टोंक के ग्रामीण क्षेत्रों में पायलट का ज़ोरदार स्वागत

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सीएम अशोक गहलोत ने अजय माकन और डोटासरा के साथ जयपुर में कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक की। तो सचिन पायलट टोक में किसान सम्मेलनों में व्यस्त रहे।

एस0 पी0 मित्तल

10 जनवरी को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने जयपुर में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन व प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ बैठक की। तो पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट अपने निर्वाचन क्षेत्र टोंक के ग्रामीण क्षेत्रों में किसान सम्मेलनों में व्यस्त रहे। सीएम गहलोत की उपस्थिति में जयपुर में हुई बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण थी कि नवगठित प्रदेश कांग्रेस कार्यसमिति की यह पहली बैठक थी। कहा जा सकता है कि गत वर्ष जुलाई माह में प्रदेश अध्यक्ष के पद से सचिन पायलट की बर्ख़ास्तगी के बाद प्रदेश कांग्रेस की यह पहली बैठक थी। इस बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा ने की।

इस बैठक में 90 निकायों के चुनाव को लेकर रणनीति भी बनाई गई। प्रदेश में आगामी 31 जनवरी को 90 निकायों के वार्ड पार्षद का चुनाव होना है। इसके लिए 11 जनवरी से नामांकन शुरू हो जाएंगे। जयपुर में जहां सरकारी स्तर पर चुनाव की रणनीति बनाई गई, वहीं पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपने निर्वाचन क्षेत्र टोंक में अनेक किसान सम्मेलनों को संबोधित किया। पायलट 11 जनवरी को भी टोंक में ही रहेंगे।

इन दो दिनों में 21 ग्राम पंचायतों में पायलट छोटे बड़े किसान सम्मेलन करेंगे। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन के जयपुर आग मन पर पायलट भले ही जयपुर में उपस्थित नहीं रहे हो, लेकिन टोंक में पायलट का जोरदार स्वागत हुआ है। किसान सम्मेलनों में पायलट को बड़ी बड़ी मालाएं पहनाई गई, तो किसान के प्रतीक चिन्ह लकड़ी का हल भी भेंट किया गया। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने पायलट जिंदाबाद के नारे लगाए।

यहां यह उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार के 3 कृषि कानूनों के विरोध में कांग्रेस देशव्यापी आंदोलन कर रही है। इसके अंतर्गत कांग्रेस के नेताओं को अपने अपने क्षेत्रों में जाकर किसान सम्मेलन करने हैं और कृषि कानूनों की ख़ामियाँ बतानी है। प्रदेश में सचिन पायलट कांग्रेस के पहले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने क्षेत्र में किसान सम्मेलन शुरू किए हैं। पायलट का कहना रहा कि इन कानूनों से किसानों के परिवार बर्बाद हो जाएंगे। उन्होने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 45 दिनों से किसान धरने पर बैठे हैं, लेकिन केन्द्र सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही।