पी0एम0 गतिशक्ति मास्टर प्लान औद्योगिक गतिविधियों को देगा बढ़ावा-मुख्यमंत्री

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पी0एम0 गतिशक्ति मास्टर प्लान औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ एयरपोर्ट, नई सड़कों और रेल योजनाओं सहित यातायात की व्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद करेगा।प्रधानमंत्री के कर कमलों से ‘पी0एम0 गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान’का शुभारम्भ हम सभी को प्रोत्साहित करने वाला, इससे इन्फ्रास्ट्रक्चरनिर्माण के एक नये युग की शुरुआत हो रही । गतिशक्ति अभियान शारदीय नवरात्रि में शक्ति के अनुष्ठान के व्यावहारिक रूप में सामने आ रहा प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उ0प्र0 सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेन्टके लिये पहले ही अपनी कार्य योजना प्रारम्भ कर चुकी है । गतिशक्ति योजना एक सुदृढ़ भारत के निर्माण के लिये सुशासन के आदर्श पहल के रूप में जानी जा रही । 100 लाख करोड़ रु0 के निवेश की इस महायोजना के अन्तर्गत युवाओं के लिये रोजगार के अवसरों का सृजन होगा, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार आयेगा । प्रधानमंत्री ने देश की अर्थव्यवस्था को 05 ट्रिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य रखा, इसमें उ0प्र0 की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है, वर्तमान राज्य सरकार उ0प्र0 को01 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने में अपनी प्रमुख भूमिका का निर्वहन करेगी । ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर तथा वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का ग्रेटर नोएडा के दादरी में जंक्शन है, इससे उ0प्र0 को अद्वितीय लॉजिस्टिक्स हब के रूप में स्थापित करने की ढेर सारी सम्भावनाएं । भारत का पहला ‘फ्रेट विलेज’ वाराणसी में लगभग 100 एकड़ में विकसित किया जा रहा । स्वर्णिम चतुर्भज पर स्थित उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों का भारत का दूसरा सबसे बड़ा (लगभग 12,000 कि0मी0) नेटवर्क है, इस लाभ में और वृद्धि करते हुए उ0प्र0 ने स्वयं को एक्सप्रेस-वेज के राज्य के रूप में स्थापित किया । उत्तर प्रदेश वर्ष 2018 में वेयर हाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स नीतिघोषित करने वाले अग्रणी राज्यों में से एक, इस नीति के माध्यम से राज्य सरकार ने लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को उद्योग का दर्जा प्रदान किया । राज्य सरकार ने एक व्यापक एकीकृत राज्य स्तरीय लॉजिस्टिक्स योजना विकसित की हैस्मार्ट सिटी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में उ0प्र0 देश में प्रथम स्थान पर, उ0प्र0 राज्य पिछले साढ़े चार वर्ष के दौरान ईज ऑफ डुइंग बिजनेस में एक बड़ा लक्ष्य प्राप्त किया।

‘पी0एम0 गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान’ के माध्यम से सभी प्रोजेक्ट अपने निर्धारित समय पर पूरे होंगे, जिससे टैक्स का एक भी पैसा बर्बाद नहीं होगा। गतिशक्ति के इस महाभियान के केन्द्र में भारत के लोग, भारत की इण्डस्ट्री, भारत का व्यापार जगत, भारत के मैन्युफैक्चरर्स, भारत के किसान और भारत का गांव हैं। यह भारत की वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को 21वीं सदी के भारत के निर्माण के लिए नयी ऊर्जा देगा और उनके रास्ते के अवरोधों को समाप्त करेगा।प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार ने समय पर परियोजनाओं को पूरा करने का वर्क कल्चर विकसित किया है, जिससे समय से प्रोजेक्ट पूरे हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया यह बात स्वीकार करती है कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए क्वालिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण का एक रास्ता है, जो अनेक आर्थिक गतिविधियों को जन्म देता है। इससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित होते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की सामूहिक शक्ति योजनाओं को पूरा करने का कार्य कर रही है। इसी वजह से अब दशकों से अंधूरी पड़ी बहुत सारी परियोजनाएं पूरी हो रही हैं। उन्होंने कहा कि ‘पी0एम0 गतिशक्ति मास्टर प्लान’ सरकारी प्रोसेस और उससे जुड़े अलग-अलग स्टेक होल्डर्स को एक साथ लाती ही है, यह ट्रांसपोर्टेशन के अलग-अलग मोड्स को आपस में जोड़ने में भी मदद करती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘पी0एम0 गतिशक्ति मास्टर प्लान’ औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ एयरपोर्ट, नई सड़कों और रेल योजनाओं सहित यातायात की व्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि इस प्लान के माध्यम से यह भी पता चलेगा कि कहां सड़क बनी है और कहां बनने की जरूरत है। इस डिजिटल मंच की मदद से विकास कार्याें को गति मिलेगी। इसके तहत, 16 मंत्रालयों और विभागों ने उन सभी परियोजनाओं को ज्योग्रॉफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम (जी0आई0एस0) मोड में डाल दिया है, जिन्हें 2024-25 तक पूरा किया जाना है। उन्होंने कहा कि इन सभी प्रयासों से आने वाले समय में भारत दुनिया की बिजनेस कैपिटल बनेगा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से जनधन, आधार और मोबाइल की शक्ति से देश में सरकारी सुविधाओं को तेजी से सही लाभार्थी तक पहुंचाने में सफलता मिली है उसी तरह से ‘पी0एम0 गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान’ इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में वैसा ही काम करने वाला है।

ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर तथा वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का ग्रेटर नोएडा के दादरी में जंक्शन है। इससे उत्तर प्रदेश को अद्वितीय लॉजिस्टिक्स हब के रूप में स्थापित करने की ढेर सारी सम्भावनाएं हैं। यह कॉरिडोर प्रमुख निर्यात केन्द्रों, जैसे गौतमबुद्धनगर, अलीगढ़, मेरठ, बुलन्दशहर, कानपुर, इटावा, कन्नौज, दीनदयाल नगर, प्रयागराज आदि प्रमुख निर्यात केन्द्रों को अन्तिम मील का रेल कनेक्टिविटी प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ई0डी0एफ0सी0) के लिये 46.17 हेक्टेयर भूमि की संशोधित मांग में से 41.91 हेक्टेयर भूमि हस्तांतरित की जा चुकी है। वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डब्ल्यू0डी0एफ0सी0) के लिये कुल 41.0614 हेक्टेयर भूमि हस्तांतरित की जा चुकी है। ई0डी0एफ0सी0 भाऊपुर (कानपुर)-खुर्जा, पथ का शुभारम्भ हो चुका है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन परियोजनाओं के विकास के परिणामस्वरूप राज्य में विभिन्न औद्योगिक केन्द्रों की क्षमता में वृद्धि होगी तथा नयी औद्योगिक परियोजनाएं भी स्थापित होंगी। इसके अतिरिक्त, राज्य में ग्रेटर नोएडा के दादरी में मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स हब तथा बोडाकी में मल्टी-मोडल ट्रांसपोर्ट हब 304.29 हेक्टेयर में विकसित किये जा रहे हैं। इसमें से 84 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण हो चुका है। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 के हल्दिया-वाराणसी मार्ग (लगभग 1,000 कि0मी0) तथा वारणसी में गंगा पर मल्टी-मोडल टर्मिनल वर्ष 2018 से संचालित हैं। उत्तर प्रदेश में प्रयागराज से पश्चिम बंगाल में हल्दिया तक भारत की प्रथम अन्तर्देशीय जलमार्ग परियोजना कार्यान्वित की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में वाराणसी में मल्टी-मोडल टर्मिनल में प्रतिवर्ष 0.54 मिलियन टन कार्गों हैंडलिंग की क्षमता है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर गाजीपुर/राजघाट, रामनगर (वाराणसी) एवं प्रयागराज टर्मिनल में विभिन्न फ्लोटिंग टर्मिनल संचालित हैं।

ग्रेटर नोएडा के जेवर में 5,000 हेक्टयेर में विकसित होने वाला नोएडा अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा उत्तर भारत के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक है तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एन0सी0आर0 में दूसरा हवाई अड्डा होगा। हवाई अड्डे के साथ एम0आर0ओ0/कार्गो कॉम्प्लेक्स और एयरोट्रोपोलिस एवं एकीकृत टाउनशिप जैसी परियोजनाओं के विकास की अच्छी सम्भावना है। उन्होंने कहा कि इसे अतिरिक्त क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना के अन्तर्गत 25 से अधिक घरेलू वायु मार्गों का विकास किया जा रहा है। जिनमें आगरा, कानपुर, अलीगढ़, बरेली, चित्रकूट व झांसी आदि सम्मिलित हैं। इससे इन नगरों के निकट औद्योगिक केन्द्रों को वायुमार्ग कनेक्टिविटी उपलब्ध हो जायेगी। उत्तर प्रदेश वर्ष 2018 में वेयर हाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स नीति घोषित करने वाले अग्रणी राज्यों में से एक है। इस नीति के माध्यम से राज्य सरकार ने लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को उद्योग का दर्जा प्रदान किया है। इससे लॉजिस्टिक्स इकाइयों द्वारा औद्योगिक भूमि के उपयोग को भारत सरकार द्वारा प्रदान की गई अवस्थापना सुविधाओं की योग्यता के अनुसार लागू किया गया है। इसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार ने राज्य में लॉजिस्टिक्स उद्योग के लिये व्यवसाय करने की लागत कम कर दी है। इससे उत्तर प्रदेश को उत्तर भारत में प्रमुख लॉजिस्टिक्स केन्द्र के रूप में उभरने में सहायता मिली है। राज्य में लॉजिस्टिक्स के एकीकृत विकास के लिये अपर मुख्य सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय लॉजिस्टिक्स प्रकोष्ठ तथा लॉजिस्टिक्स योजना की प्रगति और कार्यान्वयन के अनुश्रवण के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय लॉजिस्टिक्स समन्वय समिति का गठन किया गया है।