नीतीश तेजस्वी को सीएम बना दिखाएं त्याग

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नीतीश तेजस्वी को सीएम बना दिखाएं त्याग
नीतीश तेजस्वी को सीएम बना दिखाएं त्याग

2004 में सपा और 2009 में कांग्रेस की बड़ी जीत में अतिपिछड़ी जातियों की रही अहम भूमिका। नीतीश कुमार तेजस्वी को सीएम बना दिखाएं त्याग का परिचय।

लौटन राम निषाद

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केन्द्र में सत्ता परिवर्तन के लिए भाजपा विरोधी दलों का गठबंधन बनाने के लिये प्रयास कर रहे हैं। लखनऊ में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से मिलने आए थे, तब बयान दिए कि वे भाजपा को हटाने के उद्देश्य से विपक्षी एकता का प्रयास कर रहे हैँ, प्रधानमंत्री बनने की लालसा नहीं है। भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता लौटन राम निषाद ने नीतीश कुमार के बयान को नकारते हुए कहा कि उनका असल मकसद अपने को पीएम चेहरा बनाना ही है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जी को पहले भतीजे तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाकर त्याग व उदारता का परिचय देना चाहिए। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जी अभी तक मुख्यमंत्री के लिए ही पाला बदलते रहे हैं और अंदरखाने उनकी टीम उन्हें पीएम के लिए काम में जुटी हुई है।

नीतीश कुमार हों या तेजस्वी यादव दोनों इतने कमजोर नेता नहीं हैं कि पार्टी के अंदर उनकी मर्जी के बिना कोई प्रवक्ता या नेता बयान दे दे। दिलचस्प यह कि जदयू नीतीश को प्रधानमंत्री बनाने में लगी है और राजद तेजस्वी को सीएम बनाने में। इसके बीच दोनों नेता कुर्सी के प्रति अपना त्याग दिखा कर खुद की दरियादिली दिखा रहे हैं। जनता जैसे कुछ समझ ही नहीं रही !


समाजवादी पार्टी को अभी तक की लोकसभा में 39 सीटों की सबसे बड़ी 2004 में मिली थी जिसमें निषाद-मल्लाह, केवट, कश्यप, बिन्द,राजभर, प्रजापति आदि 17 अतिपिछड़ी जातियों की अहम भूमिका थी। 5 मार्च 2004 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजे थे।जिसके कारण अतिपिछड़ी जातियों ने एकजुट होकर सपा को बड़ी जीत दिलाया था। 27 जनवरी 2009 को कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी ने एनटीपीसी गेस्ट हाउस ऊँचाहार,रायबरेली में राष्ट्रीय निषाद संघ के प्रतिनिधि मंडल से कहीं थीं कि चुनाव में कांग्रेस की मदद करिए, सरकार बनने पर निषाद मछुआरा जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाऊंगी।उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी के वादे के आधार पर निषाद जातियों ने 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की मदद किया जिससे उसे 21 सीटों पर जीत मिली थी। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के ग्रामीण जातिगत समीकरण में 7.98 प्रतिशत निषाद मछुआरा जातियाँ, 1.84 प्रतिशत प्रजापति और 1.31 प्रतिशत राजभर की संख्या है।उन्होंने कहा कि इन अतिपिछड़ी जातियों की 11.13 प्रतिशत जनसंख्या का हराने जीताने में काफी अहम भूमिका रहती है।


निषाद ने बताया कि विधानसभा चुनाव-2012 के दौरान समाजवादी पार्टी ने सरकार बनते ही 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण देने का वादा किया था। जिससे अतिपिछड़ी जातियों ने 2012 में समाजवादी पार्टी की तरफ मुड़ गयीं। लेकिन अखिलेश यादव की सरकार में निषाद, लोधी, किसान, शाक्य/कुशवाहा,पाल, राजभर,पटेल जातियों के साथ उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाने व राजनीतिक अपमान करने के कारण ये भाजपा के साथ चली गईं। अखिलेश यादव के मंत्रिमंडल में 7 यादव, 6-6 मुस्लिम, ठाकुर, ब्राह्मण को कैबिनेट मंत्री बनाने के साथ इन जातियों के 12 से 15 मंत्री बनाये गये, वही निषाद, कुर्मी, कुशवाहा/शाक्य, बघेल/पाल, लोधी, किसान आदि जैसी प्रभावशाली जातियों को महत्वहीन राज्यमंत्री बनाकर दोयम दर्जे का व्यवहार किया गया।