छत्तीसगढ़ को भाई कालानमक की खुश्बू

151
कालानमक का तीन साल में बढ़ा तीन गुना निर्यात
कालानमक का तीन साल में बढ़ा तीन गुना निर्यात

छत्तीसगढ़ को भाई कालानमक की खुश्बू, स्वाद एवं खूबियां।

छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहते हैं। फिलहाल छत्तीसगढ़ भगवान बुद्ध का प्रसाद माने जाने वाले एवं सिद्धार्थनगर के एक जिला एक उत्पाद जीआई जियोग्राफिकल इंडीकेशन प्राप्त कालानमक धान का मुरीद हो गया है। कालानमक धान पर दो दशक से काम कर रहे वैज्ञानिक डॉक्टर आर सी चौधरी के अनुसार मेरे पास से जितनी बीज की मांग जीआई वाले पूर्वांचल के 11 जिलों से निकली है लगभग उतनी ही मांग छत्तीसगढ़ से भी निकली है। दिन में वहां से इस बाबत तमाम लोगों के फोन आते हैं।


बीज की बढ़ी मांग की तस्दीक गोरखपुर के बड़े बीज बिक्रेता उत्तम बीज भंडार के श्रद्धा नंद तिवारी भी करते हैं। उनके मुताबिक पिछले साल के मुकाबले कालानमक के बीज की मांग करीब तीन गुना है। आपूर्तिकर्ता कंपनियों की संख्या भी खासी बढ़ी है। प्रतियोगिता के नाते दाम भी वाजिब है। दोनों लोंगों का कहना है कि आज कालानमक का जो भी क्रेज है उसकी एकमात्र वजह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निजी प्रयास है।


छत्तीसगढ़ ही नहीं, बिहार, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश से भी ठीकठाक मांग निकली है। उत्तर प्रदेश की बात करें तो जीआई वाले जिलों के अलावा बलिया, आजमगढ़, जौनपुर, सुल्तानपुर, प्रयागराज, उन्नाव, प्रतापगढ़ आदि वे जिले हैं जहां से बीज की अच्छी मांग निकली है। थोड़ी-बहुत डिमांड तो कई प्रदेशों एवं जिलों से है। उम्मीद है कि इस साल सिर्फ जीआई वाले जिलों में खेती का रकबा 85 हजार एकड़ तक पहुँच जाएगा। सभी जगह की मांगों को शामिल कर लें तो यह रकबा अपेक्षा से बहुत अधिक होगा।

साल दर साल इस तरह बढ़ा कालानमक का क्रेज

सरकार ठान ले तो कुछ भी संभव है। और अगर सरकार का मुखिया योगी आदित्यनाथ जैसा हो तब तो और भी। सिद्धार्थनगर जिले के ओडीओपी (एक जिला,एक उत्पाद) एवं भगवान बुद्ध का प्रसाद माने जाने वाले कालानमक धान से संबंधित आंकड़े इसके सबूत हैं। मात्र सात साल में इसके रकबे में करीब 320 गुना वृद्धि हुई। 2016 में इसका रकबा सिर्फ 2200 हेक्टेयर था, जो 2022 में बढ़कर 70 हजार हेक्टेयर से अधिक हो गया। 2023 में इसके 85 हजार एकड़ से अधिक होने की उम्मीद है। यह करीब 386 गुना की बृद्धि है। जो खुद में अभूतपूर्व है

मुख्यमंत्री की निजी रुचि की वजह से हुआ यह चमत्कार


कालानमक की इस लोकप्रियता के पीछे योगी सरकार की बड़ी भूमिका है। सिद्धार्थनगर का ओडीओपी घोषित करने के बाद से सरकार ने इसे लोकप्रिय बनाने के लिए कई प्रयास किए। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प लघु,सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग के पूर्व अपर मुख्य सचिव डॉ नवनीत सहगल खुद कई बार सिद्धार्थनगर गए। किसानों एवं प्रशासन के साथ बैठक की। सरकार की ओर से कपिलवस्तु में कालनमक महोत्सव का लोकार्पण खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। कुशीनगर में आयोजित अंतराष्ट्रीय बौद्ध महोत्सव में आये बौद्ध देश के अतिथियों को गिफ्ट हैंपर के रूप में कालानमक दिया गया। खास अवसर पर खास अतिथियों को दिए जाने गिफ्ट हैंपर में कालानमक अनिवार्यतः होता ही है। पिछले साल मुख्यमंत्री ने सिद्धार्थनगर में कालानमक का कॉमन फैसिलिटी सेंटर का लोकार्पण भी किया था। इससे कालानमक के ग्रेडिंग, पैकिंग से लेकर हर चीज की अत्याधुनिक सुविधा एक ही छत के नीचे मिल जाएगी। योगी सरकार के इन सारे प्रयासों का नतीजा सबके सामने है।यही नहीं पिछले ही साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कालानमक को लोकप्रिय बनाने के लिए वहां के तत्कालीन जिलाधिकारी दीपक मीणा को सम्मानित भी किया था।

और बेहतर प्रजातियों के विकास के लिए इरी कर रहा शोध

किसानों में इसका क्रेज देखते हुए इसके अनुसंधान पर भी जोर है। वाराणसी स्थित इरी (इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट) इसपर शोध कर रहा। वह कई प्रजातियों पर ट्रायल कर रहा है। ट्रायल में जो प्रजाति बेहतर निकलेगी उसे किसानों में लोकप्रिय किया जाएगा। उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों के बीच काम करने वाली संस्था सस्टेनेबल ह्यूमन डेवलेपमेंट को इरी ने पिछले साल कालानमक की 15 प्रजातियों को एक जगह छोटे-छोटे रकबे में डिमांस्ट्रेशन के लिए उपलब्ध कराया है। कटाई पर इसमें से जो भी सर्वश्रेष्ठ होगा उसे किसानों में लोकप्रिय बनाया जाएगा। एनबीआरआई भी कालानमक पर एक शोध प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। छत्तीसगढ़ को भाई कालानमक की खुश्बू