अब हाथ से हाथ जोड़ेगी कांग्रेस

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राहुल गांधी पर एक और तलवार लटकी
राहुल गांधी पर एक और तलवार लटकी

अब हाथ से हाथ जोड़ेगी कांग्रेस

उत्तर प्रदेश में हाथ से हाथ जोड़ो अभियान की हुई शुरुआत। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने अभियान की शुरुआत की जो कि 2 महीने अनवरत चलेगा। हाथ से हाथ जोड़ो अभियान राहुल गांधी जी की भारत जोड़ो यात्रा का विस्तार है। कांग्रेस ने हाथ के पंजे को लेकर देश भर में एक जनसम्पर्क यात्रा की शुरुआत की है। जिसको “हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा” का नाम दिया है। गणतंत्र दिवस से इसकी शुरुआत हो चुकी है। राहुल गांधी ने महंगाई,बदहाल अर्थव्यवस्था,नौजवानों में बेरोजगारी,किसानो की दुर्दशा और कुछ चुनिंदा लोगों के पास देश की सम्पत्ति होने जैसे मुद्दों को भी उठाया गया है।

RAJU YADAV
राजू यादव

क्या कांग्रेस अब हाथ से हाथ जोड़ेगी। जिस प्रकार से उधार या फिर आयातित कार्यकर्त्ता के सहारे कांग्रेस कि नईया पार होगी। वर्तमान समय में सत्तादल जो कर रहा है उसी राह पर विपक्ष चल रहा है। सत्ता दल से भिन्न कोई भी रणनीति अपनाने में विपक्ष कामयाब नहीं हो पा रहा है, और कहीं ना कहीं सत्तादल जो चाहता है वही विपक्ष करता है। आज लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका शून्य सी हो गई है। वह अलग बात है कि आज राहुल जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं लेकिन उनके कार्यकर्ता अभी भी हवा हवाई हो रहे हैं। विशेषकर उत्तर प्रदेश की स्थिति नाजुक है। देश का सबसे बड़ा राज्य होने के बावजूद यहां के कांग्रेसी कार्यकर्ता उतने सजग नहीं है जितने कि राहुल गाँधी। सोने पर सुहागा यह है कि आज उत्तर प्रदेश कांग्रेस लगभग बसपामय हो गई है। क्या कांग्रेस उधार सहारे अपना उद्धार करना चाहती है। वह भी ऐसे नाविक के सारे जो किसी नैया को डुबो कर आए हैं। आख़िर इनसे आप कैसे और क्या उम्मीद कर सकते हैं।चलिए इसकी चर्चा हम 2024 में करेंगे।अभी हम वर्तमान का परिदृश्य को देखते हैं।

26 जनवरी को कांग्रेस का “हाथ से हाथ जोड़ो” अभियान की शुरुआत हो गई है। उत्तर प्रदेश में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने आधिकारिक रूप से “हाथ से हाथ जोड़ो“ अभियान की शुरुआत की। “हाथ से हाथ जोड़ो” अभियान राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही “भारत जोड़ो यात्रा” का विस्तार है। इस अभियान का उद्देश्य राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के संदेशों को गांव- गांव, शहर -शहर, हर घर तक पहुंचाना है और यह अभियान अगले 2 महीने तक देश के हर प्रदेश में चलेगा

धर्म के नाम पर लोगों में वैमनस्य पैदा कर देश की अर्थव्यवस्था चौपट की जा रही है। एक तरफ जनता से अधिक टैक्स वसूला जा रहा है और जनता पर महंगाई थोपी जा रही है ।दूसरी तरफ उद्योगपतियों का कर्ज माफ किया जा रहा है और गरीब, मजदूर, किसान, मध्यम वर्ग को किसी भी प्रकार की सहूलियत नहीं दी जा रही है। चंद लोगों के पास देश का पैसा इकट्ठा होता जा रहा है और बहुतायत जनता बेरोजगार और गरीब होती जा रही है, साथ साथ महंगाई की मार भी झेल रही है। आमदनी कम हो रही है और सब्सिडी खत्म की जा रही है। चीनी अतिक्रमण एवं जनता के मुद्दे अगर विपक्ष संसद में उठाना चाहता है तो विपक्ष का उपहास उड़ा कर चर्चा से सरकार बचती रही है। एक प्रकार से लोकतंत्र की हत्या हो रही है। सरकार तानाशाह हो गई है। इन्हीं सब मुद्दों को “हाथ से हाथ जोड़ो” के माध्यम से अगले 2 महीने में जन जन तक पहुंचाना इस अभियान का उद्देश्य है।

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“हाथ से हाथ जोड़ो” अभियान उत्तर प्रदेश के हर ब्लॉक में चलेगा। अभियान में एक गांव से दूसरे गांव पदयात्रा कर गांव के हर घर तक पहुंचने का लक्ष्य है। हर गांव में झंडा फहराया जाएगा, हर घर पर अभियान से जुड़े स्टीकर लगाए जाएंगे ।अभियान  का समापन एक महारैली के माध्यम से होगा। उससे पूर्व हर जिले में एक सम्मेलन होगा। श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा जी हर राज्य की राजधानी में महिला मार्च निकालेगी एवं समापन रैली में महिला घोषणा पत्र का विमोचन होगा। इस पूरे अभियान को संपादित करने के लिए हर ब्लॉक में कोऑर्डिनेटर बनाए गए हैं। जिला सम्मेलन और महारैली में कांग्रेसी नेताओं कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित होगी।

राहुल गांधी देश भर में गांव-गांव, पांव-पांव कांग्रेस की विचारधारा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। भारत जोड़ो यात्रा या तो कांग्रेस को जोड़ेगी या फिर इस कदर तोड़ कर रख देगी कि भविष्य में जनता से जुडऩे लायक नहीं बचेगी। राहुल गांधी इसे समझ रहे हैं, इसलिए अध्यक्ष पद की दौड़ से अलग हो गए हैं। जनता के बीच घूमना, कांग्रेस की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाना और देश में एक बेहतर धर्मनिरपेक्ष माहौल तैयार करना है। यानी राहुल गांधी राजनीति नहीं करना चाहते। राहुल गांधी चाह रहे हैं कि कांग्रेस का नया अध्यक्ष अपनी अध्यक्षता में राजनीति करे, जम कर करे।यह भी तय है कि भले ही गांधी-नेहरू परिवार को कोई सदस्य अध्यक्ष नहीं बनेगा लेकिन भाजपा परिवारवाद का आरोप लगाना छोड़ेगी नहीं। यहां कांग्रेस को अभी से नया विमर्श पेश करने की जरूरत है।

भारत जोड़ो यात्रा को मिल रहे समर्थन और मीडिया कवरेज से साफ संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस के वापसी की गुंजाइस दिख रही है। ममता बनर्जी प्रधानमंत्री मोदी के प्रति नर्म हो रही हैं तो मायावती भाजपा को आंखें दिखा रही हैं। यानी उत्तर प्रदेश में अखिलेश, मायावती और कांग्रेस के बीच 2024 में गठबंधन की छटांक भर गुंजाइश नज़र आने लगी है। नीतीश कुमार विपक्ष के बीच समन्वय करने की दिशा में बढ़ रहे हैं, जिनको कांग्रेस आला कमान हरी झंडी दिखा रहा है। शरद पवार और उद्धव ठाकरे के साथ महाराष्ट्र में कांग्रेस का गठबंधन टूटा नहीं है। तो क्या यह मान लिया जाए कि कांग्रेस के अच्छे दिन आने वाले हैं….?

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