों’ का उद्देश्य होता है- ‘आज की तनावभरी जिन्दगी में हंसना-हंसाना।’

भाग लेने वाले रचनाकार

‘घोंघाबसन्त सम्मेलन’ में इन सुविख्यात हास्य-कवियों ने अपनी रचनाओं से हंसा-हंसाकर लोटपोट कर दिया:- एहसान कुरैशी (मुम्बई), जीनत परवीन (मुम्बई), मनोज मदरासी (मुम्बई), रियाज इंडियन (मुम्बई), अमित अनपढ़ (लखनऊ), पंकज प्रसून (लखनऊ), शेखर त्रिपाठी (सीतापुर), तनहा (अयोध्या), राज बनारसी (वाराणसी), श्याम कुमार (लखनऊ) आदि।

‘हास्यभूषण रंगभारती सम्मान’

आयोजन में मुख्य आकर्षण थे मुम्बई से आए सुविख्यात हास्यकलाकार एहसान कुरैशी, जिन्होंने ‘लाॅफ्टर चैलेंज’ में धूम मचा दी थी। एहसान कुरैशी को ‘हास्यभूषण रंगभारती सम्मान’ से सम्मानित किया गया।

‘सूंड़ फैजाबादी रंगभारती सम्मान’

प्रसिद्ध हास्यकवि अमित अनपढ़(लखनऊ) को ‘सूंड़ फैजाबादी रंगभारती सम्मान’ से सम्मानित किया गया। सूंड़ फैजाबादी ‘रंगभारती’ के सदस्य थे एवं जब तक वह जीवित रहे, वही ‘रंगभारती’ के हास्य कविसम्मेलनों का संचालन करते थे।

‘रमई काका रंगभारती सम्मान’

अवधी बोली के प्रसिद्ध कवि समीर शुक्ल(फतेहपुर) को ‘रमई काका रंगभारती सम्मान’ दिया गया। अवधी बोली के महाकवि रमई काका ‘रंगभारती’ के सदस्य थे, जिनकी स्मृति में यह सम्मान दिया जाता है।

विशिष्ट उपहार

‘घोंघाबसंत सम्मेलन’ में कवियों को ये उपहार प्रदान किए गए:- हिमांचल प्रदेश के राज्यपाल श्री शिवप्रताप शुक्ल आआअकी ओर से पत्तलों का जयमाल। लखनऊ के जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार की ओर से भिंडी का जयमाल। लखनऊ की महापौर श्रीमती सुषमा खर्कवाल की ओर से राजमुकुट। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक की ओर से लाॅलीपाॅप।

श्याम कुमार मंच पर

‘रंगभारती’ के अध्यक्ष श्याम कुमार इस बार असदउद्दीन उवैसी की वेशभूषा में अपने कमांडो के साथ मंच पर आए और आगंतुकजनों का स्वागत किया। मूर्खिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में एक सचमुच के गधे ने ‘घोंघाबसंत सम्मेलन’ का उद्घाटन किया। सुविख्यात वरिष्ठ कलाकार विजय वास्तव द्वारा श्याम कुमार का इटली के जूतों से बनी सुगन्धित माला पहनाकर अभिनन्दन किया गया।

‘मूर्खरत्न’ का राष्ट्रीय सम्मान ‘घोंघाबसन्त सम्मेलन’ में इन सात के लिए ‘मूर्ख रत्न’ का ‘राष्ट्रीय शिखर सम्मान’ घोषित किया गया:-
१- ओमप्रकाश राजभर २- सुप्रिया श्रीनेत ३- देवबंद ४- संयुक्त राज्य अमरीका ५- जर्मनी ६- स्वामी प्रसाद मौर्य ७- श्याम कुमार।

‘ढेंचू’ सम्मान

इस वर्ष का ‘ढेंचू’ सम्मान पुनः राहुल गांधी को दिया गया है। यह सम्मान पूरे वर्ष निरर्थक एवं अनर्गल बातें बोलने पर दिया जाता है। पूर्व में भी राहुल गांधी को यह ‘सम्मान’ कई बार दिया जा चुका है। उनके अलावा दिग्विजय सिंह, मणिशंकरर अय्यर, कपिल सिब्बल, आजम खां, असदउद्दीन उवैसी, अकबरुद्दीन उवैसी आदि ‘विभूतियों’ को भी इस विशिष्ट सम्मान से विभूषित किया जा चुका है।

‘कुम्भकर्ण सम्मान’

इस वर्ष ‘कुम्भकर्ण सम्मान’ निम्नलिखित उन विभागों को दिया गया , जिनकी कुम्भकर्णी नींद के कारण भ्रष्ट एवं कामचोर अफसर जनता के हित के लिए बनाए गए विभागों की साख पर बट्टा लगा रहे हैंः-
१. लखनऊ नगर निगम- प्रदेश की राजधानी अतिक्रमणों से पटी जा रही है और शहर नरक बना हुआ है, लेकिन लखनऊ नगर निगम के अफसर आंख पर पट्टी बांधे हुए हैं।
२. लखनऊ विकास प्राधिकरण- लखनऊ में यत्र, तत्र, सर्वत्र अवैध कब्जों की भरमार हो रही है, मगर लखनऊ विकास प्राधिकरण उन अवैध कब्जों के लिए जिम्मेदार अफसरों के विरुद्ध कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करता है। जबकि उन भ्रष्ट अफसरों को जेल भेजकर उनकी अवैध सम्पत्ति जब्त कर ली जानी चाहिए।
३. खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग-प्राणलेवा मिलावटखोरी प्रदेश की जनता का स्वास्थ्य चौपट कर रही है। किन्तु यह विभाग मिलावटखोरों के विरुद्ध दिखावे के लिए जबतब कुछ कार्रवाई कर चुप बैठ जाता है। पिछले दिनों होली महापर्व के अवसर पर फेसबुक पर किसी ने खोये में की जा रही प्राणघातक मिलावट का भंडाफोड़ किया था।
४. वन विभाग- यह विभाग प्रतिवर्ष कागजों पर करोड़ों पेड़ लगाता है, पर प्रदेश के शहर अभी भी आॅक्सीजन प्रदान करने वाली हरियाली को तरस रहे हैं।
५]. परिवहन विभाग- परिवहन विभाग की बसें रास्ते में कहीं भी चलना बंद कर देती हैं। यहां तक कि उनमें आग लग जाया करती है तथा लोग हताहत होते हैं। कुंभकर्णी नींद वाला परिवहन विभाग सुषुप्तावस्था में पड़ा रहता है।
६. मुख्यमंत्री पोर्टल- उत्तर प्रदेश का सौभाग्य है कि उसे हरसमय जनकल्याण की सोचने वाला कठोर परिश्रमी मुख्यमंत्री मिला है। जनकल्याण के उद्देश्य से ही योगी सरकार ने ‘मुख्यमंत्री पोर्टल’ की स्थापना की है। लेकिन इस पोर्टल के संचालनकर्ता गैरजिम्मेदार प्रतीत होते हैं। वे शिकायतकर्ताओं को झूठी सूचना दे देते हैं कि उनकी शिकायत का निवारण कर दिया गया है। प्रायः ऐसा भी होता है कि यदि मुख्यमंत्री पोर्टल पर किसी स्थानीय निकाय से सम्बंधित कोई शिकायत भेजी जाय तो वहां से वह शिकायत निवारण हेतु किसी थाने में भेज दी जाती है, जिसका उस शिकायत से कोई मतलब नहीं होता है।

गन्धर्व-विवाह

‘घोंघाबसन्त सम्मेलन’ में इन पांच विभूतियों का ‘गन्धर्व विवाह’ सम्पन्न हुआः- १. मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र का होली महापर्व के साथ। २. एहसान कुरैशी का करीना कपूर के साथ। ३. अरविंद केजरीवाल का ईडी के साथ। ४. उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का माधुरी दीक्षित के साथ। ५. श्याम कुमार का वैजयंतीमाला के साथ।

मायावती द्वारा नेग– पूर्व-मुख्यमंत्री मायावती ने विगत की भांति इस बार भी प्रत्येक जोड़े की वधू को ‘सदा सुहागिन रहो’ आशीर्वाद के साथ ग्यारह-ग्यारह रुपये का नेग प्रदान किया है।

कार्यक्रम का आरंभ– दीप-प्रज्ज्वलन के बाद मशहूर रंगकर्मी विजय वास्तव ने चुटकुलेबाज देवकीनंदन के साथ हास्य आइटमों की शुरुआत की। वरिष्ठ शास्त्रीय गायिका पद्मा गिडवानी ने सरस्वती-वंदना प्रस्तुत की। समारोह के आरंभ में ‘रंगभारती’ के अध्यक्ष श्याम कुमार ने आगंतुकजनों का स्वागत किया।

कुछ कवियों की हास्य-व्यंग्य पंक्तियां इस प्रकार हैंः-

एहसान कुरैशी (लखनऊ)
नए भारत के नए नेता बनकर
हम भी गजब ढाएंगे।
भ्रष्टाचार करने से
बिलकुल नहीं घबराएंगे।
पकड़े भी गए तो गम नहीं यारो,
हम जेल में बैठकर
सरकार चलाएंगे।
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जेल में कविसम्मेलन
आयोजित किया गया।
कवियों ने डटकर कैदियों को
दो घंटे कविताएं सुनाईं।
जेलर ने देखा कि
कैदियों की आंखों में आंसू थे।
जेलर ने पूछा-क्या हुआ?
रुआंसे कैदी बोले- साहब,
अदालत ने जो सजा सुनाई,
क्या वो कम थी?

जीनत परवीन (मुम्बई) – मैं जिंदगी में
मौज उड़ाती चली गई,
हंसती रही, पर
पति को रुलाती चली गई।

मनोज मदरासी (मुम्बई) –
मेरे जख्मों को ऐसी दवा दे गया,
जून में जनवरी की हवा दे गया।
मैंने पूछा कि कैसा मेरा रंग है,
झट वो लाकर किचन से तवा दे गया।

अमित अनपढ़ (लखनऊ) –
अपने पिता और भाई को ही मानती है तोप,
देशी कट्टे-जैसा पति को समझती है ये,
षादी के ही साल बस आलिया-सी लगती है,
उम्र भर बुआ जी की भांति लड़ती है ये।

बेटे ने पूछा पापा से-
दीदी क्यों इतना रो रही है
इस खुशी के अवसर पर क्यों अपनी आंख भिगो रही है,
पापा बोले, घबराओ नहीं,
ये जा रही है अपने साजन-घर,
दीदी तो आज रो रही है,
जीजा रोवेंगे जीवनभर।

राज बनारसी (वाराणसी) रोज-रोज टूट जाता दिल
हमारा, क्या करें?
लेना पड़ता है मुझे कोई
सहारा, क्या करें
आप कहते हैं- प्यार पहली बार
में ही कीजिए।
हमसे पहला ही नहीं होता
दुबारा क्या करें

तनहा (अयोध्या) आंख तरेरे खड़ी रहत है
पत्नी और पुलिस,
हरदम पीछे पड़ी रहत है
पत्नी और पुलिस।
बेमौके हमका हड़कावे
पत्नी और पुलिस,
जब देखो तब जेब टटोलै
पत्नी और पुलिस।

षेखर त्रिपाठी (सीतापुर) चैटिंग में एक सुंदरी पर,
दिल फिसल गया।
मेरा ही दांवपेंच था,
मुझपे ही चल गया।
कलियुग में अब किसी पे भी
होगा नहीं यकीं,
समझा था जिसे सोनी,
वो सोनू निकल गया।

ष्याम कुमार (लखनऊ) चली आई है उनकी याद बनकर जाम होली में,
हुई है और भी रंगीन अपनी शाम होली में।

                         रपट लिखवाके हम आए हैं उनके नाम होली में,
                         वो छुप-छुप देखते हैं क्यों हमारा बाम होली में

                        गले लिपटा के तुमको प्यार करने की तमन्ना है,
                        नहीं परवाह, हो जाएं अगर बदनाम होली में।

                        ये लगता है, पकी है उस तरफ भी प्यार की खिचड़ी,
                         सुनाई  दे  रहा  है  कुछ  मधुर  पैगाम  होली में। 

                         खबर  है  आज  वो  बाहर  निकलकर रंग खेलंेगे,
                        हुआ है  आशिकों  से  खूब  ट्रैफिक जाम होली में।

                        नहीं इजहार करते हैं कभी अपनी मुहब्बत का,
                        छिपाकर दिल में रखते हैं ये दौलत ‘श्याम’ होली में।