भाजपा ने दलितों-पिछड़ों और महिलाओं को दिया प्रतिनिधित्व, सपा-बसपा और कांग्रेस ने ठगा-डॉ0 निर्मल

74

लखनऊ, भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश पदाधिकारियों की नई टीम में दलितों-पिछड़ों और महिलाओं की भागीदारी को और भी मजबूत किया है। जबकि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने हमेशा दलितों और पिछड़ों को ठगने का काम किया है। अखिलेश यादव के परिवारवाद से प्रदेश की जनता परेशान है। समाजवादी पार्टी को वोट तो दलितों-पिछड़ों और महिलाओं का चाहिए, लेकिन राज्यसभा और लोकसभा में उनके परिवार के लोग और पैसे वाले ही जाएंगे। यह लोहिया का समाजवाद नहीं, बल्कि अखिलेश यादव का परिवारवाद है। ये बातें अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष डॉ0 लालजी प्रसाद निर्मल ने कही है।

डॉ0 लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने 41 पदाधिकारियों की घोषणा की है। इस टीम में महिलाओं और युवाओं को सबसे अधिक तरजीह दी गई है। जातीय समीकरण को संतुलित और सभी की भागीदारी को सुनिश्चित करते हुए पिछड़ी जतियों के 12 पदाधिकारी बनाए गए हैं। 8 दलित पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। दलितों को राजनीति में भाजपा ही भागीदारी दे रही है, अन्य राजनीतिक दल केवल वोट लेने का काम करते हैं।

देश की आधी आबादी को लेकर डॉ0 निर्मल ने कहा कि आज महिलाएं राज्यपाल, उपराज्यपाल और विश्वविद्यालयों में कुलपति बन रही हैं। ऐसे में महिलाओं को केवल जाति और परिवार में जकड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। भाजपा संगठन में इस बार 10 महिलाएं महामंत्री, उपाध्यक्ष और मंत्री के पदों पर हैं। महिलाओं को संगठन में 25 फीसदी हिस्सेदारी दी गई है। यह भारतीय जनता पार्टी की ओर से महिलाओं का सम्मान है। समाजवादी पार्टी में जहां डिम्पल यादव, बसपा में खुद मायावती और कांग्रेंस में सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ही महिला नेत्री के तौर पर दिखायी देती हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा में संघर्षशील आम महिलाओं को आगे किया जा रहा है।

भारतीय जनता पार्टी में जातिवाद न होने और सबका साथ सबका विकास होने की बात करते हुए डॉ0 निर्मल ने कहा कि राजनीति में आज भी कांग्रेस-सपा और बसपा जातीय जहर घोलने का काम कर रही हैं। भारतीय जनता पार्टी ने हाशिए के समाज का सम्मान किया है। इसका नतीजा 2022 के विधानसभा चुनाव में दिखाई देगा। दलित और पिछड़े वर्ग के लोग भाजपा को वर्ष 2022 में वर्ष 2017 से भी बड़ी जीत दर्ज करवाने का काम करेंगे। जो लोग अपने परिवार को लोकसभा में पहुंचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, उन्हें जनता देख रही है। देश राजनीति में जातिवाद और परिवारवाद नहीं, कर्मवाद और राष्ट्रवाद देखना चाहता है।