संसद में पास हुए कृषि विधेयकों पर क्यों है विरोध…..?

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– अरुणेंद्र सिंह पटेल

विपक्षी साँसदों द्वारा पुरज़ोर विरोध करने के बावज़ूद सरकार ने कृषि विधेयक को राज्यसभा में गलत ढँग से पास करा लिया। लेकिन आखिर विपक्षी पार्टियां और हरियाणा-पंजाब के किसान इसका इतना विरोध क्यों कर रहे हैं? आइए संक्षेप में समझते हैं।

अभी की स्थिति….

◆ सरकार फसलों (गेंहू, धान, दलहन, आदि) का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है।
◆ सरकार हर साल राशन आदि के लिए फसल का एक हिस्सा मंडियों से खरीदती है।
◆ किसान फसलों को मंडी में लेकर जाते हैं।
◆ अगर किसान को कोई अच्छा खरीदार मिल जाए तो वो मंडी में उसको बेच देते हैं।
◆ अगर दाम सही ना मिले तो वो सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच देते हैं।
◆ मंडी प्रणाली हरियाणा और पंजाब में काफी शशक्त है।
◆ मंडी में माल बिकने से आढ़तियों को कमीशन और राज्य सरकार को मंडी टैक्स मिलता है।
◆ आढ़त वाले अधिकांश आसपास के गाँव वाले होते हैं तो ज़रूरत पड़ने पर किसान को आर्थिक मदद भी कर देते हैं।

संभावित स्थिति और भय….

● कृषि विधेयकों में न्यूनतम समर्थन मूल्य का कोई जिक्र नहीं है तो सरकार इसको भविष्य में समाप्त कर सकती है।

● सरकारी खरीद पर कोई जिक्र नहीं है तो सरकार भविष्य में खरीद घटा सकती है।

● न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकारी खरीद के अभाव में किसानों को मजबूरी में अपनी फसल कम दाम में बेचनी पड़ सकती है यदि खरीदार अच्छा भाव ना दें।

● किसान अब सीधे प्राइवेट कंपनियों को फसल बेच सकेंगे जो इस विधेयक का अच्छा प्रस्ताव है।

● फसल अगर मंडी में नहीं बिकेगी तो आढ़तियों का काम बंद हो जाएगा।

● आढ़त वाले बंद हो गए तो ज़रूरत पड़ने पर किसान की मदद कौन करेगा क्योंकि बड़ी कंपनियों वाले तो ऐसा करते नहीं।

● राज्य सरकारों को टैक्स कम आएगा।

● अगर बड़ी कंपनियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट खेती में किसान का कोई विवाद हुआ तो क्या किसान उनकी वकीलों की फौज का मुकाबला कर पाएगा…?

हमारे प्रधानमंत्री जी अपने भाषणों से किसानों को आश्वासन दे रहे हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगा और सरकारी खरीद भी जारी रहेगी लेकिन कृषि विधेयकों में यह कहीं भी लिखा नहीं है।

प्रधानमंत्री जी से अनुरोध…

कृपया यह कुछ चीजें विधेयक में लिखित में शामिल करें ताकि किसान भाई आश्वस्त हो सकें।

★ न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगा।

★ सरकारी खरीद मौजूदा स्तर से कम नहीं होगी।

★ कोई भी प्राइवेट कंपनी न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम में फसल नहीं खरीदेगी।

★ कंपनियों के साथ विवाद होने की स्थिति में सरकार किसानों को मदद करेगी।

★ कोई भी कंपनी कॉन्ट्रैक्ट खेती की आड़ में किसी किसान की ज़मीन पर कब्ज़ा नहीं करेगी।

विवाद की स्थिति में अदालत कानून में लिखे हुए को मानती है ना कि प्रधानमंत्री या किसी मंत्री के भाषण को।

इसलिए कृपया जो बातें प्रधानमंत्री जी भाषण में बोल रहे हैं वो ही विधेयक में लिख दें। इतना करते ही सारा विरोध खत्म हो जाएगा क्योंकि किसानों का हित सुरक्षित रहेगा।उम्मीद है प्रधानमंत्री जी कथनी और करनी में समानता रखेंगे और इन मुद्दों को विधेयक में लिखित जगह देंगे।

……(प्रदेश प्रवक्ता उ० प्र० किसान मंच)