भूपेंद्र का नाम भाजपा में खांटी संगठन गढऩे वाले नेताओं में शुमार है। यही वजह है कि पार्टी ने राजस्थान में वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिहाज से भूपेंद्र पर बड़ा दांव लगाया है। भूपेंद्र वैसे तो मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं, लेकिन पले-बढ़े है राजस्थान में। वहां अजमेर में उन्होंने शिक्षा ग्रहण की है। विद्यार्थी परिषद से लेकर राजस्थान भाजपा की राजनीति में भूपेंद्र का नाम गहरी पकड़ वाले नेताओं में शुमार है। बिहार में वे भाजपा को सशक्त करने में लगे रहे।
मोदी सरकार में शामिल होने वाले कई नए चेहरों में एक भूपेंद्र यादव भी हैं। 30 जून, 1969 को जन्मे भूपेंद्र यादव ने अजमेर के सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की। सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर चुके भूपेंद्र यादव अजमेर के ही कुंदन नगर के रहने वाले हैं। भूपेंद्र यादव ने बीजेपी में रहते हुए कई अहम पद संभाले। वो साल 2000 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महासचिव बने। इसके अलावा साल 2010 में वो भाजपा के राष्ट्रीय सचिव भी नियुक्त हुए थे। भूपेन्द्र यादव गवर्नमेंट कॉलेज अजमेर के छात्रसंघ अध्यक्ष और 1992 में गुरुग्राम में भाजयुमो के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
साल 2012 में भूपेंद्र यादव को पहली बार राजस्थान से राज्यसभा सांसद बनाया गया था। साल 2018 में भूपेंद्र यादव को राज्यसभा सांसद बनने का दूसरी बार मौका मिला। भूपेंद्र यादव का कद पार्टी में काफी ऊंचा है। काफी समय से यह चर्चा थी कि उन्हें जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई टीम का हिस्सा बनाया जा सकता है। भाजपा में भूपेंद्र यादव की एक खास पहचान मानी जाती है। जी हां, भूपेंद्र यादव अमित शाह के ‘मिस्टर भरोसेमंद’ रहे हैं। पार्टी में अमित शाह के साथ काम कर चुके भूपेंद्र यादव बीजेपी की संगठनात्मक रणनीतियां तय करने में माहिर माने जाते हैं। चाहे 2013 में राजस्थान का विधानसभा चुनाव हो या फिर 2014 में झारखंड और 2017 में हुए गुजरात तथा उत्तर प्रदेश के चुनाव। इन राज्यों में बीजेपी के लिए उन्होंने परदे के पीछे रहकर चाणक्य की भूमिका निभाई थी जिससे बीजेपी को फायद पहुंचा था।
राज्यसभा में कई अहम बिलों को पास कराने में जब विरोधी दल राह के रोड़े बने तब अमित शाह ने विपक्षी सांसदों का समर्थन हासिल करने के लिए एक टीम बनाई थी। इस टीम में भी भूपेंद्र यादव को अहम भूमिका दी गई थी। बिहार में एनडीए गठबंधन को मजबूती देने में भूपेंद्र यादव ने अहम योगदान निभाया था। नीतीश कुमार और भाजपा के तमाम बड़े नेताओं के बीच एक पुल की तरह काम कर रहे थे। जब भी गठबंधन में कोई रस्साकशी की स्थिति आई तो उस वक्त में यादव ने एनडीए को मजबूती देने का काम किया। कभी बीजेपी के लिए चुनावी बिसात बिछाने वाले भूपेंद्र यादव अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम का हिस्सा बने हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने भुपेंद्र यादव को बिहार में संगठन मजबूत करने की बड़ी जिम्मेदारी दी थी। इसका उन्होंने बखूबी निर्वहन भी किया। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली सीटों को लेकर उनकी धाक जमी। संगठन को मजबूत करने के लिए उन्होंने कई बदलाव भी किए। भुपेंद्र यादव को अमित शाह का नजदीकी माना जाता है। राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के साथ भी उन्होंने बेहतर कार्य किया। उनके संयोजन में भी सुराज संकल्प यात्रा निकाली गई थी। वे उत्तर प्रदेश में भी चुनावी प्रबंधन का कार्य संभाल चुके हैं।