आख़िरकार SBI और चुनाव आयोग के तहख़ाने से रिपोर्ट बाहर

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आख़िरकार SBI और चुनाव आयोग के तहख़ाने से रिपोर्ट बाहर
आख़िरकार SBI और चुनाव आयोग के तहख़ाने से रिपोर्ट बाहर

इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 15 मार्च 2024 {शुक्रवार} को केंद्रीय चुनाव आयोग से इलेक्टोरल बॉन्ड के यूनिक (अल्फान्यूमेरिक) नंबर की जानकारी देने को कहा है.अदालत ने इसके लिए 17 मार्च यानी रविवार तक का वक़्त दिया है. जबकि यूनिक नंबर ना बताने को गंभीरता से लेते हुए एसबीआई को नोटिस जारी किया है.एसबीआई की ओर से पेश हुए वकील संजय कपूर से अदालत ने कहा कि एसबीआई को सोमवार तक इस नोटिस का जवाब देना है.मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि एसबीआई ने बॉन्ड नंबर जारी नहीं किए हैं, जबकि एसबीआई को इससे जुड़ी सभी सूचनाएं देनी थीं.इससे पहले दूसरे पक्ष के वकील कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण ने अदालत से कहा कि एसबीआई की ओर से दिए गए डेटा, जिसे 14 मार्च को प्रकाशित किया गया, उसमें इलेक्टोरल बॉन्ड के अल्फान्यूमेरिक नंबर नहीं हैं. आख़िरकार SBI और चुनाव आयोग के तहख़ाने से रिपोर्ट बाहर

आख़िरकार SBI और चुनाव आयोग के तहख़ाने से वो रिपोर्ट बाहरआ ही गई जिसे छिपाने की बार-बार कोशिश हुई. फ़िलहाल सारी जानकारी बाहर नहीं आई है मगर सुप्रीम कोर्ट ने SBI को कहा है कि बॉन्ड के नम्बर भी जारी करे ताकि मिलान हो सके. पत्रकारों ने दानदाताओं की सूची की छानबीन कर यह खोज निकाला है कि जिन कंपनियों ने अधिकतम चंदा दिया उनमें से आधी पर जाँच एजेंसियों द्वारा छापेमारी की गई थी. ऐसी कंपनियाँ भी मिली हैं जिनका मुनाफ़ा था 10 करोड़ लेकिन चंदा दिया 185 करोड़ का. चुनावी चंदे से भाजपा को सभी पार्टियों से कहीं अधिक चंदा मिला है. पारदर्शिता के नाम पर लाए गए क़ानून ने सालों आपसे बहुत कुछ छिपाया लेकिन कुछ पत्रकारों की मेहनत का नतीजा है कि सच सामने आ रहा है. क्या आपको नज़र नहीं आ रहा है? क्या आपका आपना दिमाग बिल्कुल बंद हो गया है?

शुरू से ही विवादों में घिरी केंद्र सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक क़रार दिया है.

इस स्कीम के तहत जनवरी 2018 और जनवरी 2024 के बीच 16,518 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे गए थे और इसमें से ज़्यादातर राशि राजनीतिक दलों को चुनावी फंडिंग के तौर पर दी गई थी.पिछले कुछ सालों में सामने आई रिपोर्ट्स में ये पता चला कि इस राशि का सबसे बड़ा हिस्सा केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को मिला था.इन बॉन्ड्स पर पारदर्शिता को लेकर कई सवाल उठ रहे थे और ये आरोप लग रहा था कि ये योजना मनी लॉन्डरिंग या काले धन को सफ़ेद करने के लिए इस्तेमाल हो रही थी.

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने चुनाव आयोग को बॉन्ड खरीदारों की जो लिस्ट सौंपी है, उससे कई अहम जानकारियां सामने आई हैं.सबसे ज्यादा बॉन्ड खरीदने वालों में कई ऐसी कंपनियां शामिल हैं, जिनके ख़िलाफ़ ईडी और इनकम टैक्स विभाग की कार्रवाई हो चुकी है.दिलचस्प ये है कि ये कार्रवाइयां बॉन्ड खरीदे जाने के समय के आसपास हुई हैं.फ्यूचर गेमिंग, वेदांता लिमिटेड और मेघा इंजीनियरिंग जैसी कंपनियां सबसे ज्यादा बॉन्ड खरीदने वालों में शामिल हैं.

कुछ कंपनियों की ओर से ये खरीदारी ईडी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की कार्रवाइयों के आसपास हुई है. आरपीजीएस की हल्दिया एनर्जी, डीएलएफ, फार्मा कंपनी हेटेरो ड्रग्स, वेलस्पन ग्रुप, डिवीस लेबोरेट्रीज और बायोकॉन की किरण मजूमदार शॉ ने काफी बॉन्ड खरीदे हैं.लेकिन ये सारी खरीदारी केंद्रीय एजेंसियों की जांच के साये में खरीदे गए हैं.मसलन, इलेक्टोरल बॉन्ड की चौथी सबसे बड़ी खरीदार हल्दिया एनर्जी पर सीबीआई ने 2020 में भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज किया था.आरपीएसजी ग्रुप की कंपनियां हल्दिया एनर्जी ने 2019 से लेकर 2024 के बीच 377 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे.मार्च 2020 में सीबीआई ने हल्दिया एनर्जी और अदानी, वेदांता, जिंदल स्टील, बीआईएलटी समेत 24 कंपनियों के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज किया.इन कंपनियों पर महानदी कोलफील्ड लिमिटेड को 100 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप है.

डीएलएफ, बायोकॉन समेत कई कंपनियों पर छापे

एक अख़बार लिखता है कि डीएलएफ शीर्ष बॉन्ड खरीदारों में शामिल है. उसने 130 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं.सीबीआई ने डीएलएफ ग्रुप की कंपनी न्यू गुड़गांव होम्स ग्रुप डेवलपर्स के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया था.ये केस 1 नवंबर को 2017 में सुप्रीम के निर्देश के बाद दर्ज किया गया था. 25 जनवरी 2019 को सीबीआई ने कंपनी के गुरुग्राम के दफ़्तर और कई ठिकानों पर छापेमारी की थी.सीबीआई की ये कार्रवाई कंपनी को जमीन आवंटन में कथित अनियमितता की जांच के सिलसिले में हुई थी.इन कार्रवाइयों के बाद डीएलएफ ने 9 अक्टूबर 2019 से इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने शुरू किए.कंपनी ने कुल 130 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे.एक बार फिर 25 नवंबर 2023 को ईडी ने कंपनी के गुरुग्राम में मौजूद दफ़्तरों पर छापेमारी की.ईडी की ये कार्रवाई रियल एस्टेट फर्म सुपरटेक और इसके प्रमोटरों के ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में की गई थी.फार्मा कंपनी हेटेरो ड्रग्स भी सबसे ज्यादा बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों में शामिल है.

कार्रवाइयां और गिरफ़्तारी

इस कंपनी ने अपनी सहयोगी कंपनी हेटेरो लैब्स और हेटेरो बायोलैब्स के जरिये 60 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. ये कंपनी 2021 से इनकम-टैक्स डिपार्टमेंट की निगरानी में थी. अक्टूबर 2021 में आयकर विभाग ने कंपनी के कई ठिकानों पर छापेमारी की और 140 करोड़ रुपये से ज्यादा का कैश बरामद किया. विभाग ने दावा किया कि उसने कंपनी के 550 करोड़ रुपये की आय का भी पता लगाया जिसका कोई हिसाब-किताब नहीं था. इसी तरह की कार्रवाई वेलस्पन, डिवीस डिविस लैबोरेट्रीज और किरण मजूमदार शॉ की कंपनी बायोकॉन के ख़िलाफ़ भी हुई थी.डिवीस डिविस लैबोरेट्रीज देश की सबसे बड़ी एपीआई मैन्युफैक्चरर्स में शामिल है.इस कंपनी 2023 में 55 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. कंपनी के ठिकानों पर 14 से 18 फरवरी तक इनकम टैक्स के छापे पड़े थे.बायोकॉन की शॉ ने 6 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं.जून 2022 में बायोकॉन की बायोलॉजिक्स एसोसिएट के वाइस प्रेसिडेंट एल प्रवीण कुमार को सीबीआई ने रिश्वतखोरी के एक मामले में गिरफ़्तार कर लिया था.इसी तरह वेलस्पन ग्रुप ने भी अपनी कई सहयोगी कंपनियों के साथ मिलकर 55 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे थे.कंपनी ने 2019 से 2024 के बीच कई किस्तों में बॉन्ड खरीदे. पहली खरीदारी अप्रैल 2019 में हुई थी.इससे पहले जुलाई 2017 में आयकर विभाग ने ग्रुप के कुछ ठिकानों पर छापेमारी की थी. आख़िरकार SBI और चुनाव आयोग के तहख़ाने से रिपोर्ट बाहर