उत्तर प्रदेश का मथुरा एक दर्शनीय स्थल

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गोवर्धन पर्वत

उत्तर प्रदेश भारत का एक धार्मिक रूप से प्रमुख राज्य के रूप में जाना जाता है। उत्तर प्रदेश में कई ऐसे धार्मिक स्थल, पर्यटन स्थान के साथ-साथ पौराणिक इमारत स्थित है, जिसे देखने लोग भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के अलावा विदेशों से भी काफी अधिक संख्या में आया करते हैं। उत्तर प्रदेश का मथुरा एक दर्शनीय स्थल उत्तर प्रदेश का मथुरा दर्शनीय स्थल

उत्तर प्रदेश भारत के एक प्रमुख राज्य हैं। उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लखनऊ है। उत्तर प्रदेश राज्य को भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य के रूप में भी जाना जाता है। यह उत्तर प्रदेश राज्य भारत के उत्तरी भाग में स्थित हैं। उत्तर प्रदेश राज्य में कुल 75 जिले हैं। उत्तर प्रदेश राज्य एक ऐसा राज्य है जहां पर तकरीबन सभी धर्म के काफी प्रमुख एवं प्रसिद्ध धार्मिक स्थल देखने को मिल जाते हैं। अगर आप भी भारत की संस्कृति और पौराणिक समय के संस्कृति और वस्तुओं को देखना चाहते हैं तो आपको उत्तर प्रदेश राज्य जरूर विजिट करना चाहिए। क्योंकि उत्तर प्रदेश राज्य पौराणिक समय से ही इतिहासकारों द्वारा काफी पसंद किया जाता था। उत्तर प्रदेश राज्य हिंदू धर्म के दो महाकाव्य रामायण और महाभारत दोनों से जुड़ा हुआ है।

मथुरा उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थल के रूप में जाना जाता है। मथुरा एक विश्व प्रसिद्ध स्थान है हिंदू धर्म से जुड़ी यह एक पौराणिक जगह हैं। आगरा से तकरीबन 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भगवान कृष्ण के जन्म स्थल के रूप में जाना जाने वाला यह मथुरा आज श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटकों के बीच भी काफी मशहूर हैं। मथुरा को विजिट करने हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के अलावा विदेशों से भी आया करते हैं। मथुरा में स्थित कुछ प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल की बात करें तो कंस का किला, गोवर्धन पर्वत, राधा कुंड, कृष्ण जन्मभूमि मंदिर जैसे और भी कई पवित्र स्थान देखे जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश में स्थित मथुरा को उत्तर प्रदेश की ट्रिप करने वाले तकरीबन सभी पर्यटक विजिट किया करते हैं इसलिए हो सके तो आप भी मथुरा को विजिट करना न भूलें।

मथुरा में घूमने की जगह


मथुरा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। इस शहर को भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मानी जाती है। यह भारत का प्राचीन शहर है तथा यमुना नदी के किनारे बसा है। मथुरा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है।इस शहर को भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मानी जाती है। यह भारत का प्राचीन शहर है तथा यमुना नदी के किनारे बसा है। मथुरा लगभग दिल्ली से 180किलोमीटर तथा आगरा से 58 किलोमीटर पर स्थित है।यहां पर दुनिया भर से पर्यटक कृष्ण नगरी में भगवान श्री कृष्ण का दर्शन करने के लिए आते हैं। भगवान विष्णु ने मथुरा को सर्वाधिक अपना प्रिय स्थान बताया है।कृष्ण की नगरी में यहां पर दूध दही के पकवान बहुत ही ज्यादा मात्रा में मिलते हैं।यह सात पवित्र स्थानों में से एक हैं। मथुरा को कई नाम से पुकारा गया है जैसे-शूरसेन नगरी ,मधुपुरी, मधुनगरी इत्यादि।वाल्मीकि रामायण में मथुरा को मधुपुर या मधुदानव का नगर कहा गया है एवं इसे लवणासुर की राजधानी बताया गया है जिसे जिसे भगवान राम के सबसे छोटे भाई शत्रुघ्न ने युद्ध में हराकर मारा था इसके बाद उन्होंने यहां पर राज किया। यहां पर भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा नरेश अपने कंस मामा को मारा था।


मथुरा अपने खानपान के लिए बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है जैसे कि मथुरा के पेड़े ,मखन मिश्री, चार्ट, टिक्की, कचोरी इत्यादि तथा मथुरा के लोक संगीत ,नृत्य काफी लोकप्रिय है।मथुरा अपने कुछ खास त्यौहार के लिए बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है जैसे कि कृष्ण जन्माष्टमी ,लठमार होली, गुरु पूर्णिमा तथा राधा अष्टमी यहां के महत्वपूर्ण त्योहार माने जाते हैं। मथुरा को ब्रजभूमि के नाम से जाना जाता है।मथुरा का इतिहास करीब 2500 वर्ष पुराना है। यहां पर पहली बार राम मंदिर का निर्माण यदुवंशी राजा ने 80 वर्ष ईसा पूर्व कराया था। कुछ समय बाद कुषाण हमलों में इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया बाद में गुप्त काल के सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने 400 ईसा पूर्व में दूसरे बिहार मंदिर का निर्माण करवाया। मुगल बादशाह जहांगीर के शासनकाल में भगवान श्री कृष्ण की जन्म स्थान पर एक नया विशाल मंदिर का निर्माण कराया गया।ओरछा के राजा वीर सिंह द्वारा इसकी ऊंचाई 250 फीट रखी गई ।ऐसा बताया जाता है कि आगरा से भी दिखाई देता है यह मंदिर। दोस्तों उस समय इस मंदिर के निर्माण की लागत लगभग ₹33 लाख आई थी।इस मंदिर के चारों ओर एक ऊंची दीवार की चारदीवारी बनाई गई है जिसके अवशेष अभी तक पढ़ा हुआ कि नहींमिलते हैं। उत्तर प्रदेश का मथुरा एक दर्शनीय स्थल

कृष्ण जन्मभूमि मंदिर

कृष्ण जन्मभूमि हिन्दुओं के पूजन के लिए पावन धरती मानी जाती है। भगवान श्री कृष्ण मथुरा के एक जेल की कोठरी में पैदा हुए थे। जेल की कोठरी वाले स्थान पर एक मंदिर है। यहां हर साल यहां पर लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। पौराणिक कथा केअनुसार यह मंदिर जहाँगीर के शाशन में ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला द्वारा बनवाया गया था।यहां की जेल की दीवार और बाकी अन्य चीजे देखने पर लगता है ,मानो भगवान् श्री कृष्ण आज भी बालक के रूप में यहाँ हैं।लोग कहते हैं यहाँ पर भगवान् कृष्ण की सोने की मूर्ती रखी हुई थी जिसे महमूद गजनवी उठा ले गया था। मथुरा जंक्शन से इस मंदिर की दूरी लगभग 3.5 किलोमीटर है।

गोवर्धन पर्वत


एक पौराणिक कथा के अनुसार गाँव को डूबने से बचाने के लिए भगवान् कृष्ण ने इस पर्वत को एक ऊँगली पर उठा लिया था। लोगों कहते हैं की इस पर्वत के चक्कर लगा लेने से आपके सारे पाप धुल जाते हैं। जब भी आप मथुरा जाए तो एक बार इस जगह जरूर जाए।गोवर्धन पर्वत मथुरा से 22 किलोमीटर दूर वृंदावन के पास स्थित है ,यहां आने वाले पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है। दोस्तों इस पर्वत को पवित्र माना जाता है। गोवर्धन पर्वत की कहानी आपने धारवाहिकों में देखी होगी। गोवर्धन व इसके आसपास के क्षेत्र को ब्रज भूमि कहा जाता है। द्वापर युग में यहीं भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र के वर्षा प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठा लिया था। गोवर्धन पर्वत को लोग गिरिराज जी भी कहते हैं। आज भी दूर दूर से भक्त इस पर्वत की परिक्रमा करने आते हैं। यह लगभग 23 किलोमीटर की परिक्रमा है। कई श्रद्धालु इसे गाड़ियों की मदद से भी पूरा करते हैं। इस रास्ते में बहुत सारे धार्मिक स्थन पड़ते हैं। इनमें आन्यौर, राधाकुंड, कुसुम सरोवर, मानसी गंगा,गोविन्द कुंड, पूंछरी का लोटा,दानघाटी इसके अलावा और भी हैं। दोस्तों परिक्रमा जहां से शुरु होती है वहीं एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे दानघाटी मंदिर कहा जाता है।

बांके बिहारी मंदिर


यह मंदिर भारत में मथुरा जिले के वृंदावन धाम में रमण रेती पर स्थित है। यह भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। बांके बिहारी भगवान श्री कृष्ण का ही एक रूप है। मथुरा जंक्शन से वृंदावन धाम की दूरी लगभग 13 किलोमीटर है।काले रंग की रखी हुई कृष्ण की मूर्ती को बांके बिहारी जी के नाम से जानते हैं। कहते है की आप इनकी मूर्ती से नजर नहीं मिला सकते हैं। इस मंदिर में दर्शन करने आप जब भी जाइए तो आंखें बंद करके भगवान के दर्शन यहां मत कीजिए, आप यहां बांके बिहारी जी से नजर से नजर मिला कर दर्शन कीजिए।
दोस्तों बहुत कम लोग ही जानते हैं कि बांके बिहारी की मूर्ति बनाई नहीं गई थी बल्कि स्वामी हरिदास जी के अनुरोध करने पर प्रकट हुई थी ताकि अन्य लोग भी इस कदर शंकर भगवान के साक्षात दर्शन कर उनका आशीर्वाद ले सकें

कंस किला

कंस का किला मथुरा में स्थित बहुत प्राचीन किला है यह यमुना नदी के तट पर बसा है।या किला भगवान श्री कृष्ण के मामा कंस को समर्पित है यह मथुरा का एक बहुत ही लोकप्रिय पर्यटक स्थल है । यह किला बहुत बड़े क्षेत्र में बना है तथा इसके दीवार काफी लंबे हैं। इस समय यह किला खंडहर में तब्दील हो चुका है। यह किला हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्म के रचनात्मक कला को प्रदर्शित करता है। इस किले की वर्तमान संरचना राजा मानसिंह ने 16वीं शताब्दी में करवाई थी।इस समय यह किला पुरातत्व विभाग के अंतर्गत है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार कंस ने अपने पिता उग्रसेन को राज पर से हटा कर जेल में डाल दिया था और स्वयं शूरसेन जनपद का राजा बन गया था। शूरसेन जनपद के अंतर्गत ही मथुरा आता है। कंस के काका शूरसेन का मथुरा पर राज था। कंस ने मथुरा को भी अपने शासन के अधीन कर लिया था और वहां की प्रजा को अनेक प्रकार से प्रताड़ित करता था।कंस का वध करने के बाद कृष्ण और बलदेव ने कंस के पिता उग्रसेन को फिर से राजा बना दिया था। मेरे प्रिय पाठक यह कथा आप लोगों ने टीवी धारावाहिक में जरूर देखा होगा।

राधा कुण्ड


मथुरा से लगभग 26 किलोमीटर दूरी पर गोवर्धन परिक्रमा में राधा कुंड आता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन में गौचारण लीला करते थे। कृष्ण को गौ हत्या का पाप लगा था इस पाप से मुक्ति के लिए श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी से एक कुंड -श्याम कुंड खोदा और उस में स्नान किया इस पर राधा जी ने श्याम कुंड के बगल में अपने कंगन से एक और कुंड- राधा कुंड खोदा और उस में स्नान किया स्नान करने के बाद राधा जी और श्री कृष्ण ने महारास रचाया इसमें दोनों ने अपनी सुधबुध खो बैठे।महारास से प्रसन्न होकर राधा जी से कृष्ण ने वरदान मांगने को कहा । तब उन्होंने कहा कि इस राधा कुंड में जो भी स्नान करें उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो। इस पर श्री कृष्ण ने राधा जी को वरदान दे दिया। महारास वाले दिन कार्तिक मास की अष्टमी -अहोई अष्टमी थी। तभी से इस विशेष तिथि पर पुत्र प्राप्ति को लेकर दंपति राधाकुंड में स्नान कर राधा जी से आशीर्वाद मांगते हैं।

  द्वारिकाधीश मंदिर

 द्वारिकाधीश मंदिर का निर्माण साल 1814 में करवाया गया था। इस मंदिर में भवान कृष्ण की सभी कलाकृतियाँ मौजूद हैं। भगवान् कृष्ण के विशाल जीवन को देखना है तो इस मंदिर में जरूर जाइए। यह मंदिर मथुरा जंक्शन से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तथा विश्राम घाट के नजदीक है| कृष्ण जन्माष्टमी और होली के समय यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ बहुत ज्यादा होती है

विश्राम घाट


विश्राम घाट द्वारिकाधीश मंदिर से लगभग 30 मीटर की दूरी पर नई बाजार में स्थित है।यह मथुरा के सभी घाटों में से एक प्रमुख घाट हैं। विश्राम घाट के उत्तर में 12 घाट और दक्षिण में भी 12 घाट हैं ,विश्राम घाट को लेकर यहां पर कुल 25 घाट है।इस घाट पर कई सारे संतों ने तपस्या की है ,और विश्राम भी किया है। इस घाट पर यमुना महारानी जी का अति सुंदर मंदिर बना है। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध करने के बाद इसी घाट पर विश्राम किया था। यहां पर सुबह और शाम की आरती का नजारा बहुत ही अद्भुत होता है। भगवान श्री कृष्ण का दर्शन करने के लिए बहुत सारे श्रद्धालुओं की भी यहां पर होती है।

कुसुम सरोवर

कुसुम सरोवर मथुरा शहर में स्थित गोवर्धन से लगभग 2 किलोमीटर दूर राधा घाट के पास है। यह सरोवर 450 फिट लम्बा और 60 फिर गहरा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस जगह राधा जी भगवान् कृष्ण से शाम को मिलने आया करती थी। इसी जगह ही वो रासलीला किया करते थे। प्रिय पाठक यहाँ शाम को होने वाले आरती इस जगह का मुख्य आकर्षण है जिसे देखने के लिए देश विदेश से लोग आते हैं। कुसुम सरोवर के चारों तरफ कदम के पेड़ लगे हुए हैं कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण को कदम का पेड़ बहुत ही ज्यादा पसंद था। इसी वजह से भारत के कोने-कोने से जो भी श्रद्धालु मथुरा- वृंदावन आते हैं ,वह कुसुम सरोवर जाना कभी नहीं भूलते हैं। उत्तर प्रदेश का मथुरा दर्शनीय स्थल