श्यामनंदन कुमार शुक्ला


चौधरी हरमोहन सिंह यादव जी की 10वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करेंगे। इस दौरान पीएम हरमोहन सिंह यादव की वीरता और जन कल्याण के लिए उनके द्वारा किए गए कामों को याद करेंगे। हरमोहन सिंह जी देश के बीस करोड़ से भी अधिक आवादी वाले यादव, समुदाय के बड़े नेता थे। वे लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय रहे।


हरमोहन सिंह यादव का जन्म 18 अक्टूबर 1921 को कानपुर के मेहरबन सिंह का पुरवा गांव में हुआ था। 31 साल की उम्र में उन्होंने राजनीति में कदम रखा। वह 1952 में ग्राम प्रधान नगर के पार्षद बने उन्होंने 1970 से 1990 तक यूपी में एमएलसी, विधायक के रूप में काम किया। 1991 में वे पहली बार राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुने गए। उन्होंने कई संसदीय समितियों में सदस्य के रूप में काम किया। 1997 में उन्हें दूसरी बार राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामित किया गया था। चौधरी साहब ने अपने गावं में कई शिक्षणसंस्थाओं की स्थापना कर शिक्षा के स्तर को बढाने में भी अभूतपूर्व योगदान दिया। तथा उन्होंने ‘अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में भी काम किया। अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में श्री कृष्ण भवन की स्थापना वैशाली गाजियाबाद में की । इसके साथ दक्षिण भारत में यादवों से संबधित जातियों को अपने नाम के आगे यादव लिखने के लिए प्रेरित करने के साथ कई शादी संबध भी कराने के साथ वहां के लोगों को हिंदी सिखाने के लिए शिक्षकों का भी प्रबंध किया।


चौधरी चरण सिंह जी और राम मनोहर लोहिया जी के साथ घनिष्ठ संबंध थे। उन्होंने आपातकाल का विरोध किया था और किसानों के अधिकारों के लिए लड़ते हुए जेल गए थे। हरमोहन सिंह जी समाजवादी पार्टी के एक महत्वपूर्ण नेता थे। मुलायम सिंह यादव जी के साथ उनके बहुत करीबी संबंध थे। चौधरी चरण सिंह जी की मृत्यु के बाद हरमोहन सिंह जी ने पार्टी के नेताओं को यह प्रस्ताव दिया कि मुलायम सिंह यादव को अब पार्टी का नेता बनाना चाहिए। तब पार्टी के कुछ बड़े नेताओं ने चौधरी साहब से कहा कि आपको स्व चौ चरणसिंह जी के बेटे अजीत सिंह के साथ रहना चाहिए यह आपके भी हित में होगा और आगे चलकर अजीत ही पार्टी के हीरो होंगे। तब चौधरी हरमोहन सिंह जी ने दो टूक जबाब दिया कि मुलायम सिंह यादव चाहे हीरो हों या जीरो हों हम तो उन्हीं के साथ रहेंगे। चौ साहब के इस बयान के बाद मुलायम सिंह यादव के कद में जबरदस्त उछाल आया था। देश भर में मुलायम सिंह जी की पहचान बढाने में भी चौधरी साहब का बड़ा योगदान रहा है यही नहीं मुलायम सिंह जी को राजनीत और पार्टी को गति देने के लिए पहली गाड़ी कार गिफ्ट की थी,चौधरी साहब यादव समाज के उत्थान के साथ सर्व समाज के कमजोरों का उत्थान करते थे इसीलिए उनपर कभी जातिवाद की राजनीति करने का आरोप नहीं लगा।


25 जुलाई 2012 को हरमोहन सिंह यादव का निधन हो गया।1984 के सिख विरोधी दंगों में हमलावरों को खदेड़ा था,1984 के सिख विरोधी दंगों के छह साल पहले हरमोहन सिंह यादव और उनका परिवार एक नए स्थान पर चले गए थे। वहां अधिकांश आबादी सिखों की थी। चो साहब के सिखों के साथ अच्छे संबंध थे। वह कभी-कभार उनकी मदद भी करते थे। दंगों के दौरान यादव अपने बेटे सुखराम के साथ घर पर थे। उनके पास राइफल, कार्बाइन और बंदूकें थीं। जब गुस्साई भीड़ उनके इलाके के पास पहुंची तो वे छत पर चले गए और हमलावरों की ओर गोली चला दी। यह देख हमलावर भाग गए थे।


उन्होंने स्थानीय सिखों को अपने घर में शरण दिया। यादव परिवार ने उन्हें हमले से तब तक बचाया जब तक हमलावरों को तितर-बितर या गिरफ्तार नहीं कर लिया गया। सिखों के जीवन की रक्षा के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमन ने 1991 में चौ साहब को शौर्य चक्र से सम्मानित किया था। यह वीरता, साहसी कार्य करने या आत्म-बलिदान के लिए दिया जाने वाला एक भारतीय सैन्य सम्मानहै।