सहजन का कायल हुआ केंद्र

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सहजन का कायल हुआ केंद्र
सहजन का कायल हुआ केंद्र

सहजन की खूबियों का कायल हुआ केंद्र। योगी सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही सहजन को दे रही बढ़ावा। पौधरोपण में सहजन को दी जाती है वरीयता। सहजन का कायल हुआ केंद्र

सहजन को पेड़ सिर्फ एक वनस्पति ही नहीं बल्कि नहीं पॉवर हाउस भी है। अपनी तमाम औषधीय खूबियों के कारण इसे चमत्कारिक वृक्ष भी कहते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहजन की इन खूबियों से तबसे वाकिफ हैं जब वह गोरखपुर के सांसद थे। यही वजह है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश में हरीतिमा बढ़ाने एवं यहां के पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए पौधरोपण का जो काम शुरू करवाया, उसमें सहजन को भी प्राथमिकता दी गई। यही नहीं विकास के मानकों पर पिछड़े आकांक्षात्मक जिलों में हर परिवार को सहजन के कुछ पौध लगाने को भी प्रेरित किया। उनकी गृह वाटिका के पीछे भी यही सोच रही। दरअसल अगर लोग सहजन की खूबियों को जान जाएं और उनका सेवन करें तो यह कुपोषण के खिलाफ एक सफल जंग सरीखा होगा।

राज्य पीएम पोषण योजना में सहजन को करें शामिल


अब तो केंद्र सरकार भी सहजन की खूबियों के नाते इसका मुरीद हो गई। चंद रोज पहले केंद्र की ओर से राज्यों को निर्देश दिया गया कि वे प्रधानमंत्री पोषण योजना में सहजन के साथ स्थानीय स्तर पर सीजन में उगने वाले पोषक तत्वों से भरपूर पालक, अन्य शाक-भाजी एवं फलियों को भी शामिल करें।

देश के 32 फीसद बच्चे अंडरवेट, 67 फीसद एनिमिक


राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण 2019-2020 के मुताबिक देश के करीब 32 फीसद बच्चे अपनी उम्र के मानक वजन से कम (अंडरवेट) हैं। करीब 67 फीसद बच्चे ऐसे हैं जो अलग-अलग वजहों से एनीमिया (खून की कमी) से पीड़ित हैं। अपनी खूबियों के नाते ऐसे बच्चों के अलावा किशोरियों, मां बनने वाली महिलाओं के लिए सहजन वरदान साबित हो सकता है।

खूबियों का खजाना है सहजन


सहजन की पत्तियों एवं फलियों में 300 से अधिक रोगों की रोकथाम के गुण होते हैं। इनमें 92 तरह के विटामिन्स, 46 तरह के एंटी ऑक्सीडेंट, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं।

तुलनात्मक रूप से सहजन के पौष्टिक गुण


-विटामिन सी- संतरे से सात गुना।
-विटामिन ए- गाजर से चार गुना।
-कैल्शियम- दूध से चार गुना।
-पोटैशियम- केले से तीन गुना।
-प्रोटीन- दही से तीन गुना।

दैवीय चमत्कार भी कहा जाता है सहजन को


दुनिया में जहां-जहां कुपोषण की समस्या है, वहां सहजन का वजूद है। यही वजह है कि इसे दैवीय चमत्कार भी कहते हैं। दक्षिणी भारत के राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक में इसकी खेती होती है। साथ ही इसकी फलियों और पत्तियों का कई तरह से प्रयोग भी। तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय ने पीकेएम-1 और पीकेएम-2 नाम से दो प्रजातियां विकसित की हैं। पीकेएम-1 यहां के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुकूल भी है। यह हर तरह की जमीन में हो सकता है। बस इसे सूरज की भरपूर रोशनी चाहिए।

कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि सहजन की खूबियां यहीं खत्म नहीं होतीं। चारे के रूप में इसकी हरी या सूखी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुने से अधिक और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि की रिपोर्ट है। यही नहीं इसकी पत्तियों के रस को पानी के घोल में मिलाकर फसल पर छिड़कने से उपज में सवाया से अधिक की वृद्धि होती है। सहजन की पत्ती से लेकर फूल, फल सभी लाभकारी है। यह औषधीय, खनिज व विटामिन गुणों से भरपूर है। कुपोषण को दूर करने में सबसे कारगर है।

पशुओं एवं खेतीबाड़ी के लिए भी उपयोगी

सहजन की पत्तियों में प्रोटीन, विटामिन बी6, विटामिन-सी, विटामिन-ए, विटामिन-ई, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, जिंक जैसे तत्व पाए जाते हैं। पत्तियों में दो ग्राम प्रोटीन होता है यह प्रोटीन किसी भी प्रकार की मांसाहारी भोजन के जितना होता है। साथ ही जरूरी एनिमो एसिड्स भी पाए जाते हैं। सहजन की फली में विटामिन-सी पाया जाता है। इसके अलावा सहजन में एंटीऑक्सिडेंट, बायोएक्टिव प्लांट कंपाउंड होते हैं। सहजन की सूखी पत्तियों के सौ ग्राम पाउडर में दूध से 17 गुणा अधिक कैल्शियम और पालक से 25 गुणा अधिक आयरन होता है। इसमें गाजर से दस गुणा अधिक बीटी-कैरोटीन होता है, जो आंखों, त्वचा और रोग प्रतिरोधक तंत्र के लिए लाभदायक है। सहजन में केले से तीन गुणा अधिक पोटेशियम और संतरे से सात गुणा अधिक विटामिन-सी होता है। सहजन की खूबियां यहीं खत्म नहीं होतीं। चारे के रूप में इसकी हरी या सूखी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुने से अधिक और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि की रिपोर्ट है। यही नहीं इसकी पत्तियों के रस को पानी के घोल में मिलाकर फसल पर छिड़कने से उपज में सवाया से अधिक की वृद्धि होती है। सहजन का कायल हुआ केंद्र