एमएलसी चुनाव में सपा का सूपड़ा साफ

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उत्तर प्रदेश के एमएलसी चुनाव में दलदल में फंसे लोगों से ज्यादा निर्दल ही जीते निर्दलीय ने बचाई अपनी साख। दलदल में फंसे लोग दलदल में ही फंसते जा रहे हैं और उसी दलदल से लगातार कमल अपने आकार को बड़ा करते हुए खिलता जा रहा है। अब दलदल में फंसे दलदल को विचार करना होगा कि वह किस प्रकार से अपने दल को इस दलदल से निकालें अन्यथा दलदल यह हमेशा के लिए दलदल बन जाएगा। इसी प्रकार दलदल से कमल निखरता हुआ खिलता जाएगा एक कहावत है बिना नीति के कोई भी असमंजस भारी हो जाता है और आज स्थिति यही है कि दल से बने दलदल के पास कोई नीति ही नहीं बची है। वह अनीति को ही नीति मानने लगे है जब कोई दल अनीति को ही नीति मानेंगे तो निर्धारित ही दलदल ही बनते जाएंगे। कोई भी व्यक्ति जिंदा दलदल में फंसना मुनासिब नहीं समझेगा अब दलदल जिसे अपना मानने का ढोंग करती थी। अब वह लोग भी दलदल से निकलने का प्रयास कर रहे हैं। बस देर सिर्फ इस बात की है कि उन्हें बाकी दल महत्व देना प्रारंभ कर दें अब उन्हें इंतजार सिर्फ इस बात का है कि उन्हें कौन सा दल महत्व देगा। रही बात जब प्रदेश में एक ही दल का सितारा चमकता नजर आ रहा है और जिंदा कौम उसी में जाकर अपना बसेरा ढूंढने का प्रयत्न कर रही है। क्योंकि किसी ने कहा है जिंदा कौमें ज्यादा इंतजार नहीं करपाती अर्थात जिंदा कोमें 5 साल इंतजार नहीं करती……!

लखनऊ विधान परिषद में सपा को मिली शून्य सीटों के जीत के बाद अब जुलाई में सपा से ऑफिशियल विपक्ष का दर्जा भी छिन सकता है क्योंकि विधान परिषद में विपक्षी दल के पास 10 सीटें होना जरूरी हैं और सारे गुणा-गणित के बाद जुलाई में सपा के पास विधान परिषद में अधिकतम 9 सीटें ही बचेंगी, जिससे सपा का ऑफिशियल विपक्ष का दर्जा खतरें में है।अर्थात सपा अब उत्तर प्रदेश में विपक्ष के लायक भी नहीं बची है।सपा के रत्नो ने सपा को किसी लायक नहीं छोड़ा है।

उत्तर प्रदेश में भाजपा की आंधी नहीं तूफान चल रहा है। विधानसभा चुनाव 2022 में प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा सत्ता पर काबिज होने वाली भाजपा ने विधान परिषद के चुनाव में भी परचम लहराया है। भाजपा ने 36 में से 33 सीट पर कब्जा जमाया है। उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का तो सफाया हो गया है। भाजपा के अलावा दो सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं जबकि एक सीट पर राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को जीत मिली है।उत्तर प्रदेश में बाबा बुल्डोज़र इतिहास ही रचे जा रहे हैं। विधानसभा ही नहीं अब विधानपरिषद में बाबा बुल्डोज़र डायनामाइट बनकर गरजेँगे।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में प्रचंड जीत के बाद भाजपा ने पहली बार विधान परिषद में भी बहुमत हासिल कर लिया। स्‍थानीय प्राधिकार क्षेत्र की विधानपरिषद की नौ सीटें बीजेपी पहले ही निर्विरोध जीत चुकी थी। आज 27 सीटों के लिए हुई मतगणना में भी 24 सीटों पर बीजेपी उम्‍मीदवार जीते। 36 में से कुल 33 सीटों पर बीजेपी कब्‍जा करने में कामयाब रही है। सिर्फ तीन सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा। इसमें से एक आजमगढ़, दूसरी वाराणसी और तीसरी प्रतापगढ़ की सीट रही। आजमगढ़ से बीजेेपी के निष्‍कासित पूर्व एमएलसी यशवंत सिंह के बेटे विक्रांत सिंह रिशु ने बतौर निर्दल उम्‍मीदवार चुनाव जीता तो वाराणसी बृजेश सिंह की पत्‍नी अन्‍नपूर्णा सिंह जीतीं। बीजेपी के अलावा जनसत्‍ता दल अकेली ऐसी पार्टी रही जिसे इस चुनाव में जीत हासिल हुई। राजा भैया के करीबी अक्षय प्रताप सिंह ने प्रतापगढ़ सीट से जीत हासिल की।

उत्तर प्रदेश राजनीति में पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का जलवा कायम है। विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को दो सीट मिली है, जबकि विधान परिषद चुनाव में भी प्रतापगढ़ की सीट अपने नाम कर ली है।प्रतापगढ़ के एमएलसी चुनाव में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के प्रत्याशी अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी ने 1721 मत पाकर 1107 वोटों से जीत दर्ज की है। उनके निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह को 614 मत मिले। तीसरे स्थान पर रहे समाजवादी पार्टी प्रत्याशी विजय यादव को 380 मत मिले। अक्षय प्रताप सिंह ने लगातार पांचवीं बार इस सीट पर जीत दर्ज की है।

उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की स्थानीय निकाय प्राधिकारी चुनाव में 36 सीटों पर हुए चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी सीट से एक बार फिर पर जेल में बंद माफिया ब्रजेश सिंह के परिवार का कब्जा बरकरार रहा। इस सीट पर मतगणना का अंतिम दौर पूरा होने के उपरांत निर्दलीय प्रत्याशी अन्नपूर्णा सिंह पत्नी ब्रजेश सिंह को सर्वाधिक 4234 वोटप्राप्त हुए।वह दूसरी बार इस सीट से विधान परिषद का चुनाव बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जीती हैं। अन्नपूर्णा सिंह को सर्वाधिक 4234 वोट मिले। जबकि सपा के उम्मीदवार उमेश यादव को मात्र 345 और भाजपा के उम्मीदवार डा0 सुदामा पटेल को 170 वोट से समझौता करना पड़ा।