राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री राज भवन में श्री गुरु तेग बहादुर जी के 401वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।मुख्यमंत्री ने श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी को अपने सिर पर रखकर आसन पर स्थापित किया।गुरु तेग बहादुर जी का आदर्श जीवन हम सभी को ईश्वरीय निष्ठा के साथ समता, करुणा, प्रेम, सहानुभूति, त्याग और बलिदान जैसे मानवीय गुणों के लिए प्रेरित करता है: राज्यपाल प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार सिख परम्परा के सभी तीर्थाें को जोड़ने के लिए प्रयासरत।गुरु तेग बहादुर एक आध्यात्मिक पुंज थे, एक गुरु के रूप में हम सबके लिए आराध्य है।विकास के साथ हमें सतत् रूप से आगे बढ़ना चाहिए।इतिहास को विस्मृत कर हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं, इतिहास के गौरवशाली क्षण हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करते हैं, सिख गुरुओं का इतिहास भारत की विजय गाथा को प्रमाणित करता है।गुरु गोविन्द सिंह महाराज के चार साहिबजादों ने देश व धर्म के लिए अपने को बलिदान कर दिया था, साहिबज़ादों को उनका सम्मान दिलाने के लिए प्रधानमंत्री जी ने वीर बाल दिवस की घोषणा की।उ0प्र0 पंजाबी अकादमी ने पंजाबी को लोक भाषा के रूप में प्रचलित करने के लिए रचनात्मक कार्य किये।राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री द्वारा उ0प्र0 पंजाबी अकादमी के मोबाइल पंजाबी ऐप का शुभारम्भ।राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री द्वारा पुस्तक ‘सिक्खी ज्ञानमाला प्रतियोगिता’ तथा ‘अनमोल कलमां’ का विमोचन।राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री ने सिख समाज के सदस्यों के साथ जमीन पर बैठकर लंगर में प्रसाद ग्रहण किया।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आज यहां राज भवन के गांधी सभागार में श्री गुरु तेग बहादुर जी के 401वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर राज्यपाल जी एवं मुख्यमंत्री जी द्वारा उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के मोबाइल पंजाबी ऐप का शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम में सिख इतिहास पर होने वाली प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता परीक्षा के लिए प्रकाशित पुस्तक ‘सिक्खी ज्ञानमाला प्रतियोगिता’ तथा पंजाबी अकादमी द्वारा प्रकाशित तथा सरदार नरेन्द्र सिंह मोंगा द्वारा लिखित पुस्तक ‘अनमोल कलमां’ का विमोचन भी राज्यपाल जी एवं मुख्यमंत्री जी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में राज्यपाल जी एवं मुख्यमंत्री जी को सरोपा एवं प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी ने श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी को अपने सिर पर रखकर आसन पर स्थापित किया। पंज प्यारों द्वारा श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी की अगुवाई की गयी।


राज्यपाल जी ने श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 401वीं जयन्ती के अवसर पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वीरता और साहस के प्रतीक सिख धर्म के 9वें गुरु उन निःस्वार्थ शहीदों में से एक थे, जिन्होंने सभी भारतीयों को शान्तिपूर्वक अपने धर्म का पालन करने में मदद की। गुरु तेग बहादुर जी का आदर्श जीवन हम सभी को ईश्वरीय निष्ठा के साथ समता, करुणा, प्रेम, सहानुभूति, त्याग और बलिदान जैसे मानवीय गुणों के लिए प्रेरित करता है। वे जानते थे कि धर्म का मार्ग सत्य का मार्ग है और सत्य की सदैव जीत होती है।राज्यपाल ने कहा कि सिख परम्परा के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव ने भी प्रेम, एकता व मानवता का सन्देश दिया। इसी सिख परम्परा को गुरु अंगद देव जी से लेकर गुरु गोविन्द सिंह जी तक सभी ने आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि हमारा देश पूरी निष्ठा के साथ अपने गुरुओं के आशीर्वाद तथा उनके आदर्शाें को अपनाकर लगातार आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार सिख परम्परा के सभी तीर्थाें को जोड़ने के लिए प्रयासरत है।


मुख्यमंत्री ने राज भवन मंे गुरु तेग बहादुर जी के 401वें प्रकाश पर्व के आयोजन के लिए राज्यपाल जी को बधाई देते हुए कहा कि विकास के साथ हमें सतत् रूप से आगे बढ़ना चाहिए। दुनिया की प्रगति से प्रेरित होकर हमें तैयारी करनी चाहिए। इसमें कोई गलत बात नहीं है। आज हम मंगल ग्रह की यात्रा कर रहे हैं। नित नये-नये अनुसंधान हो रहे हैं। इन्टरनेट ऑफ थिंग्स तथा आर्टिफिशियल इन्टेलीजेंस के माध्यम से दुनिया बहुत आगे बढ़ गई है।सभी को यह याद रखना होगा कि इतिहास को विस्मृत कर हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं। इतिहास के गौरवशाली क्षण हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करते हैं। साथ ही, इतिहास की गलतियां भी हमें उनका परिमार्जन करने का एक अवसर प्रदान करती हैं। आज के कार्यक्रम में हो रहा कीर्तन हमें भक्ति की धारा के साथ जोड़ने का प्रयास है, जो हमारी भावी कार्ययोजना को बनाने के लिए भी प्रेरित करता है। यह सभी चीजें एक साथ आगे बढ़कर देश व समाज को प्रगति पथ पर अग्रसर करती हैं।


मुख्यमंत्री ने कहा कि सिख गुरुओं का इतिहास भारत की विजय गाथा को प्रमाणित करता है। गुरु नानक देव जी ने विशुद्ध भक्ति की धारा प्रवाहित की, लेकिन जब देश व समाज को आवश्यकता पड़ी, तो उसे शक्तिपुंज बनने में भी देर नहीं लगी। काशी विश्वनाथ मन्दिर को स्वर्ण मण्डित करने का कार्य महाराजा रणजीत सिंह ने किया था। एक वह धारा थी, जिसने काशी विश्वनाथ मन्दिर को तोड़ा था, तो दूसरी धारा ने उसी मन्दिर को स्वर्ण मण्डित करके भारत के इतिहास को स्वर्णाक्षरों में लिखा तथा आने वाली पीढ़ी को प्रेेरित किया।जब व्यक्ति किसी कार्य को धर्म मानता है, तो उसके लिए दावा नहीं करता है, वह एक कर्तव्य मानकर उस पथ पर आगे बढ़ जाता है। महाराजा रणजीत सिंह, उनके वंशजों या सिख समाज ने कभी यह दावा नहीं किया कि उन्होंने काशी विश्वनाथ मन्दिर को स्वर्ण मण्डित कराया। गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान कश्मीरी पण्डितों, देश तथा धर्म के लिए था। गुरु तेग बहादुर एक आध्यात्मिक पुंज थे। एक गुरु के रूप में हम सबके लिए आराध्य हैं। उन्होंने अपने देश व धर्म की मर्यादाओं का कभी उल्लंघन नहीं किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आवास पर गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के आयोजन का अवसर उन्हें प्राप्त हुआ था। उसके बाद पहली बार मुख्यमंत्री आवास पर साहिबजादा दिवस के आयोजन भी सम्पन्न हुए थे। उन्होंने प्रधानमंत्री जी द्वारा विगत वर्ष साहिबजादा दिवस को वीर बाल दिवस के रूप में पूरे देश में मान्यता देने के लिए आभार प्रकट किया। गुरु गोविन्द सिंह महाराज के चार साहिबजादों ने देश व धर्म के लिए अपने को बलिदान कर दिया था। साहिबज़ादों को उनका सम्मान दिलाने के लिए प्रधानमंत्री जी ने वीर बाल दिवस की घोषणा की थी, जिससे भारत की वर्तमान पीढ़ी को देश व धर्म के लिए कार्य करने की प्रेरणा मिल सके।


लखनऊ का यहियागंज गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर जी की स्मृतियों के साथ ही, गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज की बचपन की स्मृतियों से जुड़ा हुआ है। पटना साहिब में गुरु गोविन्द सिंह जी का जन्म हुआ था, वहां से अलग-अलग स्थानों से होती हुई उनकी सवारी लखनऊ में आयी, वह स्मृतियां भी हमारे साथ जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में गुरु नानक जी से लेकर गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज तथा उसके उपरान्त समृद्ध सिख परम्परा है। इससे जुड़े हुए कार्य भी अभूतपूर्व हैं। इस परम्परा को अक्षुण्ण बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। आज के खुशनुमा मौसम में इस कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है। कहीं कोई भय, कोई चिन्ता नहीं है। चारों ओर उत्साह एवं उमंग है। यह हमारी अपनी परम्परा है। इससे हमारी संवेदनाएं व भावनाएं जुड़ी हैं। इस प्रकार के पवित्र आयोजनों को हमें निरन्तरता प्रदान करनी चाहिए। सिख समाज ऐसे आयोजनों पर एकजुट होकर कार्य करता है। सभी गुरुद्वारों में लंगर चलना, देश व दुनिया में गुरु परम्परा से मिली पहचान है। यह मानवीय संवेदना का कार्य है।


उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी ने पंजाबी को लोक भाषा के रूप में प्रचलित करने के लिए रचनात्मक कार्य किये हैं। आज पुस्तक का विमोचन तथा उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के ऑनलाइन ऐप का शुभारम्भ किया गया। इसका अधिक से अधिक प्रचार किया जाना चाहिए। समाज में जो भी सकारात्मक है, उसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए। हर व्यक्ति को सीखना चाहिए। अपने देश, धर्म व भाषा पर हमें गौरवकारी अनुभूति होनी चाहिए।प्रदेश के कृषि राज्य मंत्री श्री बलदेव सिंह ओलख ने गुरु तेग बहादुर जी के प्रकाश पर्व को राजभवन में मनाने की पहल के लिए राज्यपाल जी एवं मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार श्री हरप्रीत सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किये।समापन के पश्चात् राज्यपाल जी तथा मुख्यमंत्री जी ने सिख समाज के सदस्यों के साथ जमीन पर बैठकर लंगर में प्रसाद ग्रहण किया।इस अवसर पर लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबन्धन समिति के पूर्व अध्यक्ष मनजिन्दर सिंह सिरसा, राष्ट्रीय सिख संगत के अध्यक्ष सरदार गुरु चरन सिंह गिल, राष्ट्रीय महामंत्री अविनाश जायसवाल, उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के उपाध्यक्ष गुरुविन्दर सिंह छाबड़ा, राज्य अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य परविन्दर सिंह, स्वामी रामेश्वरानन्द,अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव राज्यपाल महेश कुमार गुप्ता, अपर मुख्य सचिव एम0एस0एम0ई0 एवं सूचना नवनीत सहगल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।