भाजपा सरकार में धांधली का साम्राज्य-पूर्व मुख्यमंत्री

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राजेंद्र चौधरी

    भाजपा की दागदार सरकार में धांधली का साम्राज्य है। प्रदेश में पी0डब्लू0डी0, स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग के तबादलों में पूरी धन्धेबाजी नजर आई। जांच के नाम पर कुछ ठोस परिणाम नहीं आये। घपला, घोटाला करने वाले अपनी अपनी कुर्सियों पर जमे हैं। मुख्यमंत्री जी रिपोर्ट मांग लेते हैं, अफसर उस पर कुण्डली मार कर बैठ जाते है।पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि मुख्यमंत्री जी की कथित जीरो टालरेंस नीति सिर्फ जुमला बनकर रह गयी है। उत्तर प्रदेश में हर विभाग भ्रष्टाचार में संलिप्त है और पुलिस उत्पीड़न करने में लगी है। आजादी के 75 वर्ष पर आयोजित अमृत महोत्सव भाजपा का दिखावा मात्र है।


    पुलिस की उत्पीड़न की कार्यवाहियां जारी है, मुख्यमंत्री जी अब इस सबसे बेखबर बन गये है क्योंकि उनका कोई नियंत्रण गृह विभाग पर नही रह गया है। मैनपुरी में पुलिस पिटाई से परेशान होकर एक युवक ने जान दे दी। खुद पुलिस वाले भी अपने विभाग में शिकार बन जाते हैं। एक पुलिस वाला रो-रोकर बता रहा है कि उसे इतना खराब खाना दिया जा रहा है जिसे जानवर भी न खाए। वह कहता है कि अफसर सुनते नहीं, वह किससे शिकायत करे। अमृत महोत्सव में वह भूखोत्सव मनाने को विवश है।


    भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गया है बदहाल बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे। प्रधानमंत्री जी द्वारा उद्द्घाटन किए जाने के बाद से ही बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे में हुए भ्रष्टाचार की पोल खुलती जा रही है। जगह-जगह गड्ढे, टूटी सड़के और अधूरा निर्माण। इसकी ईडी और सीबीआई जांच कब होगी? बताए सरकार। शिवगढ़ के पास 117 करोड़ में बनी सड़क मात्र दो साल में जगह-जगह धंस गई।


    अमृत महोत्सव के नाम पर राष्ट्र भक्ति का उपदेश देने वाले आरएसएस-भाजपा नेताओं ने चूंकि कभी राष्ट्रध्वज का सम्मान नहीं किया इसलिए आज भी वे उसका अपमान करने से नहीं चूक रहे हैं। कहीं तिरंगा यात्रा को भाजपाइयों ने दंगा यात्रा बना दिया है तो इटावा में भाजपा नेताओं ने दिखा दिया कि उन्हें सीधा तिरंगा पकड़ना भी नही आता है। घर-घर उल्टा तिरंगा बांटा जा रहा है। भाजपा कार्यालयो में झण्डा बिक्री की दूकाने खुल गई हैं। स्कूलों में बच्चों से, दफ्तर के कर्मचारियों से झण्डा खरीद के लिए वसूली की जा रही है।


     भाजपाई राष्ट्रवाद के नाम पर केवल अपना स्वार्थवाद ही पूरा करना जानते हैं। उनके लिए लोकतंत्र केवल कहने-सुनने को है। अमृत महोत्सव को जनजीवन के उत्साह से जोड़ने की जगह भाजपाई रंग देने का प्रयास देश के लिए मर मिटने वाले शहीदों का अपमान है। भाजपा के इस खेल को जनता नापसंद करती है।