सड़कें गड्ढामुक्त होंगी….?

154

श्याम कुमार

लखनऊ। स्वर्गीय चन्द्रभानु गुप्त द्वारा स्थापित बुद्धिजीवियों की पुरानी एवं प्रतिष्ठित संस्था ‘विचार मंच’ द्वारा ‘उत्तर प्रदेश में गड्ढामुक्त सड़कें’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।वक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया है कि प्रदेश की सारी सड़कें १५ नवम्बर तक गड्ढामुक्त कर दी जाएं। जब योगी जी प्रदेश की पिछली सरकार में मुख्यमंत्री बने थे तो उस समय उन्होंने पदारूढ़ होते ही सड़कों को अविलम्ब गड्ढामुक्त करने का आदेश दिया था। किन्तु उस सरकार के पांच साल के कार्यकाल में प्रदेश की सड़कें गड्ढों से मुक्त नहीं की गईं तथा लोग उन गड्ढों में हताहत होते रहे। डर है कि इस बार भी वैसा ही न हो।


मुख्य वक्ता के रूप में सुविख्यात अर्थशास्त्री एवं विश्लेषक प्रो. अम्बिका प्रसाद तिवारी ने कहा कि प्रदेश में काफी समय से नगरों को ‘स्मार्ट सिटी’ बनाए जाने का नारा सुनाई पड़ रहा है। लेकिन यथार्थ में ‘स्मार्ट सिटी’ की जो मूलभूत आवश्यकताएं हैं, उन्हें पूरा नहीं किया जा रहा है। उन मूलभूत आवश्यकताओं में सफाई एवं उच्चस्तरीय सड़कों का होना शामिल है। पर इन आवश्यकताओं को पूरा करने के बजाय नौकरशाही सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ा रही है।


संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए ‘समाचारवार्ता’ के सम्पादक श्याम कुमार ने कहा कि पिछली योगी सरकार में लोकनिर्माण विभाग केशव प्रसाद मौर्य के पास एवं नगर विकास विभाग आशुतोष टंडन ‘गोपालजी’ के पास था तथा उस समय पूरे प्रदेश में यह चर्चा थी कि ये दोनों मंत्री मुख्यमंत्री योगी को विफल करना चाहते हैं, इसलिए सड़कों को दुर्दशाग्रस्त रखकर सरकार को अलोकप्रिय व बदनाम करने पर तुले हैं। लेकिन लोगों को आश्चर्य है कि वर्तमान योगी सरकार में नगर विकास विभाग अरविंद कुमार शर्मा एवं लोकनिर्माण विभाग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितिन प्रसाद के पास है। मगर ये दोनों मंत्री भी जिस प्रकार अपने दायित्व के निर्वाह में विफल हो रहे हैं, उसका एकमात्र कारण यह प्रतीत हो रहा है कि नौकरशाही उनके नियंत्रण में नहीं है।


डाॅ. हरिराम त्रिपाठी, राजीव अहूजा, रामसिंह तोमर, सुरेंद्र अग्निहोत्री, विजय कुमार निगम, शेखर पंडित, राजू यादव आदि पत्रकारों ने कहा कि एक समाचार के अनुसार लखनऊ की लगभग छह सौ सड़कें दुर्दशाग्रस्त हैं, जिन्हें सुधारने के लिए पांच सौ पचास करोड़ रुपये चाहिए, किन्तु लोकनिर्माण विभाग, लखनऊ नगर निगम एवं लखनऊ विकास प्राधिकरण के पास सड़कों को सुधारने के लिए पैसा नहीं है। बड़े आश्चर्य की बात है कि जिन विभागों का मुख्य दायित्व सड़कों का सही ढंग से रखरखाव करना है, उनके पास सड़कों के लिए पैसा नहीं है।


विश्लेषक सर्वेशचंद्र द्विवेदी, हरिप्रकाश ‘हरि’, समाजसेवी सुशीला मिश्र, सूर्यभानु सिंह गौतम, अजय दत्त पांडेय आदि ने कहा कि लोकनिर्माण, नगर विकास विभाग एवं लखनऊ विकास प्राधिकरण भ्रष्टाचार के लिए लम्बे समय से कुख्यात हैं, अतः मुख्यमंत्री को चाहिए कि इन तीनों विभागों के कार्यकलापों की उच्चस्तरीय एवं गहन जांच कराएं, साथ ही गड्ढों के कारण जो लोग हताहत होते हैं, उन्हें मुआवजा दिया जाय।


संगोष्ठी में दो दर्जन से अधिक इन पत्रकारों, विश्लेषकों, समाजसेवियों, अधिवक्ताओं, साहित्यकारों आदि ने भी विचार व्यक्त किए और मांग की कि मुख्यमंत्री के आदेश का कड़ाई से पालन करते हुए प्रदेश की सड़कों को न केवल गड्ढामुक्त किया जाय, बल्कि उनका पूरी तरह डामरीकरण भी होः- सचिन त्रिपाठी, शिवचरण चौहान, अनुराग मिश्र, कृष्णानन्द त्रिपाठी, कृष्णचन्द्र भार्गव, जितेंद्र सिंह, मुरलीधर सोनी, अंकुर, नितिन, अशोक साहू, अनुरक्ति, शौकत अली, रुकैया परवीन, गोपाल कौशल, सैय्यद मेहदी रिजवी, भारत सिंह, राकेश कुमार सिंह, आमोद श्रीवास्तव, मृत्यंजय मिश्र, ओमप्रकाश शांडिल्य आदि।