नई संसद भवन में बोली जा रहीं सड़क छाप भाषा

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नई संसद भवन में बोली जा रहीं सड़क छाप भाषा
नई संसद भवन में बोली जा रहीं सड़क छाप भाषा

नई संसद भवन में बोली जा रहीं सड़क छाप भाषा साहब बता रहें हैं राष्ट्रवाद की परिभाषा। नफरत के पेड़ फलने लगें हैं यहां वहां, इन्सानियत को ओछी सियासत ने खा लिया। नई संसद ,नया नाम,नई टीम के नए तेवर,जुबान बेलगाम।ना भाषा का ज्ञान,ना सदन का सम्मान। नई संसद भवन में बोली जा रहीं सड़क छाप भाषा

विनोद यादव
विनोद यादव

क्या यही है अमृत काल का पैगाम। सदन में सड़क छाप हरकतो पर हमारे नेताओ के मुंह पर मुस्कान।जिसे देखकर हम सब है हैरान,हैरान ,हैरान। संसद में BJP सांसद रमेश बिधूड़ी का सड़क छाप बयान, बसपा MP को बोले- ‘ये मुल्ला आतंकवादी है… इसकी बात नोट करते रहना, अभी बाहर देखूंगा इस मुल्ले को ,वाह रे राष्ट्रवाद को धता बता रहें फर्जी राष्ट्रवादियों जो विचारधारा गांधी को हमेशा कोसती रहीं ओ भला कैसे गांधी की बात करने वालों पर अनाप शनाप न बोले।आखिर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की बात करने वाली पार्टी और संघ शायद आपने कार्यशाला में आज कल गालियां देने की शाखा लगवा रहा हैं यदि ऐसा न होता तो एक सांसद की कैसी इतनी हिम्मत की एक मजहब और जाति विशेष के सांसद को आतंकी और देशद्रोही बोले। खैर राजनीति का स्तर इतना गिर जायेगा इसका आंकलन हम आप किसान आंदोलन,शहीन बाग में चल रहें आंदोलन तथा महिला रेसलरों द्वारा बीजेपी के ही सांसद पर लगाए गयें योन शोषण के आरोप से जान समझ सकते हैं कि कितना गिर गया हैं।

संसद में सांसद अपनी मर्यादा को लांघने में जरा भी नहीं झिझकते चाहें चुनावी जनसभा में बेलगाम बोलने का मामला रहा हो या संसद में बोलने का हो या विधानसभा में बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने संसद की गरिमा और सीमाओं को लांघते हुए सड़क छाप शब्दों का प्रयोग ही नहीं किया उन्होंने अल्पसंख्यकों के प्रति कितनी नफरत और घृणा बीजेपी और संघ में है उसको परिभाषित कर दिया। हद तो तब पार हो गई जब ये बात सुनकर पूर्व केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने मुस्कारते दिखे। हालांकि, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने रमेश विधूड़ी के मामले को बड़ी गंभीरता से लेते हुए नाराजगी जताई खैर इसके अलावा कर भी क्या सकते थें कोई विपक्ष का नेता होता तो सभी का कलेजा फट कर हाथ में आ जाता कौन अपने अंधे पूत को अंधा कहें..?

साथ ही रमेश बिधूडी को कड़ी चेतावनी भी दी है कि भाषा की मर्यादा का ध्यान रखें।जिसकी आदत में नफरत भरा हो उसको मर्यादा का कितना ध्यान रहेगा आप जान समझ सकतें हैं।ओए …, ओए उग्रवादी, ऐ उग्रवादी बीच में मत बोलना,येआतंकवादी-उग्रवादी है, ये मुल्ला आतंकवादी है… इसकी बात नोट करते रहना अभी बाहर देखूंगा इस मुल्ले को। ये शब्द किसी और के नहीं बल्कि भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के हैं। लोकतंत्र की दुहाई देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो अपने आपको गरीबों का बेटा कहतें हैं तो इस सड़क छाप नेता के इस बयान को जरूर सुनना चाहिए कि संसद में उनके सांसद किस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं। गौर करने वाली बात तो ये भी है कि, क्या भाजपा आलाकमान इस भाषा के लेकर सांसद बिधूड़ी पर कोई सख्त रुख अपनाएगी या फिर इसे इग्नोर करेंगे।खैर बगल में एक सांसद महोदय बैठे हुए हैं जिनके चेहरे पर हंसी बता रही है की कितने खुश हो रहे हैं इस तरह की बयान बाजी पर यह वही सांसद जी है जो कभी स्वास्थ्य मंत्री हुआ करते थे कोरोना काल में अपने फेसबुक अकाउंट पर मटर छीलते हुए किचन में फोटो डाला करते थे आज कितने खुश हो रहे हैं इनकी मानसिकता की पढ़ा और समझा जा सकता हैं।

देश का पैसा लूटकर विदेश भागने वाले ललित मोदी और नीरव मोदी को एक रैली में ‘चोर’ कहने पर बीजेपी के अनुसार समस्त OBC समाज का अपमान हो गया था और राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी गई थी पर सदन में एक अल्पसंख्यक समाज से आने वाले बीएसपी सांसद दानिश अली को सीधा ‘आतंकवादी’ कह देने पर भाजपा सांसद रमेश विधूड़ी पर कोई कार्यवाही तक नहीं होगी।सड़क छाप और स्तरहीन भाषा का प्रयोग करने वाले बीजेपी सांसद की जितनी भी निंदा की जाए वो कम है, देश की आवाम का दुर्भाग्य है कि ऐसे लोगों को चुनकर वहां भेजते हैं।संसद के सदस्यों को माननीय सदस्य कहा जाता है जबकि आधे से ज्यादा सांसद अपराधी हैं और वो भी मामूली अपराधी नहीं, समय समय पर वो अपने व्यावहार से अपनी जाहीलियत का एहसास कराते रहते हैं। बीजेपी सांसद जिन्होंने ऐसी भाषा का प्रयोग किया हैं उनकी पार्टी और संघ की विचारधारा एक खास सम्प्रदाय के लिए जानी जाती है और निःसंदेह उसको यह बकने का साहस उसके शीर्ष नेतृत्व से मिला हैं।

देश के स्वघोषित चौकीदार उस सांसद पर एक भी शब्द नहीं बोलेंगे यह भी पूरी तरह से सत्य है कार्यवाही की बात तो दूर है। जबकि ऐसे लोगों पर ऐसी कार्यवाही होनी चाहिए कि वह आगे के लिए मिशाल बनें।संसद भवन तो नया बन गया है लेकिन नए प्रगतिशील, तर्कशील और वैज्ञानिक विचारधारा के संसद सदस्य उसमे बैठे तभी उसका कोई अर्थ है वर्ना यह केवल पैसे की बर्बादी है। राजनीतिक पार्टियाँ सत्ता में बने रहने के लिए अनपढ़ और जाहिल अपराधी लोगों को विधायक सांसद बना कर लोकतंत्र की हत्या का प्रयास करती रहती है। जिसका परिणाम संसद में ऐसी शर्मनाक सड़क छाप घटना के रूप में देखने को मिलता है।मुह मे ‘राम’ ओर सोच मे ‘नथूराम’मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम पे राजनीति करने वाली खुद को संस्कारी पार्टी बताने वाले नेता अमर्यादित आचरण से देश भली भांति परिचित है। उसी कडी मे लोकतंत्र के मंदिर कहे जाने वाले संसद की नई इमारत में विशेष सत्र के दौरान, अमर्यादा का एक ऐतिहासिक अध्याय जुड गया जो देश को तोडने वाली सडक छाप नफरती भाषा संसद मे बोलना कोई साधारण बात नहीं है। जिस सांसद के मुख से जहरीले शब्द निकल रहे थे वह सांसद इस तरह के अपने कृत्यों के लिए कुख्यात है। मगर असल गिरी हुई मानसिकता का प्रदर्शन पीछे बैठे संस्कारी पार्टी के दो संस्कारी विद्वानों ने अपने हसी के द्वारा कर दिया।

खुले आम जहर उगलने वाले व्यक्ति से ज्यादा खतरनाक वह लोग है, जो मन मे जेहर छुपाकर मुख से अमृतकाल की बात करते है।एक तरफ संसद मे घटित इस अक्षम्य अपराध को मामूली बात की तरह नजरअंदाज करने वाले, दूसरी तरफ हर चीज का श्रेय लेने के लिए, रोज नई नौटंकी खडी करने वाले श्रेयासूर के द्वारा ऐसी बातो पर ली जाने वाली चिरपरिचित चुप्पी, इस घटना को बहोत गंभीर बना देती हैं।एक शांतिप्रिय लोकतांत्रिक मुल्क मे, ऐसी घटनाएं अगर समाजद्वारा न्यू नॉर्मल के रूप मे नजरअंदाज की जाती रही, तो यह देश धीरे धीरे साम्प्रदायिक अराजकता जैसी भयावह परिस्थितियों की तरफ बढने में वक्त नहीं लगेगा। खैर तमाम विपक्षी सांसदों द्वारा इस बयान की कडी़ निन्दा की गयी वहीं टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्विटर पर लिखा, मुसलमानों, ओबीसी को गाली देना भाजपा की संस्कृति का अभिन्न अंग है।

ज्यादातर को इसमें गलत नहीं दिखता। उन्होंने पीएम मोदी को टैग करते हुए लिखा, इसने भारतीय मुसलमानों को अपनी ही धरती पर डर की ऐसी स्थिति में जीने पर मजबूर कर दिया है कि वे मुस्कुराकर सब कुछ सह लेते हैं।आप सांसद संजय सिंह ने भी रमेश बिधूड़ी पर कार्रवाई की मांग की है। राजद सांसद मनोज झा ने कहा, मैं बिधूड़ी जी को इसके लिए दोषी नहीं मानता हूं क्योंकि इस तरीके की जुबान को शह कौन दे रहा है ,मैं दुखी जरूर हूं लेकिन इस बात को लेकर के आश्चर्य नहीं हो रहा है। इस प्रकरण को ऐसे समझ सकते हैं कि एक सांसद अपने दूसरे सांसद को किस तरीके के शब्द का इस्तेमाल कर रहा है?पूरे देश में नफरत बाटने की एक नयी परिपाटी चालू हो गयी हैं कोई नेता पाकिस्तान भेजने की बात करता हैं तो कोई किसी को सोमालिया भेजने की बात करता हैं आखिर शोषितों, वंचितों ,दलितों ,पिछडों और अल्पसंख्यकों के ऊपर हो रहें इस जुल्म अत्याचार का कोई तो उपाय होगा या जिसके जेहन में जो आया वहीं कहां जाए वहीं बोला जाय यह कितना न्याय पूर्ण हैं। नई संसद भवन में बोली जा रहीं सड़क छाप भाषा