भाजपा की रणनीति पिछड़ा होगा आगे

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नगर निकाय-भाजपा का प्रवास कार्यक्रम
नगर निकाय-भाजपा का प्रवास कार्यक्रम

निकाय चुनाव भाजपा की रणनीति में पिछड़ा वर्ग फिर रहेगा आगे।

अमर बहादुर

नगरीय निकाय चुनाव का बिगुल बज गया है। यह चुनाव आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में सेमी फाइनल की तौर पर भी देखा जा रहा है। निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अपने खास रणनीति के तहत मैदान में उतर रही है। भाजपा 2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक सभी चुनावों, सरकार और संगठन (पार्टी) में पिछड़ों को विशेष महत्व देती रही है, इस बार भी पिछड़े वर्ग के नेताओं को आगे रखकर निकाय चुनाव फतह करने की भाजपा ने तैयारी की है। भाजपा की रणनीति पिछड़ा होगा आगे

इससे पहले भी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पिछड़े वर्ग ने भाजपा को अपना समर्थन देकर डबल इंजन की सरकार चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, धर्मपाल सिंह, चौधरी लक्ष्मीनारायण सहित पिछड़े वर्ग के कई मंत्री, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, महामंत्री अमरपाल मौर्य, सुरेंद्र नागर, सत्यपाल सैनी सहित पिछड़े वर्ग के भी दिग्गज नेता हैं। इस निकाय चुनाव में भी इन नेताओं की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। भाजपा ने राजनीतिक सामाजिक समीकरण को देखते हुये सामाजिक न्याय सप्ताह के तहत उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक के कार्यक्रमों के आयोजन में तेजी लायी है। 

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भाजपा ने तय रणनीति के तहत निकाय चुनाव से पहले दलितों के बीच अपना पूरा दम लगाया है। 2017 के निकाय चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि शहरों की सरकार के चुनाव में बसपा ने भाजपा को कड़ी चुनौती दी थी। बसपा की वर्तमान स्थिति के मद्देनजर पार्टी ने बसपा के वोट बैंक को अपनी ओर आकर्षित करने में पूरा दमखम लगाया है ताकि इसका फायदा निकाय चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक उठाया जा सके। 6-14 अप्रैल तक दलित सामाजिक न्याय सप्ताह के तहत दलितों को साधने के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। भाजपा एससी मोर्चा की ओर से 14 अप्रैल से 5 मई तक दलित बस्तियों में अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत दलितों के बीच बताएंगे कि सपा ने पदोन्नति में आरक्षण का बिल फाड़ दिया था। कांग्रेस ने बाबा साहब को कभी उचित सम्मान नहीं दिया। 

इस निकाय चुनाव में भाजपा को विपक्ष की ओर से उठाये जाने वाले मुद्दों का भी सामना करना होगा। जिनमें नौकरियों में आबीसी और एसी वर्ग को मानक के अनुसार आरक्षण न देने का आरोप हो या फिर नौकरियों के लिए आयोजित परिक्षाओं में पेपर लीक का मामला हो, मंहगाई और बेरोजगारी का मुद्दा भाजपा के लिए चुनौती साबित होगा। बहुचर्चित 69000 शिक्षक भर्ती का में आरक्षण लागू करने में हुई विसंगति के कारण इससे प्रभावित छात्र भारतीय जनता पार्टी के सभाओं में इस विषय पर सवाल कर सकते है। ज्ञापन दे सकते है।  समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य बीते दो महीने से कभी रामचरित मानस तो कभी पुराने नारों की आड़ में पिछड़े व दलित मतदाताओं को भाजपा के खिलाफ करने में जुटे हैं। निकाय चुनाव से पहले ओबीसी आरक्षण को लेकर उठे विवाद में सपा सहित अन्य विपक्षी दलों ने भाजपा को कटघरे में खड़ा किया। विपक्ष के सवालों के जवाब के लिए भारतीय जनता पार्टी पिछड़े वर्ग में पैठ बनाने के लिए पिछड़ों को सामान्य वर्ग की सीटों पर भी टिकट देकर निर्धारित 27 फीसदी से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ाने की रणनीति बना सकती है, चूकीं पार्टी किसी भी कीमत पर पिछड़े वोट बैंक में सेंधमारी नहीं चाहती है। भाजपा को निकाय चुनाव में पिछड़े वोट बैंक के बीच पकड़ की कसौटी पर भी खरा उतरना होगा।

इस निकाय चुनाव में बसपा दलित मुस्लिम समीकरण साधने की कोशिश कर रही हैं। बसपा कुछ पुराने मुस्लिम दिग्गजों पर भी दांव लगा सकती है। इसके लिए पुराने रणनीतिकारों का भी सहारा ले सकती है। बसपा मुस्लिमों को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि सपा के साथ जाने से उनका कोई फायदा नहीं है। भाजपा की राह केवल बसपा रोक सकती है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी पिछड़े वर्ग के नेताओं को आगे रखने के साथ मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अल्पसंख्यक मोर्चा के कार्यकर्ताओं को प्रत्याशी बनाकर चुनाव लड़ा सकती है। भाजपा मुस्लिम बहुल सीटों को नजरअंदाज नहीं करेगी। भाजपा की रणनीति पिछड़ा होगा आगे