कांग्रेस को उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की इस स्थिति को समझना होगा…?

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यदि उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी को दौरे के दौरान केन्द्रीय सुरक्षा बलों एवं निजी सुरक्षा गार्डों की जरुरत हो, तब कांग्रेस की क्या प्रतिक्रिया होगी…? पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था पर भी कांग्रेस को प्रतिक्रिया देनी चाहिए।

एस0 पी0 मित्तल

9 जनवरी को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले में रोड शो कर किसानों की रैली को संबोधित किया। बंगाल में आगामी मई माह में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसलिए बंगाल की राजनीतिक माहौल गर्म है। 9 जनवरी को जब नड्डा ने दौरा किया तो उनकी सुरक्षा के लिए केन्द्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की गई तथा भाजपा की ओर से निजी सुरक्षा गार्ड भी लगाए गए। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि पिछले दौरे में नड्डा पर जानलेवा हमला हुआ था।

सवाल उठता है कि क्या पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था इतनी खराब हो गई है कि राजनीतिक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष की सुरक्षा भी नहीं हो पा रही है? यदि नड्डा की सुरक्षा के लिए केन्द्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती करनी पड़े तो फिर बंगाल की कानून व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है। अब सवाल उठता है कि यदि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को उत्तर प्रदेश में अपनी सुरक्षा के लिए केन्द्रीय सुरक्षा बलों की तैनातनी करवानी पड़े तो फिर कांग्रेस की क्या प्रतिक्रिया होगी?

सब जानते हैं कि प्रियंका गांधी यूपी की प्रभारी महासचिव होने के नाते आए दिन प्रदेश का दौरा करती है। केन्द्र सरकार ने प्रियंका को जो सुरक्षा उपलब्ध करवा रखी है, उसके बाद यूपी पुलिस ही प्रियंका का ख्याल रखती है। ऐसा कभी नहीं हुआ कि यूपी में प्रियंका पर जानलेवा हमला हुआ हो।

राजनीतिक कारणों से भले ही प्रियंका गांधी यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की आलोचना करें, लेकिन प्रियंका भी जानती हैं कि यूपी पुलिस ने किस प्रकार अपराधियों पर अंकुश लगाया है। जब यूपी में प्रियंका गांधी रैली, धरना, प्रदर्शन आदि कर सकती हैं तो फिर पश्चिम बंगाल में जेपी नड्डा क्यों नहीं कर सकते?

कांग्रेस को उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की इस स्थिति को समझना होगा। यदि बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब है तो कांग्रेस को भी आलोचना करनी चाहिए। यदि पियंका गांधी को यूपी में थोड़ी भी परेशानी होती तो कांग्रेस तीखी प्रतिक्रिया देती, लेकिन पश्चिम बंगाल की बिगड़ी कानून व्यवस्था की स्थिति पर कांग्रेस की चुप्पी राजनीतिक दृष्टि से बहुत मायने रखती हें।

सवाल उठता है कि कांग्रेस पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इतना क्यों डरती है? यह सही है कि अब बंगाल में कांग्रेस का पहले वाला असर नहीं रहा है। अपने वजूद को बचाए रखने के लिए कांग्रेस ने हाल ही में वामदलों से समझौता कर लिया है। यानि मई में होने वाले विधानसभा चुनाव कांग्रेस और वामदल मिल कर लड़ेंगे।

यहां यह उल्लेखनीय है कि गत लोकसभा चुनाव में बंगाल की 42 सीटों में से भाजपा को 18 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि 22 सीटों पर ममता बनर्जी की टीएमसी ने कब्जा किया था। लोकसभा चुनाव में वामदलों और कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था।