भाजपा सरकार से तंग जनता-अखिलेश यादव

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राजेन्द्र चौधरी

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का आज लखनऊ  के बख्शी का तालाब क्षेत्र में जनता ने भव्य स्वागत किया। क्षेत्र के भौली गांव में एक कार्यक्रम में जाते हुए और वापसी में जानकारी होनेपर जगह-जगह अपने आप एकत्रित महिलाओं, बुजुर्गों और नौजवानों की भीड़ ने अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारों से अभिवादन किया।

रैथा रोड़ पर सहभागी शिक्षण केन्द्र में तथा बृज की रसोई के सामने भी श्री यादव का जोरदार अभिनंदन हुआ। स्थानीय लोगों में इतना उत्साह था कि श्री यादव को अपनी कार की गति धीमीकर उनके समीप जाना पड़ा। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी भी उनके साथ थे।

अखिलेश यादव आज भौली गांव में अजय रतन सिंह के निवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने गए थे। यहां श्री यादव ने 1200 वर्ष पुराने राधाकृष्ण मंदिर में दर्शन-पूजन किया। मंदिर में विष्णु भगवान, राम सीता लक्ष्मण तथा हनुमान जी, काली मां, तथा भगवान शंकर जी के विग्रह मौजूद हैं।

अखिलेश यादव ने भौली गांव में समाजवादी आंदोलन से जुड़े कालिका सिंह, ईश्वरदीन, साजन, देशराज, रामपाल तथा शैलेन्द्र को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।इस अवसर पर अजय , पाटेश्वरी चैहान आदि भी उपस्थित थे। उन्होंने अखिलेश यादव को भरोसा दिलाया कि जनसामान्य उनके साथ है।

लोग भाजपा सरकार से ऊबे  हुए हैं। अगले विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी की सरकार बहुमत में आएगी। जहां-जहां से भी अखिलेश यादव गुजरे वहां-वहां उनके काफिले के पीछे लोग दौड़ते रहे। लोगों ने जोरदार आवाज में कहा कि अब अखिलेश जी की सरकार बनने से कोई नहीं रोक सकता।

     भौली गांव के कार्यक्रम में वापसी से अखिलेश यादव ने हरिश्चन्द्र की सब्जी की दुकान पर रूककर सब्जी खरीदी। छठा मील पर गणेश यादव और कल्लू यादव की चाय की दुकान पर भी रूककर श्री अखिलेश यादव ने चाय पी। यहां श्री सुनील यादव, गणेश यादव के साथ तमाम लोग श्री यादव के दर्शन के लिए इकट्ठे हो गए। सब यही कह रहे थे कि अखिलेश यादव की सरकार आना जरूरी है ताकि प्रदेश में खुशहाली आए और विकास कार्य हों। किसान, नौजवानों का तभी फायदा होगा और तभी अवरूद्ध विकास कार्य पुनः प्रारम्भ हो सकेंगे।

अखिलेश यादव ने कहा है कि अब यह बात स्पष्ट हो गई है कि भाजपा की प्राथमिकता में गरीब, किसान, नहीं बल्कि कारपोरेट घरानों का हित साधन है। कड़ाके की ठंड में हजारों किसान खेती बचाने की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं। कई अपनी जान भी गंवा बैठे हैं लेकिन भाजपा सरकार अंधी-बहरी बनी हुई है। हद तो यह है कि एक ओर वार्ता का ढोंग किया जा रहा है, दूसरी ओर किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की भी कुचेष्टा हो रही हैं। स्वयं प्रधानमंत्री जी उनके मंत्रीगण एवं भाजपा के छोटे बड़े सैकड़ों नेता कृषि सुधार अधिनियमों के पक्ष में स्वयं प्रचारक बनकर किसानों के खिलाफ मैदान में उतर आए हैं।

     भाजपा सरकार ने किसानों की आवाज को दबाने के लिए दमन का सहारा लिया है। किसानों पर या उनके समर्थन में खड़े लोगों पर गम्भीर धाराओं में मुकदमें दर्ज किए गए हैं। कितने ही लोग जेल यातना सह रहे हैं। लेकिन बेख़बर सरकार कदमताल की स्थिति में है। घोषणाएं तो बहुत हो रही हैं लेकिन परिणाम शून्य निकलता है। दिखावे में उछलकूद बहुत है पर गाड़ी एक कदम भी आगे नहीं बढ़ती दिखती है। वस्तुतः भाजपा सरकार नान-स्टार्टिंग है। ऐसी सरकार जो है तो डबल इंजन की परन्तु स्टार्ट नहीं हो पाई है। तो नतीजा कहां दिखेगा?

    किसान और उनके समर्थक सड़क पर हैं लेकिन मुख्यमंत्री जी और उनकी सरकार उड़ने का रिकार्ड बनाने में लगी हैं। अब हार थककर कार से चलने की घोषणा कर रहे हैं। वह कहां और क्यों जा रहे हैं, यह दिशाहीनता राज्य को भारी पड़ेगी। चार वर्ष में उनके काम काज का रिपोर्ट कार्ड शून्य रहा है। प्रदेश में विकास कार्यठप्प हैं, जनहित की एक भी योजना लागू नहीं है। समाजवादी पार्टी के कामों को ही अपना बनाकर किसी तरह इज्जत बचाई जा रही हैं। इस सच्चाई से राज्य की जनता अवगत है।

    उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार ने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को जेल भेजा है, किसानों की गिरफ्तारी की है क्योंकि समाजवादी पार्टी के अधिकतर कार्यकर्ता किसान ही हैं। समाजवादी पार्टी के इस संघर्ष में किसान, मजदूर, नौजवान, व्यापारी दुकानदार, कारोबारी सब साथ हैं क्योंकि कृषि कानूनों का असर सब पर पड़ना है।

   भाजपा सत्ता के बलबूते किसानों के आंदोलन का दमन करने के लिए छल कपट की रणनीति अपनाए हुए है। समाजवादी किसानों के सम्मान और अधिकारों की न केवल दृढ़ समर्थक हैं अपितु उसके लिए संघर्षशील भी हैं। समाजवादी सरकार में ही किसानों को सर्वाधिक लाभ मिले हैं। भाजपा सरकार भूले नहीं कि तानाशाही सरकारों को बेदखल करने का जनता और समाजवादियों का गौरवशाली इतिहास रहा है।