वाराणसी मण्डल में सपा भाजपा पर भारी….!

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विधानसभा चुनाव वाराणसी मण्डल में सपा व भाजपा में करीबी मुकाबला।ग़ैरयादव पिछड़ी जातियों में सपा बना रही पैठ,माया के कोर वोटबैंक में सपा की सेंधमारी।

लौटनराम निषाद

वाराणसी। वाराणसी मण्डल के अंतर्गत वाराणसी,जौनपुर,ग़ाज़ीपुर,चन्दौली की 28 विधानसभाएं शामिल हैं।यह क्षेत्र मुख्यतया पिछड़ा-दलित बहुलता वाला है।मण्डल के जिलों में यादव,कुर्मी,निषाद, बिन्द, चौहान,राजभर,मौर्य/कुशवाहा जैसी मजबूत आधार वाली पिछड़ी जातियों के साथ पंचफोरन के नाम से जानी जाने वाली प्रजापति,विश्वकर्मा(बढ़ई, लोहार),पाल,बियार,सोनार,तेली,कलवार,नाई, बारी, गिरी,चौरसिया आदि जातियाँ भी 2,4 हजार की संख्या में अमूमन हर क्षेत्र में उपस्थिति दर्ज कराती हैं।बियार जाति मुगलसराय व चकिया(सु) में हार-जीत में निर्णायक संख्या में हैं।कुर्मी जाति वाराणसी की रोहनिया,पिंडरा,सेवापुरी,जौनपुर की मड़ियाहूं, मुंगरा बादशाहपुर में काफी प्रभावी है वही मुगलसराय, चकिया में निर्णायक है।ग़ाज़ीपुर में कुर्मी जाति की बहुत ही कम संख्या है।यादव जाति ग़ाज़ीपुर की 7,जौनपुर की 8,चन्दौली की 2 व वाराणसी की 4 विधानसभा क्षेत्र में काफी मजबूत पकड़ रखती है।निषाद/बिन्द जौनपुर के 8,ग़ाज़ीपुर के 5,चन्दौली के 4 व वाराणसी के 5 विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक व प्रभावशाली हैं।कुशवाहा/मौर्य का प्रभाव क्षेत्र वाराणसी के शहर उत्तरी,पिंडरा,जौनपुर के सदर,मड़ियाहूं, चन्दौली के सकलडीहा व ग़ाज़ीपुर के जमानिया व मुहम्मदाबाद में है।राजभर वाराणसी के शिवपुर,रोहनिया, अजगरा,ग़ाज़ीपुर के जखनिया(सु),जंगीपुर, जहूराबाद, चन्दौली के सकलडीहा एवं चौहान जाति ग़ाज़ीपुर के जंगीपुर, जहूराबाद,जखनिया,वाराणसी के शिवपुर,चन्दौली के मुगलसराय में निर्णायक है।


वाराणसी मण्डल में सवर्ण जातियों में ब्राह्मण,राजपूत,भूमिहार,कायस्थ जाति की उपस्थिति है।सैदपुर,केराकत,मल्हनी, बदलापुर,सैय्यदराजा में राजपूत,वाराणसी कैंट में कायस्थ,वाराणसी दक्षिणी, बदलापुर,मुंगराबादशाहपुर में ब्राह्मण,सैय्यदराजा,मुहम्मदाबाद, पिंडरा में भूमिहार जाति का प्रभाव है।अनुसूचित जातियों में चमार जाति 22 विधानसभाओं में काफी प्रभावशाली हैं।इसके अतिरिक्त पासी,खटीक,धोबी,बांसफोर,धरकार,मुसहर आदि जातियाँ भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराती हैं।
ज्योति न्यूज ओपिनियन पोल के तहत राजपूत,ब्राह्मण,भूमिहार,कायस्थ,वैश्य,निषाद, बिन्द,प्रजापति,पाल,विश्वकर्मा, चमार,मुस्लिम, चौहान,राजभर,मौर्य/कुशवाहा,कुर्मी,जायसवाल/तेली/साहू व अन्य जातियों(बियार,नाई, धोबी,बारी, बरई,बहेलिया,धरकार,सोनार आदि) के 1-1 हजार मतदाताओं की विधानसभा चुनाव 2022 के सम्बंध में ओपिनियन पोल लिया गया।इस आँकलन में यह बात उभरकर सामने आई कि सवर्ण जातियों में भाजपा की पैठ अभी भी मजबूत है।कुर्मी,मौर्य में पकड़ थोड़ी कमजोड हुई है,वही राजभर,चौहान,बिन्द, साहू,विश्वकर्मा, प्रजापति आदि में सपा की स्थिति सुधरती दिख रही है।वैसे ग़ैरयादव पिछड़ी,अतिपिछड़ी जातियों की शिकायत मिली कि समाजवादी पार्टी उनकी जातियों के साथ राजनीतिक ईमानदारी नहीं दिखाती।सपा सरकार में यादवों की अकड़ के कारण हैं अतिपिछड़ी जातियाँ सपा से दूर चली गईं,जिसका लाभ भाजपा ने जमकर उठाया।चमार जाति का पढ़ा लिखा वर्ग बसपा से बेहतर सपा को कहता मिला।अनुसूचित जाति के बुद्धिजीवी यह कहने में भी गुरेज नहीं किये कि बसपा अब मान्यवर कांसीराम के मिशन से भटक गए है।बसपा जब भी कोई राजनीतिक निर्णय का अवसर आएगा तो वह भाजपा के ही साथ खड़ी होगी।मध्यम वर्ग व पिछड़ी जाति के शिक्षित वर्ग में सपा के प्रति लगाव बढ़ता दिखा।


वाराणसी मण्डल के सम्बद्ध जिलों में निवासरत प्रमुख जातियों के 1-1 हजार मतदाताओं का ओपीनियन पोल व चुनावी मूड का आंकलन ज्योति न्यूज़ टीम ने इकट्ठा किया।कुल 20,000 मतदाताओं में 7,747 ने भाजपा,7,346 ने सपा,981 ने बसपा व 3,222 ने कांग्रेस का समर्थन किया। 814 अन्य मतदाताओं में ज्यादातर ने वीआईपी के साथ जाने की बात किये।यादव व मुस्लिम वर्ग में सपा मजबूत पकड़ बनाये हुए हैं।यादव वर्ग के सैकड़ों मतदाताओं ने स्वीकार किया कि पिछले चुनावों में वे भाजपा को वोट दिये थे।कई यादव वर्ग के लोगों ने कहा कि सपा को यादव,मुस्लिम की पार्टी से बचना चाहिए।पिछड़े वर्ग की पटेल,मौर्य,निषाद, बिन्द, राजभर,चौहान,पाल आदि जातियों को भी टिकट बंटवारे में उचित स्थान दिया जाना चाहिए।


बीस हजार मतदाताओं में 38.73% हिस्सा भाजपा के साथ अभी भी खड़ा दिख रहा है।सपा के पक्ष में 36.73% मतदाताओं का समर्थन मिलता दिख रहा है। कांग्रेस के समर्थन में भी तेजी से बढोत्तरी होती दिख रही है।ओपिनियन पोल में उसे 16.61% मतदाताओं ने पसन्द किया,वही बसपा का जनाधार घटता दिख रहा है।उसे मात्र 4.07% लोगों का ही समर्थन मिला।उम्मीदवारों की घोषणा के बाद बसपा के मत प्रतिशत में वृद्धि निश्चित है।अगर इस ओपिनियन पोल को देखा जाय तो भाजपा व सपा में 2 प्रतिशत मतांतर से काँटे की टक्कर दिख रही है।उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार सपा,भाजपा में करीबी संघर्ष होगा।सत्ता का ताज किसके सिर सजेगा,अभी भविष्य के गर्भ में है।लेकिन अतिपिछड़ी जातियाँ सत्ता संग्राम में अहम भूमिका निभाएंगी।


अतिपिछड़ों,अतिदलितों की रुझान सपा की ओर जितना बढ़ेगी,भाजपा उतना ही कमजोर होगी।सवर्ण व निचले तबके में भाजपा की पकड़ अभी भी मजबूत बनी हुई है।
सामाजिक समीक्षक व सामाजिक न्याय चिंतक चौ.लौटनराम निषाद ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इस बार चुनावी परिणाम विधानसभा चुनाव-2007 व 2012 की तरह 3-4 प्रतिशत मतांतर से ही होगा।पूर्व में चुनावी लाभ के लिए चोरी चुपके कुछ रुपये,दारू बाँटी जाती थी,वह काम भाजपा सरकार खुलेआम प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि,श्रमिक भरण पोषण भत्ता, महिला सखी भत्ता आदि सभी चुनावी लाभ के लिए अपनाएं गए हथकंडे हैं।चुनावी वर्ष में इस तरह के अपनाए जा रहे हथकंडे निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करने के गलत तरीके हैं।भारत निर्वाचन आयोग को इस पर सख्त कदम उठाया जाना चाहिए।