शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला-अभ्यर्थियों का संघर्ष जारी

102
शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला-अभ्यर्थियों का संघर्ष जारी
शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला-अभ्यर्थियों का संघर्ष जारी

69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले को लेकर अभ्यर्थियों का संघर्ष जारी। शिक्षा मंत्री के आवास पहुंचे अभ्यर्थियों को पुलिस ने ईको गार्डेन वापस भेजा। शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला-अभ्यर्थियों का संघर्ष जारी

अजय सिंह

लखनऊ। 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले को लेकर आज आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास पर धरना प्रदर्शन किया लेकिन पुलिस कर्मियों ने धरना प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों को गिरफ्तार कर बस में बैठाकर इको गार्डन में भेज दिया और कहा कि आज छुट्टी का दिन है आज आपकी कोई बात नहीं सुनी जाएगी।

आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों का स्पष्ट रूप से कहना था कि इस भर्ती में 19000 सीटों पर आरक्षण का घोटाला हुआ है लेकिन सरकार ने 19000 आरक्षण घोटाले के सापेक्ष 6800 की एक लिस्ट निकाली वह लिस्ट भी कोर्ट से रद्द हो गई और सरकार अब कोर्ट में आरक्षण के मुद्दे को निस्तारित कराने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रही जिस कारण आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को इस भर्ती में न्याय नहीं मिल पा रहा और आज वह इसी वजह से बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास पर धरना प्रदर्शन करने आए हैं।

पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप का कहना है की 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में 1 जून 2020 को प्रकाशित की गई लिस्ट के दौरान अभ्यर्थियों के गुणांक, कैटागिरी, सब कैटिगरी आदि को छुपा लिया गया और इस तरह से इस भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन कर ओबीसी वर्ग को 27% की जगह सिर्फ 3.80% तथा एससी वर्ग को 21% की जगह मात्र 16.2% आरक्षण दिया गया है और इस भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की ठीक तरह से ओवरलैपिंग नहीं करायी गई है, इस भर्ती में संविधान के नियमों का उल्लंघन किया गया है जिस कारण आरक्षित वर्ग के 19000 अभ्यर्थी इस भर्ती प्रक्रिया में अधिकारियों की गलत नीतियों के कारण चयनित होने से रह गए।

पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संरक्षक भास्कर सिंह का स्पष्ट तौर पर कहना है कि इस भर्ती में यदि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी लखनऊ में आए दिन धरना प्रदर्शन कर रहे है और इस भर्ती में अपने लिए न्याय मांग रहे है तो इसके लिए दोषी सिर्फ और सिर्फ स्कूली शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद तथा बेसिक शिक्षा सचिव प्रताप सिंह बघेल हैं जिनकी वजह से आज सरकार की छवि धूमिल हो रही है और बेसिक शिक्षा सचिव ने 29 अप्रैल 2021 को जारी की गई राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की आरक्षण घोटाले की रिपोर्ट को नहीं माना आखिर इन अधिकारियों के ऊपर किसका संरक्षण है और कौन इन्हें बचा रहा है जिस कारण आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को पिछले 3 साल से इस भर्ती में न्याय नहीं मिल पा रहा और यह अधिकारी आरक्षण के मुद्दे को कोर्ट से हल कराने में दिलचस्पी नहीं ले रहे।

13 मार्च 2023 को लखनऊ हाई कोर्ट सिंगल बेंच भी सरकार को आदेश दे चुकी है कि 69000 सहायक शिक्षक भर्ती की जून 2020 को प्रकाशित की गई पूरी लिस्ट को दोबारा से बनाई जाए जिसमें अभ्यर्थियों के गुणांक, कैटागिरी, सब कैटिगरी आदि का उल्लेख हो और कोर्ट ने सरकार को यह कार्य करने के लिए 3 महीने का समय दिया लेकिन आज 5 महीने से अधिक का समय बीत गया इन बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने हाईकोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन कर दिया और ऐसा नहीं कि यह मुख्यमंत्री जी को नहीं पता हो यह सबको पता है लेकिन इन सबके बावजूद भी आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को न्याय नहीं दिया जा रहा और इन दो अधिकारियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की जा रही, क्या आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थी इस उत्तर प्रदेश के निवासी नहीं है, क्या आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थी राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान नहीं देते यह सरकार को समझना चाहिए और आरक्षण पीड़ित उन सभी अभ्यर्थियों को जो लखनऊ हाई कोर्ट में अपने न्याय के लिए यांची बनकर लड़ रहे हैं उन सभी यांची अभ्यर्थियों को रिक्त सीट पर समायोजित करते हुए नियुक्ति के लिए कोर्ट में पहल करनी चाहिए ताकि आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को न्याय मिल सके ।

आरक्षण के मुद्दे पर लखनऊ हाई कोर्ट में 20 नवंबर को सुनवाई होगी ऐसी स्थिति में सरकार को चाहिए कि वह आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों के पक्ष में कोर्ट में अपना प्रपोजल पेश करें ताकि न्याय के लिए कोर्ट में यांची बनकर लड़ रहे अभ्यर्थियों का रिक्त सीट पर समायोजन किया जा सके और इस मुद्दे का पूरी तरह से निस्तारण किया जा सके क्योंकि जब तक यह मुद्दा निस्तारित नहीं होगा तब तक सरकार की छवि स्कूली शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद तथा बेसिक शिक्षा सचिव प्रताप सिंह बघेल इस भर्ती की मूल चयन सूची पेश न करके करते रहेंगे ऐसी स्थिति में अब सरकार को आगे जाकर निर्णय लेना चाहिए और इन दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए ताकि जल्दी से जल्दी आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को इस भर्ती में न्याय मिले। शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला-अभ्यर्थियों का संघर्ष जारी