माह जनवरी हेतु औद्योगिक सुझाव

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लखनऊ –  मुख्य उद्यान विशेषज्ञ मलिहाबाद डॉ राजीव कुमार वर्मा ने बताया कि मासिक औद्योगिक सुझाव माह जनवरी-2021 हेतु सुझावः-
1. आमः- छोटे पेड़ों को पाले से बचाने के लिए धुआॅ करना अथवा आवश्यकतानुसार सिंचाई करना। तना छेदक कीड़े का प्रकोप होने पर उनके द्वारा बनाए गए छिद्रों में ड्राईक्लोरोवास कीटनाशक दवा का घोल भरे तथा छिद्रों को गीली मिट्टी से बंद कर दें। बाग की जुताई-गुड़ाई व सफाई। बौर के 3-4 इंच का होने पर घुलनशील गंधक 400 ग्राम तथा भुनगा कीट के प्रकोप की दशा में जब 5-10 भुनगे प्रती बौर दिखाई दें तभी क्वीनालफास/़ डाई मेथोएट 400 मिलीलीटर प्रति 200 लीटर पानी में अथवा इमिडाक्लोप्रिड 03 मिलीलीटर 10 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रथम छिड़काव करें।
2. केलाः- केले में 15 दिन के अन्तर पर सिंचाई तथा एफिड के रोकथाम के लिए डाइमेथोएट (2 मिली0 प्रति ली0 पानी) रसायन का पहले तथा तीसरे सप्ताह में छिड़काव। अवांछित पुत्तियों को निकालकर बाग की सफाई करें।
3. अमरुदः- पके फलों को तोड़कर बाजार भेजना तथा चिडियों से बाग की रक्षा। उकठा रोग की रोकथाम हेतु कार्बन्डाजिम के 0.1 प्रतिशत घोल की 20-25 ली0 प्रति0 थाला की दर से ड्ेचिंग करना। बाग की गुड़ाई-सफाई एवं पौधों की सिंचाई।
4. आंवलाः- देर से पकने वाली किस्मों में फलों की तुड़ाई एवं विपणन तथा बाग की सिंचाई।
5. पपीताः- पौधों से तैयार फलों की तुड़ाई एवं विपणन। अगले माह पौधे लगाने हेतु गड्ढों की खुदाई। बागों में सिंचाई भी कर लें।
6. सब्जियाॅः- अगेती फसल लेने के लिए ग्रीष्मकालीन सब्जियों की बुवाई माह के अंत तक अनिवार्य रूप से कर दें। लतावर्गीय सब्जियों के बीज की बुवाई लोटनल में करें ।
7. टमाटर, बैंगन, मिर्च व आलू में आवश्यकतानुसार सिंचाई, निराई, गुड़ाई तथा झुलसा रोग से बचाव हेतु मैंकोजेब 0.2 प्रतिशत (2 ग्राम प्रति लीटर पानी में) तथा माहू से बचाव हेतु डायमिथोएट  2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव। अगेती आलू की खुदाई तथा विपणन एवं बीजोत्पादन फसल की लाक काटना। माह के अंत से आलू की खुदाई शुरू कर दें। बैंगन के तैयार फलों की तुड़ाई एवं विपणन तथा अवांछित पौधों को निकालना।
8. मटर की फलियां तोड़ना। बीज की फसल से अवांछित पौधे उखाड़ना तथा बुकनी रोग (पाउडरी मिल्ड्यू) से बचाव हेतु 2.5 किग्रा0 प्रति 1000 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर की दर से घुलनशील गंधक का छिड़काव। अगेती फसल की तैयार फलियों की तोड़ाई तथा विपणन।
9. लहसुन की 15 दिन के अंतर पर सिंचाई, गुड़ाई एवं निराई कर खर-पतवार निकालना। उर्वरकों की टॉप डे्सिंग करें।
10. गुलाब की क्यारियों की निराई गुड़ाई आवश्यकतानुसार सिंचाई, वडिंग तथा जमीन में इसके कलम लगाने का कार्य। माहू से बचाव हेतु डायमिथोएट  2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव।
11. ग्लेडियोलस में मौसम के अनुसार सप्ताह में एक या दो बार सिंचाई। तैयार स्पाइको को काटना। ग्रेडिंग तथा विपणन हेतु बाजार भेजना।
12. रजनीगंधा के वल्वांे के रोपण हेतु क्यारियों की 45 सेंटीमीटर गहरी खुदाई कर 15 दिन तक छोड़ना।

  मुख्य उद्यान विशेषज्ञ मलिहाबाद डॉ 0राजीव कुमार वर्मा ने बताया कि आम के बागों को मैंगोबिल्ट एवं डाईबैक रोग से बचाए जाने के लिए जनपद में आम की अच्छी उत्पादकता सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से यह आवश्यक है कि आम के बागों को सम-सामयिक रोगों से बचाने हेतु उचित समय पर प्रबंधन किया जाए। उक्त क्रम में बागवानों /कृषकों को सलाह दी जाती है कि आम के बागों को सूखा रोग (बिल्ट रोग) से बचाने हेतु प्रभावित सूखी टहनियों को काटकर काटे गए स्थान पर बोर्डो पेस्ट (1ः1ः10) अथवा 5 प्रतिशत कॉपर ऑक्सिक्लोराइड दवा का घोल लगाएं।

मैंगो डाई बैक रोग में टहनियां ऊपर से नीचे की ओर सूखने लगती हैं इससे पेड़ की बढ़वार रुक जाती है। इसकी रोकथाम हेतु सूखे हुए भाग से लगभग 15-20 सेंटीमीटर नीचे की ओर प्रभावित टहनियों को काटकर कटे भाग पर 5 प्रतिशत कॉपर ऑक्सिक्लोराइड का लेप लगाएं या कॉपर ऑक्सिक्लोराइड अथवा कॉपर हाइड्राक्साइड 0.3 प्रतिशत का 15 दिन के अंतराल पर दो छिड़काव करें।