जनमत का दुरुपयोग कर रही भाजपा

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भाजपा सरकार में संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता को कमजोर किया जा रहा हैं। भाजपा ने सत्ता के बलबूते सरकारी मशीनरी को अपना चुनावी एजेण्ट बना लिया है। जनमत का दुरुपयोग कर भाजपा ने लोकतंत्र की पारदर्शिता को संदिग्ध कर दिया है। सन् 2022 का चुनाव देश बचाने का है। संवैधानिक अधिकारों पर हो रहे हमलों से गहरी निराशा फैल रही है। इन हालात में जनता का भरोसा समाजवादी पार्टी पर ही बढ़ रहा है।


सरकार लोक-लाज और भरोसे से चलती है। निर्वाचित सरकारों को जवाबदेह होना चाहिए। लेकिन भाजपा सरकार इस जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करती है। सरकार की जिम्मेदारी के प्रति उसकी उदासीनता जग जाहिर है। अच्छे दिन के नाम पर जनता को गुमराह करना ही भाजपा की नीति है।


सरकारी एजेंसियों का दुरूपयोग कर विपक्षी दलों के नेताओं को अपमानित करने का षड़यंत्र सरकार के इशारे पर लगातार किया जा रहा है। हाल ही में सम्पन्न हुए पंचायत चुनावों में पुलिस-प्रशासन द्वारा जिस प्रकार का उत्पीड़न हुआ है वह लोकतंत्र के लिए खतरा है। चुनावी प्रक्रिया में निर्वाचन आयोग की भूमिका सरकार की पिछलग्गू तक सीमित होती जा रही है। यह अनुचित है।


राजनीति की पवित्रता को भाजपा ने प्रभावित किया है। समाजवादी आंदोलन ने हमेशा अन्याय के खिलाफ डट कर मोर्चा लिया है। समाज के आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति को प्रतिनिधित्व और अधिकार दिलाने में समाजवादी सबसे आगे हैं। देश और प्रदेश में अधिनायक शाही ताकतों को कमजोर करने के लिए समाजवादी नीतियां ही कारगर हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी को सशक्त कर ही प्रदेश में खुशहाली और तरक्की लायी जा सकती है। भाजपा लोकतंत्र को हराने की साजिश में लगी है। जनता ने तय कर लिया है कि इस बार वह भाजपा को हरा कर ही दम लेगी। भाजपा की सरकार ने जनता को धोखा दिया है। भाजपा चालाकी की रणनीति से राजनीति के विरूद्ध साजिश कर रही है। 2022 में समाजवादी सरकार बनने पर राज्य का विकास और जनाकांक्षाओं को पूरा किया जाएगा। समाजवादी सरकार में जनता को निराश नहीं होना पड़ेगा। 2022 का चुनाव जनता बनाम भाजपा के बीच होगा। इस चुनाव में भाजपा की हार और समाजवादी पार्टी की भारी जीत सुनिश्चित है।
(राजेन्द्र चौधरी)