नारी शक्ति वंदन अधिनियम पास

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नारी शक्ति वंदन अधिनियम पास
नारी शक्ति वंदन अधिनियम पास

नए संसद भवन में पहले दिन की कार्यवाही के दौरान महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पेश हो गया। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसे सदन के पटल पर रखा। लोकसभा में विधेयक पास होने के बाद गुरुवार को इसे राज्य में पेश किया जाएगा। गुरुवार को ही इस पर राज्यसभा में चर्चा भी हो सकती है। विधेयक के पास होने और कानून बनने के बाद लोकसभा और विधानसभा में बहुत कुछ बदल जाएगा। 

नारी शक्ति वंदन अधिनियम के अंतर्गत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटों पर आरक्षण का प्रावधान है। इसी 33 फीसदी में से एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित की जानी है। 

मोदी सरकार ने सितंबर 19 को महिला आरक्षण विधेयक को एक नए नाम – ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ और कुछ बदलावों के साथ लोकसभा में पेश किया। संविधान विधेयक, 2023 को कार्य की अनुपूरक सूची के माध्यम से निचले सदन में पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया गया था। विधेयक में प्रस्तावित किया गया है कि आरक्षण 15 साल की अवधि तक जारी रहेगा और महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों के भीतर एससी/एसटी के लिए एक कोटा होगा।

क्या ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए भी आरक्षण है या नहीं…?
1996 से जब जब महिला आरक्षण बिल आए तब तब यह मुद्दा उठा है। कई राजनीतिक दल पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए भी कोटा की मांग करते रहे हैं। हालांकि, इस बिल में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है।

विधानसभाओं में क्या बदलेगा?

राज्यकुल सीटकानून बनने के बाद महिला विधायकों की संख्या
उत्तर प्रदेश403134
पश्चिम बंगाल29498
महाराष्ट्र28896
बिहार24381
तमिलनाडु23478
मध्य प्रदेश23076
कर्नाटक22474
राजस्थान20066
गुजरात18260
आंध्र प्रदेश17558
ओडिशा14749
केरल14046
असम12642
तेलंगाना11939
पंजाब11739
छत्तीसगढ़9030
हरियाणा9030
जम्मू-कश्मीर8729
झारखंड8127
उत्तराखंड7023
दिल्ली7023
हिमाचल प्रदेश6822
त्रिपुरा6020
मणिपुर6020
मेघालय6020
अरुणाचल प्रदेश6020
नगालैंड6020
गोवा4013
मिजोरम4013
सिक्किम3210
पुडुचेरी3010

क्या अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर यह लागू होगा…?
हां, यानी कोटा के अंदर कोटा भी इस कानून में प्रावधान होगा। इस तरह जो सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं उनमें से 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। 

लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33% सीटें देने वाला महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित हुआ। 454 सांसदों ने बिल के पक्ष में और 2 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट किया। अब महिला आरक्षण विधेयक पर गुरुवार को राज्यसभा में चर्चा होगी। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन में इसकी घोषणा की।उन्होंने कहा कि सदन में विभिन्न दलों के नेताओं के साथ विचार-विमर्श के बाद यह तय किया गया कि संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023 पर कल चर्चा होगी। लोकसभा में विधेयक के पारित होने के बाद इसे उच्च सदन में चर्चा व पारित किए जाने के लिए पेश किया जाएगा। विधेयक पर चर्चा के लिए साढ़े सात घंटे का समय तय किया गया है।

क्या जो लोकसभा या विधानसभा सीट महिला आरक्षित हो जाएगी तो वहां से हमेशा महिला जनप्रतिनिधि ही चुने जाएंगे?
नहीं ऐसा नहीं होगा। जो लोकसभा या विधानसभा सीट महिलाओं के एक चुनाव में आरक्षित होगी अगले चुनाव में वो महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं होगी। बल्कि अन्य 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी। इसके बाद जो तीसरा चुनाव होगा उसमें बची हुई 33 फीसदी सीटों को महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाएगा।