राजस्थान सरकार की दादागिरी

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आरएएस प्री की परीक्षा के कारण राजस्थान में 27 अक्टूबर को भी बंद रहा इंटरनेट। यह तो राज्य सरकार की दादागिरी है।फ्री होल्ड पट्टे के लिए अखबार में सूचना प्रकाशन से छूट मिल सकती है।

एस0 पी0 मित्तल

राज्य प्रशासनिक सेवा की प्रारंभिक परीक्षा के कारण 27 अक्टूबर को भी राजस्थान भर में आधे दिन के लिए इंटरनेट सेवाओं को बंद रखा गया, इसमें आम लोगों का जनजीवन प्रभावित रहा। इससे पहले भी शिक्षक पात्रता परीक्षा, सब इंस्पेक्टर, पटवारी आदि पद की परीक्षा वाले दिन भी नेटबंदी की गई। सरकार का तर्क है कि परीक्षा में नकल को रोकने और कथित तौर पर प्रश्न पत्र के वायरल होने को रोकने के लिए नेटबंदी की जाती है। कोई भी परीक्षा निष्पक्ष करवाने की जिम्मेदारी सरकार की होती है। सरकार यदि आम लोगों को परेशान कर परीक्षा करवाती है तो यह सरकार की विफलता है। परीक्षाएं तो आए दिन होती हैं, तो क्या सरकार रोजाना ही इंटरनेट बंद करेगी? जब इंटरनेट सेवाओं को बहुउद्देशीय बना दिया गया है, तो बार बार नेटबंदी क्यों की जाती है? नेटबंदी से समाज का हर वर्ग प्रभावित होता है। खुद सरकार का कामकाज भी प्रभावित होता है। सबसे ज्यादा परेशानी बैंकिंग कारोबार से जुड़े लोगों को होती है। ऐसा नहीं कि सरकार लोगों की परेशानी से वाकिफ नहीं है, लेकिन सरकार में बैठे जिम्मेदार अधिकारी अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए परीक्षा वाले दिन नेटबंदी कर देते हैं।

27 अक्टूबर को भी राजस्थान के उन छात्रों को भारी परेशानी हुई जिन्हें इंजीनियरिंग की ऑनलाइन परीक्षा देनी थी। जो युवा अपनी कंपनियों का काम वर्क टू होम पद्धति से कर रहे हैं, उन्हें भी परेशानी का सामना करना पड़ा। गंभीर बात तो यह है कि नेटबंदी के बाद भी परीक्षा में नकल नहीं रुक पा रही है। पिछले दिनों जितनी भी परीक्षा हुई, उन सब में गड़बड़ी सामने आई है। रीट का प्रश्न पत्र तो परीक्षा से एक दिन पहले ही परीक्षार्थियों के पास पहुंच गया। सरकार माने या नहीं लेकिन रीट परीक्षा में ही सफल होगा, जिसे प्रश्न पत्र पहले मिल गया था। रीट का प्रश्न पत्र लाखों रुपए में बिका है। परीक्षा से पहले रीट का प्रश्न पत्र आउट हो गया, इसकी पुष्टि एसओजी ने भी कीहै। लेकिन फिर भी सरकार परीक्षा परिणाम निकालने पर तुली है। सरकार को परीक्षा में नकल रोकने के दूसरे उपाय करने चाहिए। नेटबंदी से आम लोगों को भारी परेशानी होती है। बार बार नेटबंदी करने से सरकार की छवि भी खराब हो रही है।


मिल सकती है छूट-

इन दिनों प्रशासन शहरों और गांवों के संग चल रहे अभियान में फ्री होल्ड पट्टे भी जारी किए जा रहे हैं। लेकिन इसके लिए संबंधित भूखंडधारी को अखबार में आम सूचना प्रकाशित करवानी होती है। छोटी सी आम सूचना के अखबार वाले 10 हजार रुपए तक वसूल रहे हैं। यह आम सूचना उन भूखंडधारियों से भी प्रकाशित करवाई जा रही है, जिनके भूखंड का नामांतरण संबंधित निकायों में हो चुका है। सरकार के इस नियम से फ्री होल्ड पट्टों को लेकर लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 26 अक्टूबर को नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीणा जब अजमेर में हरिभाऊ उपाध्याय नगर के सामुदायिक भवन में आयोजित शिविर का जायजा लेने आए तो कांग्रेस के पार्षद बनवारी लाल शर्मा ने लोगों की इस समस्या को मीणा के समक्ष रखा। पार्षद शर्मा ने बताया कि कोटड़ा क्षेत्र में अधिकांश भूखंड अजमेर विकास प्राधिकरण की विभिन्न योजना के हैं। भूखंडधारी अब चाहते हैं कि 99 साल की लीज के बजाए भूखंड को फ्री होल्ड कर दिया जाए। इसके लिए सरकार ने भी प्रशासन शहरों के संग अभियान में फ्री होल्ड पट्टे जारी करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन भूखंड के लिए अखबार में आम सूचना के प्रकाशन की बाध्यता की वजह से लोगों को परेशानी हो रही है। इस पर मीणा ने कहा कि अगले दो-तीन दिन में ही इस बाध्यता को हटा दिया जाएगा। इसके साथ ही जिन भूखंडधारियों ने स्थानीय निकायों में भूखंड का नामांतरण करवा लिया है, वे शिविरों में आकर फ्री होल्ड पट्टा प्राप्त कर सकते हैं। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9829219577 पर पार्षद बनवारी लाल शर्मा से ली जा सकती है।