किसानों के नाम पर जारी आंदोलन खत्म करवाने की मांग

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लखनऊ – राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन ने केंद्र सरकार से किसानों के नाम पर जारी कथित आंदोलन को बल पूर्वक खत्म करवाने की मांग करते हुए कल के आंदोलन के नाम पर राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर कब्ज़ा कर बैठे अराजक तत्वों को पुलिस करवाई कर वहां से खदेड़ दिया जाये साथ ही इनके नेत्तृत्व कर्ताओ पर मुक़दमा दर्ज कर जेल भेजा जाये राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन का साफ कहना है कि किसानो के नाम पर चल रहा यह कथित आंदोलन शिवाय घटिया राजनीती और अराजकता के अलावा कुछ और नहीं है अन्नदाता किसान के नाम पर स्वार्थी नेता, बिचौलिये और दोयम दर्जे के लोग जो सिर्फ किसान का नाम लेकर अपना पेट भरते आये है सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी किसान हितैषी नीतियों को रोकने के लिए गैंग बना कर अराजकता फैला रहे है.

राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन के अध्यक्ष रामनिवास यादव ने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार पिछले ७ वर्षो से किसानों के हित में कई फ़ैसले किये जिससे इन कथित किसान नेताओं एवं देशबिरोधी गैंगों को अच्छा नही लगा है. इससे पहले की सरकारो से किसान नेता होने का दम भरने वाले टिकैत बंधु सहित अन्य ने अब तक किसानो का क्या भला करवाया यह बताये किसान का नाम जपना और काम बिचौलियो को मलाई खिलाने का काम करना इन घटिया नेताओ का यही काम रहा है. रामनिवास यादव ने प्रश्न किया है कि इन कथित किसान नेताओ के बाल सफ़ेद हो गये है किसानो की राजनीति करके अपनी तिजोरी भरी ये अराजक किसान नेता अपना एक काम तो बताये जो किसान हित में किये हों बस प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता से लगभग मृत हो चुकी विपक्षी नेताओ के धन बल और बिचौलियो के राशन पर फ़र्ज़ी किसान आंदोलन हौवा खड़ा किया जा रहा है. जहा आरजकता हिंसा राष्ट्रध्वज का अपमान बलात्कार जैसे काम किये जा रहे है वो भला लोकतांत्रिक अंदोलन कैसे हो सकता है.

हम फिर दोहरते है ये अराजक तत्वों का गैंग है और इसे मात्र पुलिस करवायी से ही ठीक किया जा सकता है राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन केंद्र सरकार के संयम की सराहना करती है. परन्तु अब और संयम नहीं दिखाना चाहिए भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत के उस बयाान की जिसमें टिकैत ने कहा की केंद्र सरकार आंदोलन को खत्म कराना नहीं चाहती साथ ही तीनो कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो उत्तर प्रदेश के २०२२ के विधानसभा चुनाव में भाजपा का विरोध किया जायेगा. राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन के अध्यक्ष रामनिवास यादव ने कहा कि नरेश टिकैत के इस वयान को बचकाना पन ही कहा जा सकता है. केंद्र सरकार ने ११ बार वार्ता की पहल की जैसे ही बातचीत किसी नतीजे की तरफ बढ़ती टिकैत बंधू कोई न कोई रोड़ा लगा कर अपनी राजनीतिक फ़ायदा के लिये माहौल ख़राब करते रहे. जिन अन्य किसान संगठनों की मानसिकता साफ़ थी उन्हें धीरे धीरे आंदोलन के नेतृत्व् से अलग कर राकेश टिकैत ने कब्ज़ा कर लिया रामनिवास ने कहा कि हद तो तब हो गयी है.

हरियाणा में किसानो के नाम पर जो आराजकता फैलाई जा रही उसमे भी राजनैतिक निहितार्थ है. वहाँ पर ओम् प्रकाश चौटाला की पार्टी इनेलो और कोंग्रस से जुड़े लोग टिकैती किसान आंदोलन को चला रहे है. जिससे घबराकर दुस्यंत चौटाला दवाव में आकर खट्टर सरकार से समर्थन वापस ले ले जिससे वहाँ की सरकार गिर जाये फिर इनकी एवं बिपछी दलों की राजनीतिक दुकान चल जाय
जिसमें टिकैत बंधू अपना हित तलाश रहे है. रामनिवास यादव ने कहा कि नरेश टिकैत जिन चीनी मिलो का २३ हजार करोड़ का बकाया बता रहे वो पिछली सपा बसपा सरकारों की देन है लेकिन इन सरकारों के समय टिकैत बंधु आँखों पर पट्टी बांध कर दुबक गए थे. तब काला दिवस नहीं मना रहे थे जब पश्चिम बंगाल में किसानों को न सम्मान निधि मिल रही थी.

रामनिवास यादव ने कहा कि टिकेत बंधु अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए भाकियू हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी को इस कथित किसान आंदोलन से बगल करना चाहते हैं. जिसका कारण गुरनाम सिंह चढूनी को पता चल गया है कि टिकैत बंधू अपने निजी एजेंडे पर काम कर रहे है. रामनिवास ने कहा की स्वयं चढूनी ने स्वीकार किया कि गाजीपुर बॉर्डर पर ५०० लोग ही बैठे है तो आप अंदाजा लगा लीजिये की उनके पास कितना जनाधार है. इसलिए सरकार तत्काल इनको गिरफ़्तार कर धरना स्थल से बाक़ी बिचौलियों को हटाया जाय.